Baddha Konasana Yoga: बांझपन की समस्या को दूर करने में मददगार होगा बद्ध कोणासन

बद्ध कोणासन एक ऐसा आसान है जिसे करने से आप बहुत सारी बीमारियों या तकलीफों से छुटकारा पा सकते है। बद्ध कोणासन को हर इंसान को अपनी रोज की जीवनशैली का हिस्सा ज़रुर बनाना चाहिए। अगर आप कोई भी व्यायाम नही करते है तब भी आपको कम से कम इस बद्ध कोणासन को ज़रुर करना चाहिए।

बंध कोणासन, तितली आसन से मिलता जुलता आसन है पर दोनों में थोड़ा अंतर भी होता है। इस आसन का नाम दो शब्दों से मिल कर बना है ‘बंध और कोण’। बंध से तात्पर्य है बंधा हुआ और कोण से तात्पर्य है कोना।

बंध कोणासन के द्वारा पेट के अंग, मूत्राशय और गुर्दे उत्तेजित होते है। साथ ही यह दिल को भी उत्तेजित करता है। बंध कोणासन को करते रहने से चिंता और तनाव कोसों दूर रहते है। यदि गर्भावस्था के अंत में यह आसन किया जाए तो इससे प्रसव आसान तरीके से होता है। लेकिन इसे करने से पहले चिकित्सक से पूछना अनिवार्य है। यह आसन बाँझपन को भी दूर करता है।

बंध कोणासन फ्लैट पैर और हाई बीपी के लिए भी बहुत ही उत्तम होता हैI बंध कोणासन इस तरह की अनेक बिमारियों को ख़त्म करने में सक्षम है। जानते है Baddha Konasana Yoga कैसे करे और इसके अन्य फायदे।

Baddha Konasana Yoga: जानिए इस आसन की विधि, लाभ तथा सावधानी

Baddha Konasana

बद्ध कोणासन को करने से आप खुद में बहुत ज्यादा ऊर्जा महसूस करेंगे। ये आसन आपके तनाव को भी कम करने में सहायक होता है। बद्ध कोणासन महिला और पुरुष सभी के लिए फ़ायदेमंद होता है। थोड़े से नियमित अभ्यास से बद्ध कोणासन को आसानी से किया जा सकता है।

बंध कोणासन कैसे करें

  • सबसे पहले आसन पर बैठ कर दण्डासन की अवस्था में आये।
  • इसके बाद तितली आसन के सामान ही घुटनो को मोड़ कर पैरों को दोनों हांथो से मिला ले।
  • इस दौरान आपके तलवे एक दूसरे को छूने चाहिए।
  • इसके बाद जितना हो सके पैरों को शरीर के पास लाने की कोशिश करे।
  • फिर हांथो को घुटने से नीचे की तरफ दबाने का प्रयास करे। ताकि वह ज़मीन से टच हो जाए।
  • ध्यान रहे की इसे उतना ही करे जितना आप सहन कर सके।
  • शुरू में घुटने पूरी तरह से नीचे नहीं होते, इसलिए निराश न हो।
  • धीरे धीरे अभ्यास पर यह होने लगेगा।

दूसरी विधि

  • इस विधि को तब ही करे जब आपके घुटने जमीन को छूने लगे और उनमे लचीलापन आने लगे।
  • सबसे पहले आसन पर बैठ कर दण्डासन की अवस्था में आये।
  • इसके बाद तितली आसन के समान ही घुटनो को मोड़ कर पैरों को दोनों हांथो से मिला ले साथ ही इस दौरान तलवे एक दूसरे को छूने चाहिए।
  • इसके बाद जितना हो सके पैरों को शरीर के पास लाने की कोशिश करे।
  • दोनों पैरों को हाथों से पकड़ ले।
  • फिर कूल्हे से आगे की ओर झुके और तब तक झुके की जब तक सर जमीन को स्पर्श न कर ले।
  • यह क्रिया भी धीरे धीरे अभ्यास के बाद अच्छे से आने लगेगी, बस संयम की आवश्यकता होती है।

अगर आप शुरुआत में बद्ध कोणासन को सही ढंग से नही भी कर पाते हैं तो आपको निराश होने की आवश्यकता नही है क्योंकि धीरे धीरे प्रयत्न करने से ही आप अपने शरीर को लचीला बना पाएंगे और इस आसन को आसानी से कर पाएंगे। जल्दबाजी नही करे आराम से इसे करने की कोशिश करे।

बंध कोणासन के फायदे:-

  • बंधकोणासन के नियमित अभ्यास से घुटने के हिस्सों में रक्त संचारित होता है और घुटने के दर्द की समस्या समाप्त हो जाती है।
  • बद्ध कोणासन पेट और कमर दर्द को भी जड़ से खत्म कर देता है।
  • पैरों के अतिरिक्त यह आपके पीठ के निचले हिस्से, गुर्दे, प्रोस्टेट और मूत्राशय को स्वस्थ रख सकता है।
  • यह आसन रजोनिवृत्ति के लक्षणों को दूर करने में भी सहायक होता हैI
  • बद्ध कोणासन महिलाओ के लिए विशेष लाभदायक होता है इसके नियमित अभ्यास से महिलाओ में मासिक धर्म के दौरान होने वाली तकलीफों से छुटकारा मिलता है।
  • बद्ध कोणासन के नियमित अभ्यास से आपका रक्त संचार सही रूप से होता है। बद्ध कोणासन को करने से शरीर को फ्लेक्सिबल बनाया जा सकता है।
  • इस आसन के नियमित अभ्यास से मूत्राशय और अंडाशय को स्वस्थ रखने में फायदा होता है।
  • यह आसन जांघों के अंदर के हिस्से, घुटनो और पीठ में खिचाव लाता है।
  • ऐसा माना जाता है अगर गर्भवती महिला इस आसन को करती है तो इसे करने से प्रसव के समय कम पीड़ा होती है।

बंध कोणासन से पहले किये जाने वाले आसन:

  • वीरासन
  • प्रसारित पादोत्तनासन
  • जानुशिरासन
  • तितली आसन

बंध कोणासन से बाद में किये जाने वाले आसन:

  • अर्ध मत्स्येन्द्रासन
  • गोमुखासन
  • मरीच्यासन
  • पद्मासना

सावधानियां

  • जिन लोगो को साइटिका की परेशानी हो उन्हें ये बद्ध कोणासन बिलकुल नही करना चाहिए।
  • जिनके कमर में या घुटने में किसी प्रकार की चोट हो उन्हें ज़बरदस्ती इस आसन को नही करना चाहिए।
  • जो महिलाएं गर्भवती हो और अगर उन्हें बद्ध कोणासन करने में किसी भी प्रकार का दर्द महसूस हो रहा हो तो उन्हें इसे बिलकुल नही करना चाहिए।
  • मेरुदंड के जटिल समस्या वाले को इस आसन को नही करना चाहिए।
  • हाई ब्लड प्रेशर या हृदय सम्बन्धित रोग की शिकायत वाले मरीजो को इस बद्ध कोणासन का अभ्यास नही करना चाहिए।

नोट – किसी भी तरह का योग या व्यायाम फ़ायदेमंद तभी साबित होता है जब उसे करने में आपको किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ का अनुभव नही हो रहा हो। अगर आपको किसी भी आसन को करने में बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही हो तो आपको उसे नही करना चाहिए नही तो हो सकता है आपको कोई और परेशानी का सामना करना पड़ जाये। किसी भी योग को करने में किसी भी तरह की उत्तेजना ना लाएं। हर योग को धीरे धीरे करे इस तरह आपको उसका फायदा भी होगा और आपके शरीर को किसी भी तरह की कोई परेशानी भी नही उठानी पड़ेगी। किसी भी आसन को करते समय एकाग्रता का होना बहुत आवश्यक होता है हो सकता है अगर आपका ध्यान भटक जाये तो आप आसन को गलत तरीके से करे जिससे आपको कोई फायदा नही मिलता है । इसलिए प्रात: काल में शांत मन के साथ शुद्ध वायु में योग करना बहुत फ़ायदेमंद साबित होता है।

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