Fatty Liver Treatment In Hindi: क्या फैटी लीवर से हो सकता है कैंसर का खतरा?

जिगर हमारे शरीर के महत्‍वपूर्ण अंगों में से एक है। अंग्रेजी में इसे लिवर कहा जाता है। यह शरीर का सबसे बड़ा दूसरा अंग होता है। यदि आप स्‍वस्‍थ जीवन चाहते है तो आपके लिवर का सही तरीके से कार्य करना बेहद जरूरी होता है। अगर यह अंग खराब होता है तो फिर पूरे शरीर को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

आपको जानकारी दे की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के एक वक्तव्य के अनुसार वसायुक्त लीवर अर्थात Fatty Liver Disease से पीड़ित लोगों की संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही है। इससे होने वाली समस्याएं बहुत ज्यादा जोखिम पैदा करने वाली हो सकती हैं जिससे शरीर में नुक्सान होने की भी संभावनाएं भी रहती हैं।

यदि इस समस्या का सही प्रकार से और सही समय पर इलाज ना किया गया हो तो वसायुक्त लीवर के कारण लीवर के कैंसर की समस्या होने का खतरा भी बढ़ जाता है और आकड़ो की माने तो भारत में हर पांच में से एक व्यक्ति के लीवर में अधिक वसा मौजूद होता है।

आंकड़ों की माने तो पता चलता है की हर 10 व्यक्ति में से एक व्यक्ति फैटी लीवर की वजह से होने वाले किसी ना किसी रोग का शिकार हो जाता है जो की बेहद चिंताजनक है। इससे होने वाले रोग के हो जाने पर ठीक से जाँच प्रक्रिया तथा इलाज करवाया जाना बहुत आवश्यक हो जाता है। तो आइये आज के लेख में जानते है Can a Fatty Liver Turn into Cancer?

Fatty Liver Treatment In Hindi: जानते हैं इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां

Can a Fatty Liver Turn into Cancer

सिरोसिस के चलते होता है लीवर कैंसर

  • Nonalcoholic Fatty Liver Disease Symptoms वाले 20 प्रतिशत लोगों में 20 वर्षो के अंदर Liver Cirrhosis होने का खतरा रहता है। आईएमए के मुताब़िक यह आंकड़ा शराबियों के समान है।
  • आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है की एनएएफएलडी सिरोसिस और कभी-कभी तो Cryptogenic cirrhosis की भी वजह बन सकता है।
  • अधिक शारीरिक वजन वाले लोगों में प्रतिदिन दो ड्रिंक और मोटे लोगों में प्रतिदिन एक ड्रिंक लेने से हिपेटिक इंजरी हो सकती है।
  • एनएफएलडी के चलते सिरोसिस के कारण लीवर कैंसर हो जाता है और ऐसी कंडीशन में अक्सर हृदय रोग से मौत हो जाती है।

अल्कोहल की अधिकता से होती है स्थिति ख़राब

  • एनएफएफडीएल, अल्कोहल के सेवन से नहीं होता है, परन्तु इसे ज्यादा मात्रा में लेने से स्थिति बुरी होने की सम्भावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।
  • इस बीमारी के शुरूआती अवस्था में हीं यह खत्म हो सकता है या फिर वापस भी लौट सकता है।
  • एक बार सिरोसिस के बढ़ने पर लीवर ठीक से कार्य नहीं कर पाता है।
  • ऐसी स्तिथि में फ्लुइड रिटेंशन, मांसपेशियों को नुकसान पहुँचना, आंतरिक रक्तस्राव, पीलिया तथा लीवर का फेल होना जैसे लक्षण सामने आ सकते है।

क्या है एनएएफएलडी के लक्षण?

थकान का होना

  • फैटी लिवर के कारण रोगी को थकान का अनुभव होता है।
  • कम मेहनत करने पर भी थकान होने लगती है यदि ऐसे कोई लक्षण दिखते है तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। थकान फैटी लिवर की प्रारंभिक अवस्था हो सकती है।

पेट दर्द की समस्या

  • पेट दर्द की समस्या किसी वजह से भी भी हो सकती है।
  • यदि पेट दर्द जल्दी ठीक हो जाता है तो यह सामान्य होता है परन्तु यदि पेट में दर्द लम्बे समय तक बना हुआ है हो तो यह चिंता का विषय बन सकता है।

वजन कम होना

  • वजन का कम हो जाना भी एक प्रकार की समस्या होती है। फैटी लिवर के कारण भी यह समस्या हो सकती है।
  • यदि आपका वजन लगातार कम हो रहा है तो आपको डॉक्टर से सलाह ज़रूर लेनी चाहिए। ताकि सही बीमारी का पता समय पर चल सके।

मतली का होना

  • इस प्रकार की समस्या फैटी लिवर से ग्रसित लोगो को होती है। फैटी लिवर के प्रारंभिक लक्षणों में मितली की परेशानी बनी रहती है।
  • इसलिए यदि ऐसे लक्षण दिखते है तो आपको देर नहीं करनी चाहिए। तुरंत डॉक्टर को दिखाए नहीं तो समस्या गंभीर हो सकती है।

भूख न लगना

  • कई बार लोगो को किसी कारण से भूख नहीं लगती है। इस बात को अधिकतर लोग अनदेखा कर देते है।
  • यह फैटी लिवर की समस्या के कारण भी हो सकती है। इसलिए इसे कभी भी इग्नोर ना करे।

उपरोक्त लक्षणों के अतिरिक्त भी कई लक्षण हो सकते है जिन्हे अनदेखा नहीं करना चाहिए जैसे

  • कमजोरी आना
  • सोचने में परेशानी
  • लीवर का बढ़ जाना
  • गले या बगल में काले रंग के धब्बे आदि

उपरोक्त लक्षण यदि ज्यादा समय तक है तो इसके लिए अपने डॉक्टर को ज़रूर बताये ताकि समय रहते आपका उचित उपचार हो सके।

फैटी लिवर के जोखिम कारक

  • ज्यादातर फैटी लिवर 40 से 60 वर्ष के लोगो में देखने को मिलता है।
  • यदि इसका पता समय पर नहीं चलता है तो इससे लिवर को हानि होती है।
  • सिरोसिस जैसी बीमारी होने का खतरा रहता है।
  • इसके कारण लिवर में सूजन भी आ सकती है। जिसके कारण लिवर के कार्य भी प्रभावित होते है।
  • फैटी लिवर के कारण पीलिया जैसी बीमारियाँ भी आसानी से हो सकती है।

कैसे चलता है एनएएफएलडी का पता?

  • जब लीवर की कार्य प्रणाली ठीक से नहीं होती है
  • हेपेटाइटिस न होने की पुष्टि हो जाए
  • लीवर ब्लड टैस्ट सामान्य होने पर भी एनएएफएलडी हो सकता है

कैसे करे इससे बचाव

  • अपने वजन को नियंत्रित रखे। वजन का बढ़ना इसका सबसे बड़ा कारण होता है। वजन के बढ़ने से अन्य बीमारियाँ भी आसानी से हो सकती है। इसलिए अपने वजन पर हमेशा ध्यान दे।
  • ज्यादा से ज्यादा फलों व सब्जियों का सेवन करे। इनका सेवन करने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है साथ ही शरीर भी स्वास्थ्य रहता है।
  • नियमित आधा घंटा शारीरिक व्यायाम करें। ऐसा करने से शरीर फिट रहता है और आपका लिवर भी सुरक्षित रहता है। आप चाहे तो योग का भी सहारा ले सकते है यह भी कई रोगों को ठीक करने में मदद करता है।
  • शराब का सेवन ना करे, या सिमित मात्रा में ले क्योंकि शराब के सेवन से लिवर ख़राब हो जाता है इसके लिए इससे दूरी बना कर रखे। आप जितना कम शराब का सेवन करेंगे आपके लिए उतना अच्छा होगा।
  • चिकित्सक द्वारा दी गयी आवश्यक दवाएँ ले और इनका सेवन भी समय समय पर करे तभी इनका लाभ हो सकता है।
  • परहेज पर ध्यान दें और स्वास्थ्य रहे।

फैटी लिवर या अन्य किसी भी बीमारी को बढ़ने से रोकने के लिए आपको अपनी जीवनशैली में परिवर्तन लाने की जरुरत होती है।

नोट – उपरोक्त लक्षणों को ध्यान में रखे यदि आपको कोई भी लक्षण दिखते है तो अपने डॉक्टर से ज़रुर संपर्क करे। यह जानकारी अपने परिवार वालों को भी दे ताकि वह भी इससे अपना बचाव कर सके और सुरक्षित रह सके। बाहर का खाना जितना हो सके कम ही खाये। यह अन्य बीमारियों का भी कारण बन सकता है।

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