Dental Care For Children: बच्चों के दाँतों को स्वस्थ और साफ रखने के उपाय

ऐसा अक्सर देखा जाता है की जब बच्चे छोटे होते है तब माता पिता उनके दाँतों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते है। उनका मानना होता है की ये दूध के दाँत है बाद में गिर जायेंगे और जब उसके नए दाँत आएँगे तब उनका ध्यान देंगे।

लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि यदि दूध के दाँत संक्रमित होते है तो उनका प्रभाव मसूड़ों पर भी पड़ता है। इसके कारण मसूड़े कमजोर हो जाते है और जब नए दाँत आते है तो उनकी पकड़ इतनी अच्छी नहीं रह पाती जितनी स्वस्थ मसूड़ों की होनी चाहिए।

इसलिए ज़रुरी है की बच्चे के दाँतों की देखभाल शुरुआत से ही करे। यदि आप अपने बच्चों के दाँतों का ख्याल शुरुआत से रखेंगे तो वह आजीवन साथ देंगे। उन्हें दाँतो से सम्बंधित परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी।

बच्चे के जन्म के 3 महीनों के बाद से ही दाँत निकलने शुरू हो जाते हैं। जब बच्चा 6 वर्ष का हो जाता है तो उसके 20 दाँत होते है। कुछ बच्चों में दाँत जल्दी निकलते है और कुछ बच्चों के दाँत लेट आते है। एक्सपर्ट बताते है कि बच्चों में दाँतों के निकलने के साथ ही उनकी सफाई शुरू कर देनी चाहिए। तो चलिए जानते है Dental Care For Children.

Dental Care For Children: ताकि ना हो बच्चों को दाँतों की कोई समस्या

Children Teeth Care

नवजात बच्चों के मुँह की सफाई

  • Kids Dental Care की शुरुआत बच्चों के दाँत निकलने के पहले शुरू कर देना चाहिए।
  • जब तक बच्चे का दाँत नहीं निकलता, समय-समय पर उसके मसूड़ों को साफ कपड़े से पोछते रहना चाहिए।
  • साथ ही सोते समय बच्चें को दूध की बोतल की जगह पानी भी देना चाहिए।
  • क्योंकि दूध में चीनी होने से प्लाक की संभावना बढ़ सकती है।

पहले दाँत के बाद क्या करे

  • पहले दांत के निकलते हीं बच्चों की Teeth Care Tips पर ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए।
  • जब बच्चे का पहला दाँत निकलता है तब आप बच्चे को ब्रश करा सकती हैं।
  • परन्तु ध्यान रहे की जो ब्रश आप बच्चे को करा रही है वह मुलायम होना चाहिए।

4-6 दाँत निकलने पर

  • Dental Care Tips के अनुसार जब बच्चे के 4-6 दाँत निकल जाएँ तब उन्हें दिन में दो बार ब्रश जरूर करवाना चाहिए, एक बार सुबह और दूसरी बार रात में सोने से पहले।
  • जब भी आपका बच्चा ब्रश करे उस पर ध्यान रखें।
  • आप चाहे तो बच्चे को खेल-खेल में ब्रश करा सकती है।
  • आप ब्रश कराते समय यदि गाना जाती है तो बच्चे को भी अच्छा लगेगा और वो प्रतिदिन ब्रश करने लगेगा।
  • इस दौरान बच्चों को खुद से ब्रश करने को प्रेरित करें। पर जब भी बच्चा खुद से ब्रश करे तो उसकी निगरानी ज़रुर करें।

जब बच्चा बड़ा हो जाए

  • बच्चों को चाकलेट या कैण्डी बहुत पसंद होती है जिस कारण उनको इन चीज़ो से दूर रखना मुश्किल होता है।
  • आपको प्रयास करना चाहिए की आपका बच्चा कम मीठा खाये। साथ ही आप अपने बच्चे को लंच में स्वास्थवर्धक आहार ही दे।
  • ताकि जब भी उसे भूख लगे तो वह उल्टी-सीधी चीजें ना खायें क्योंकि स्नैक्स भी दाँतों को कैण्डी जितना ही नुकसान पहुँचाते हैं।
  • कुछ भी खाने के बाद पानी से अपने मुँह को साफ़ करने की आदत अपने बच्चों को ज़रुर डालें।
  • ऐसा करने से भोजन के बाद दाँतों के आसपास बचे भोजन के कणों में कीटाणु पैदा होने की संभावना खत्म हो जायेगी और दाँत स्वस्थ्य रहेंगे।

बच्चों में कैविटी की समस्या

  • बच्चों में कैविटी की परेशानी 6 से 11 वर्ष की उम्र में सबसे ज्यादा देखने को मिलने लग जाती है।
  • बच्चों में कैविटी होने की मुख्य वजह दिनभर कुछ ना कुछ उटपटांग स्नैक्स और फास्टफूड खाते रहना।
  • कुछ बच्चों को मीठा बहुत पसंद होता है तो वो हर वक़्त मीठा खाते रहते है इसकी वजह से भी कैविटी की समस्या बढ़ती है।
  • इसलिए बच्चों के माता पिता को चाहिए की बच्चों के खाने पीने का ख्याल रखें और उन्हें बाजार का सामान ना खाने दे कर घर में पका पौस्टिक खाना खाने की आदत लगाएँ।
  • बाजार में मिलने वाले चिप्स, कोल्डड्रिंक, चॉकलेट और जनक फ़ूड दाँतों के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक माने जाते हैं। बच्चों को इनकी आदत नहीं लगने दें।
  • बच्चों के दूध के दाँतों में होने वाले कैविटी को नज़रअंदाज़ ना करें। ऐसा करने से ये समस्या दाँतों की जड़ों तक पहुँच जाते हैं और नए दाँतों में भी समस्याएं पैदा कर देते हैं।

टूथपेस्ट के चुनाव पर दें ध्यान

  • आज मार्केट में टूथपेस्ट के कई ब्रांड्स मौजूद हैं । मार्केट में मिलने वाले ज्यादातर टूथपेस्ट में फ्लोराइड की कुछ मात्रा जरूर होती है।
  • पर फ्लोराइड की मात्रा हर टूथपेस्ट में अलग अलग होती है। ध्यान दें कि बहुत ज्यादा फ्लोराइड की मात्रा से दाँतों का क्षय होता है।
  • इसलिए अपने बच्चे के लिए दंत चिकित्सक की राय ले कर हीं सही टूथपेस्ट का चुनाव करें।

दाँतों की जांच

  • दंत क्षय जैसी समस्याएं बचपन में एक सामान्य बीमारी मानी जाती है।
  • बच्चों के दाँतों की प्रथम चिकित्सीय जांच की सलाह तब दी जाती है जब बच्चे की उम्र एक वर्ष हो जाती है।
  • परन्तु ज्यादातर मौक़ों पर ऐसे देखा जाता है को बच्चे तब तक किसी डेंटल डॉक्टर के पास नहीं पहुँचते जब तक उन्हें दाँतों से संबंधित कोई परेशानी नहीं होती है ।
  • आपको अपने बच्चों की डेंटल चेकअप नियमित रूप से करवाते रहनी चाहिए।

इन बातों का भी रखे ख्याल

  • जब आपका बच्चा स्कूल जाना शुरू करे, तो हमेशा उसे कुछ भी मीठा खाने के बाद पानी पीने की आदत डालवायें।
  • बच्चों की परवरिश का ध्यान देने के साथ साथ उनके दाँतों का भी ख्याल रखना ज़रूरी होता है।
  • साल में एक बार डेंटिस्ट से ज़रूर मिलें और बच्चे को दिन में दो बार ब्रश ज़रूर करवायें।
  • साथ ही खाना खाते समय अपने बच्चों को हाथ धोने की आदत भी डलवाये।

इस लेख में आपने बच्चों के डेंटल केयर से जुड़ी बहुत सारी जानकारियाँ पढ़ी। अगर आपके बच्चों को भी किसी प्रकार की डेंटल प्रॉब्लम है तो लेख में बताई गई बातों का ध्यान दें और अपने बच्चे की परेशानी को दूर करें।

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