कुछ विकार ऐसे होते है जो की अनुवांशिक होते है। ऐसे ही आनुवांशिक विकारों में से एक होता है मार्फन सिंड्रोम जो शरीर के संयोजी ऊतक को प्रभावित करता है।
संयोजी उत्तक प्रोटीन से निर्मित होते है। जिसका कार्य शरीर के समस्त अंगों, कोशिकाओं और उत्तकों को एक दूसरे से जोड़े रखने का होता है। साथ ही यह शरीर के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है।
संयोजी उत्तक में फिब्रिलिन नामक प्रोटीन भी होता है और इसी फिब्रिलिन जीन में समस्या होने के कारण मार्फन सिंड्रोम उत्पन्न होता है।
Marfan Disease की समस्या जन्म के साथ होती है इसलिए इसे आनुवांशिक बीमारी के रूप में भी जाना जाता है। इस बीमारी के लक्षणों को समझना आसान नहीं होता है। इसलिए इसके बारे में पूरा ज्ञान होना ज़रुरी है। आईये जानते Marfan Syndrome In Hindi के बारे में अन्य तथ्य।
Marfan Syndrome In Hindi: जानिए मार्फन सिंड्रोम क्या है और इसके लक्षण तथा उपचार
मार्फन (Marfan) सिंड्रोम का प्रभाव
- मार्फन सिंड्रोम 5000 में से किसी एक व्यक्ति को हो सकता है। इस बीमारी का शिकार पुरुष और महिला कोई भी हो सकते हैं।
- यह बीमारी अनुवांशिक होने के कारण यदि किसी भी परिवार में कोई व्यक्ति इससे पीड़ित होता है तो इस बीमारी का खतरा उस परिवार के अन्य लोगों में और भी बढ़ जाता है।
- अगर परिवार में कोई व्यक्ति इससे पीड़ित है तो उसकी संतान में इस बीमारी के पहुँचाने की सम्भावना 50 फीसदी तक होती है।
मार्फन सिंड्रोम होने के लक्षण: Marfan Syndrome Symptoms
- यह बीमारी जन्मजात होती है परंतु इसके लक्षण उसी समय दिखे यह ज़रुरी नहीं है।
- आपको बता दे कि इसके लक्षण किसी भी आयु में दिखाई दे सकते है। जैसे जैसे लक्षण बढ़ते है बीमारी गंभीर होती जाती है।
- इस विकार के अधिकांश लक्षण रक्तवाहिनियों, दिल, हड्डियों और आंखों में दिखाई देते है। साथ ही साथ यह त्वचा, नर्वस सिस्टम और फेफड़े को भी प्रभावित करते है।
मार्फन सिंड्रोम के लक्षणों में शामिल है
- हाथों की लकीरों या फिर फिंगरप्रिंट का मिटना- ऐसी स्थिति यदि होती है तो तुरंत ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
- शरीर का लम्बा और पतला होना- यह भी सामान्य लक्षण नहीं होते है यदि आपको ऐसे लक्षण लग रहे है तो तुरंत ही जाँच करवाए।
- हाथ-पांव व उँगलियों का लम्बा हो जाना- इस तरह की स्थिति को अनदेखा न करे इसे गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि इससे सही समय पर स्थिति का पता चल सकेगा।
- रीढ़ की हड्डी का मुड़ा हुआ होना- कोई भी कार्य करते समय रीढ़ की हड्डी में झुकाव आ जाना भी इस सिंड्रोम के कारण हो सकते है।
- जोड़ों में लचीलापन- यदि आपके जोड़ों में लचीलापन आता है तो आपको इसे डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
- पैरों का सपाट होना- यदि आपको लग रहा है की आपके पैर सपाट हो रहे है तो एक बार इसकी जाँच करवाए। ताकि पैरों के सपाट होने के कारणों का सही कारण का पता चल सके।
- दांतो के ऊपर दांत का विकसित होना- दांतो के ऊपर दांत के विकास के कई कारण हो सकते है लेकिन यदि ऐसा होता है तो एक बार इसे जरूर दिखाए। ये मार्फीन सिंड्रोम के कारण भी हो सकता है।
- त्वचा पर स्ट्रेच मार्क्स का दिखाई देना– शरीर के मोटे और पतले होने से स्ट्रेच मार्क होते है लेकिन यदि आपके स्ट्रेच मार्क बिना किसी कारण के हो रहे है तो इसे अनदेखा न करे।
- छाती में गहराई या बाहर की तरफ उभार का आना बह इस समस्या के संकेत हो सकते हैं।
मार्फन सिंड्रोम के कारण: Marfan Syndrome Causes
आनुवंशिक उत्परिवर्तन ही मार्फन सिंड्रोम का मुख्य कारण होता है।
मार्फन सिंड्रोम का उपचार: Marfan Syndrome Treatment
- ऐसा माना जाता है कि मार्फन सिंड्रोम का कोई स्थायी इलाज नहीं है।
- इस बीमारी के उपचार के लिए पीड़ित व्यक्ति को हृदय रोग विशेषज्ञ और आर्थोपेडिक सर्जन की निगरानी में रखा जाता है।
- आर्थोपेडिक सर्जरी या उपकरणों के उपयोग से स्केलेटन विकृति को सीमित किया जाता है।
- कभी कभी जरुरत पड़ने पर रोगी के उपचार हेतु मनोवैज्ञानिक का भी सहारा लिया जाता है।
दे सकती है गंभीर परिणाम
- मार्फन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति को ज्यादा समस्या होती है अगर उसका उपचार सही समय पर नहीं किया जाए।
- सही समय पर इलाज नहीं होने से यह बीमारी बढ़ सकती है और घातक रूप ले सकती है।
- ऊपर दिए गए लक्षणों को पहचान-कर इसका समय पर उपचार करवाए।
मार्फन सिंड्रोम किसे करती है प्रभावित
- मार्फन सिंड्रोम किसी को भी हो सकता है फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष हो कोई भी इससे प्रभावित हो सकता है।
- यह बीमारी लगभग पांच हजार लोगो में से किसी एक व्यक्ति को होती है। सबसे ज्यादा इस बीमारी से पीड़ित वह व्यक्ति होते है जिनके परिवार में कोई व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित हो क्योंकि यह बीमारी अनुवांशिक होती है।
मार्फन सिंड्रोम के निदान: Marfan Syndrome Diagnosis
- मार्फन सिंड्रोम के निदान के लिए डॉक्टर आपके पारिवारिक स्थिति का परीक्षण कर सकता है जिससे रोग की सही जानकारी मिलती है।
- मार्फन सिंड्रोम के निदान की पुष्टि के लिए कुछ मामलों में लक्षणों के द्वारा इसे पहचाना जा सकता है।
इसके अलावा डॉक्टर कुछ टेस्ट भी कर सकता है जैसे
हार्ट टेस्ट
- यदि डॉक्टर को मारफान सिंड्रोम की आशंका होती है तो वह सबसे पहले आपको इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram) के लिए कह सकता है।
- इस तरह के टेस्ट में दिल के रियल टाइम की गति का पता लगाया जाता है। साथ ही इसमें दिल ke वाल्व की स्थिति और महाधमनी के आकार की जांच की जाती है।
- डॉक्टर इसके अतिरिक्त हार्ट के इमेजेज के लिए टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन और Magnetic Resonance Imaging (MRI) भी कर सकता है।
- व्यक्ति को मार्फन सिंड्रोम होता है तो उसे नियमित रूप से इकोकार्डियोग्राम करवाना होता है ताकि वाल्व की स्थिति और महाधमनी के आकार का पता चलता रहे।
नेत्र परीक्षण
डॉक्टर कुछ और भी परिक्षण कर सकता है जिसमे से वह है नेत्र परीक्षण।
- Slit-lamp Exam: इस परीक्षण में लेंस विस्थापन, मोतियाबिंद या एक अलग रेटिना के लिए जांच की जाती है।
- Eye Pressure Test: इसमें डॉक्टर ग्लूकोमा की जांच के लिए एक विशेष उपकरण के साथ आंखों के अंदर दबाव को मापा जाता है। इस परिक्षण में पहले ऑय ड्राप का उपयोग किया जाता है।
आनुवंशिक परीक्षण
- यदि मार्फन सिंड्रोम के लिए उपरोक्त परीक्षणों से अच्छे से निष्कर्ष नहीं निकलता है तो उसके लिए आनुवांशिक परीक्षण सहायक हो सकता है।
- इसके लिए डॉक्टर आपके परिवार वालो से भी बात कर सकता है। इससे वह जानने की भी कोशिश करता है की कई यह सिंड्रोम आपके बच्चों में जाने की कितनी संभावनाएं है?
आज के लेख में आपने जाना मार्फन सिंड्रोम से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को। इसके लक्षणों का ध्यान रखें और इसके लक्षण देखते ही इसका उपचार शुरू कर दें।