Rabies Disease: जानवरों के काटने से होने वाली घातक बीमारी

रेबीज़ एक वायरल बीमारी है। रेबीज़ का वायरस तंत्रिका तंत्र मतलब सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति सामान्य नहीं रह पाता और कई केसेस में तो व्यक्ति की मौत भी हो जाती है|

रेबीज़ कुत्तों या अन्य पशुओं जैसे लोमड़ी, भेड़िया, गीदड़, सियार, चमगादड़, भेड़, घोड़ा, बंदर, बिल्ली और गाय के काटने से होने वाला रोग है। रेबीज़ रोग पालतू जानवर के थूक के संपर्क में आने पर भी हो सकता है।

रेबीज़ के अधिकतर मामले मनुष्यों में कुत्तों के काटने से होते हैं।इस रोग की पहचान केवल लक्षणों की शुरुआत के बाद ही की जा सकती है। दुनिया के कई क्षेत्रों में टीकाकरण कार्यक्रम और पशु नियंत्रण से कुत्तों से रेबीज़ होने का खतरा कम हुआ है।

पहले जब भी किसी व्यक्ति को कुत्ता या बंदर काट लेता था तो व्यक्ति की सूंडी में 14 टीके लगाए लाते थे और ये टीके बहुत ही दर्दनाक होते थे। किन्तु अब समय के साथ उपचार के तरीके में परिवर्तन आ गया है। अब इससे पीड़ित रोगी को केवल एक-दो टीके लगते हैं, और यदि रोग गंभीर हो तो अधिकतम छह या सात टीकों में इलाज पूर्ण होता है| इसकी रोकथाम और नियंत्रण के लिए Rabies Disease के प्रति जागरूकता होना जरुरी है|

Rabies Disease: जानिए इसके लक्षण और उपचार की जानकारी

Rabies Disease

रेबीज़ के कारण होने वाली मौतें

  • रेबीज़ से होने वाली मौतों का क्रम विश्व स्वास्थ्य संगठन की तालिका में बारहवें स्थान पर हैं।
  • विश्व में प्रतिवर्ष जानवरों के काटने के चालीस लाख मामले होते है।
  • साथ ही विश्व में प्रतिवर्ष साठ हजार मौतें इलाज की अज्ञानता अथवा उपचार के अभाव के कारण होती है।
  • एशिया में सर्वाधिक मौतें रेबीज़ से होती है। चार लाख पच्चीस हजार मामले सिर्फ कुत्तों के काटने के होते है।

Rabies Symptoms: रेबीज के लक्षण

  • पीड़ित व्यक्ति कुत्ते की भांति भौंकने लगता हैI
  • रेबीज का शिकार हुए जानवर द्वारा काटे गए व्यकित का दिमागी संतुलन बिगड़ने लगता हैI
  • जिस व्यक्ति को रेबीज हो जाता है वह पानी से डरने लगता हैI
  • गले की मांस पेशियों में खिंचाव उत्पन्न हो जाता हैI
  • इसके अलावा सिर दर्द, बुखार, बेचैनी, भ्रम, नींद ना आना, निगलने में कठिनाई आदि इसके अन्य लक्षण हैं|

रेबीज़ के उपाय

  • यदि कोई पशु काट ले तो उस स्थान को पानी व साबुन से अच्छी तरह धो देना चाहिए।
  • काटे गए स्थान को अच्छी तरह धोने के बाद वहां पर टिंचर या पोवोडीन आयोडिन लगाना चाहिए।
  • इस प्रकार करने से जानवर के लार में पाए जाने वाले कीटाणु सिरोटाइपवन लायसा वायरस की ग्यालकोप्रोटिन की परतें घुल जाती हैं। इससे रोग होने का खतरा खाफी हद तक कम हो जाता है।
  • इतना करने के बाद रोगी को टिटेनस का इंजेक्शन लगवाना चाहिए और अस्पताल ले जाना चाहिए।
  • अस्पताल में काटे गए स्थान पर कार्बोलिक एसिड लगाया जाता है, जिससे अधिकतम कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
  • इसके बाद तीन या दस दिन की अवधि तक इंजेक्शन लगाए जाते हैं जो की चिकित्सक की सलाह पर आवश्यकतानुसार लगाए जाते हैं।
  • इंजेक्शन लगाने की क्रमबद्धता में लापरवाही घातक परिणाम दे सकती है।
  • इस रोग का प्रभाव पशु के काटने के तीन दिन के बाद व तीन वर्ष के अंदर कभी भी हो सकता है।

Home Remedies for Rabies: रेबीज़ के घरेलू उपचार

अखरोट:

अखरोट, प्याज और नमक को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इस मित्रण में थोडा़ शहद मिलाएं। प्रभावित घाव पर यह लेप लगाएं।

लहसुन:

घाव को जल्द ख़तम करने के लिए दिन में तीन बार लहसुन की कली चबाएं।

जीरा:

दो बड़े चम्मच पिसा जीरा ले और उसमें बीस काली मिर्च पीसकर मिलाएं। दोनों पाउडर में पानी मिलाकर लेप बनाएं और प्रभावित हिस्से पर लगाएं। इससे जल्दी घाव भरने में सहायता मिलेगी।

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