Respiratory Infection In Hindi: एक संक्रमण, जो समय के साथ घातक हो सकता है

रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन एक प्रकार का संक्रमण होता है जो कि श्वासनली में होता है। वैसे तो यह इन्फेक्शन किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। परन्तु बच्चे इस संक्रमण की चपेट में ज्यादा आते है।

यह इन्फेक्शन किसी भी मौसम प्रभावित कर सकता है लेकिन यह सर्दियों के मौसम में ज्यादा होता है। जिसके कारण सर्दी-जुकाम और नजले की समस्या बनी रहती है जो कि एक गंभीर समस्या होती है यह गला, नाक और श्वसन मार्ग को प्रभावित करता है।

इस संक्रमण से बचाव बेहद जरुरी है, क्योकि समय रहते इसका उपचार न होने पर यह घातक रूप भी ले सकता है। इसलिए इससे प्रभावित व्यक्ति की उचित देखभाल ज़रुरी होती है।

इस संक्रमण से बचने के लिए इसके बारे में जानकारी होना आवश्यक है। इसके लिए जानते है Respiratory Infection in Hindi.

Respiratory Infection In Hindi: जानिए इसके लक्षण, कारण और बचाव

रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के लक्षण

  • नाक का बहना
  • खांसी
  • गले में जलन
  • खुजलाहट
  • गले में खुजली होना
  • चिड़चिड़ाहट
  • बंद नाक

रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के कारण

वायरल इन्फेक्शन

  • वायरल इन्फेक्शन के कारण श्वसन मार्ग के निचले भाग में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन हो जाता है जो कि गले व् नाक में दिखता है।
  • जबकि छोटे बच्चों में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन श्वास नली, श्वसन मार्ग और फेंफडों में होता है।

साफ सफाई न होने से

  • यदि आपके आसपास साफ सफाई नहीं होती है तो इस कारण भी इन्फेक्शन होने की सम्भावना होती है।
  • इसलिए अपने आसपास सफाई का भी विशेष ध्यान रखे।
  • यदि घर में छोटा बच्चा है तो ध्यान रखे कि उसके कपड़े साफ़ सुथरे होने चाहिए। साथ ही डायपर को भी समय समय पर बदलते रहना चाहिए।
  • आपको बता दे कि कई बार यूरिन आदि की सही तरीके से सफाई ना होने पर भी रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन की समस्या उत्पन्न होती है।

ज्यादा भीगने से

  • ज्यादा भीगने से भी रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन का खतरा रहता है। इसलिए कोशिश करे बारिश के मौसम में बच्चों को ज्यादा भीगने से रोक सकें।
  • बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है जिस कारण बार बार पानी में भीगने से वह इसकी इन्फेक्शन की चपेट में जल्दी आ जाते है।

आसपास के माहौल से

  • जीवाणु भी रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन को बढ़ाने का कार्य करते है।
  • आपको बता दे कि रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन से वह बच्चे ज्यादा प्रभावित होते है। जिनकी नाक बहती रहती है। वह इसकी चपेट में जल्दी आते है।
  • इसके अतिरिक्त यदि किसी व्यक्ति को सर्दी, खांसी और जुखाम है तो उसके संपर्क में आने पर भी यह वायरस दूसरे व्यक्ति को आसानी से प्रभावित कर सकता है। ऐसे संक्रमण से बच्चे जल्दी प्रभावित होते है।

वायरस फैलने के कारण

  • सर्दियों का मौसम ऐसा होता है जब पुरे वातावरण में पॉल्यूशन छाया रहता है। इस तरह ही हवा में वायरस की संख्या ज्यादा होती है। जिस कारण व्यक्ति अधिक संख्या में बीमार पड़ता है।
  • भीड़भाड़ वाले स्थान पर भी इस प्रकार की समस्या ज्यादा होती है जब कोई व्यक्ति खांसता- छींकता है तो ऐसे वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक बहुत आसानी से पहुँच जाते है।

रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के बचाव

साफ कपडे का प्रयोग

  • जितना हो सके कपडे, रुमाल आदि उपयोग वाली चीजों को साफ़ रखे।
  • बच्चों को भी साफ़ कपडे ही पहनाये।

तुलसी और शहद का सेवन

  • तुलसी और शहद का सेवन एक घरेलु औषधि है जो कि संक्रमण के लिए बहुत ही असरकारी होती है।
  • तुलसी में इन्फेक्शन को ख़त्म करने की क्षमता होती है और शहद प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने का कार्य करता है।
  • रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन से बचने के लिए तुलसी के रस में शहद को मिलकर इसका सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से राहत मिलती है।

नमक का पानी

  • इस संक्रमण से बचाव में नमक का पानी भी असरकारी होता है।
  • यदि गले में खुजली या फिर खिचखिच हो रही है तो हल्के गर्म पानी में नमक को मिलाकर उसका गरारा करने से राहत मिलती है।

वेक्सिन द्वारा उपचार

  • रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन की समस्या बढ़ जाने पर वेक्सिन द्वारा उपचार भी किया जाता है।
  • इसके उपचार से रोगी को फायदा होता है।

इसके अतिरिक्त अन्य उपाय

  • रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन की समस्या ठण्ड और बारिश के समय ज्यादा होती है इसलिए जितना हो सके ठण्ड और बारिश से अपने आपको और बच्चो को बचा कर रखे।
  • जैसे ही मौसम में बदलाब आये तो उससे भी बच्चों का विशेष ख्याल रखे, क्योंकि बदलते मौसम में बच्चे ज्यादा बीमार होते है। हो सके तो बाहर निकलते समय पूर्ण रूप से शरीर को ढक कर रखे।
  • संतुलित आहार का सेवन करे यह भी मौसम में संक्रमण वाले रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। विटामीन C और प्रोटीन से भरपूर आहार अवश्य ले।
  • अमरुद्ध, खजूर, टमाटर, पालक का सेवन बहुत ही लाभकारी होता है इसलिए मौसम में मिलने वाले फल और सब्जियों का उचित मात्रा में सेवन जरूर करे।
  • छींकते समय नाक पर रुमाल का उपयोग जरूर करे।
  • प्रतिदिन योग और व्यायाम भी कर सकते है। यह आपको स्वस्थ रखने में मदद करेगा और इसे करते रहने से प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होगा।
  • सर्दी, जुखाम, बुखार के ज्यादा बढ़ने पर डॉक्टर से जरूर संपर्क करे, ताकि समय पर ही इस समस्या का उपचार हो सके।

ऊपर दी गई जानकारी को ध्यान में रखे और अपने बच्चो की सही देखभाल करे ताकि वह बीमार न पड़े साथ ही स्वयं का भी ध्यान दे।

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