Shadow Diseases – इन स्वास्थ्य समस्याओ को कभी ना करे अनदेखी

आपने देखा होगा की कई बीमारियां जोड़ो मैं चलती है| इसके पीछे का निश्चित कारण विशेषज्ञों को भी नहीं पता है| चिकित्सो की माने तो एक ऐसा मरीज़ जिसे कोई बीमारी है उसे दूसरी ऐसी बीमारी हो जाती है, जिसका पहली बीमारी से कोई रिलेशन नहीं होता है| और तो और दूसरी बीमारी पहले वाले से ज्यादा खतरनाक भी होती है|

इस तरह की बीमारी को शैडो डिजीज कहते है| शोधकर्ताओ का इस बारे में शोध जारी है की आखिर क्यों दो बीमारिया पेयर्स मे हो रही है| कुछ शोधों के अनुसार इस कपलिंग के होने के पीछे कई कारण हो सकते है|

कुछ मामलो मैं एक बीमारी के चलते जो नुकसान होता है उससे दूसरी बीमारी हो जाती है| कुछ मामलो मैं कमजोर जीन्स, स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही जैसे धूम्रपान करना, व्यायाम न करना एक समस्या होने के बावजूद भी दूसरी समस्या पैदा कर देती है|

लेकिन यदि आप सचेत हो, तो दो बीमारियो के बीच के कनेक्शन को जानकर, समझकर, दो बीमारियों को होने से रोक सकते है। आइये जानते है कुछ Shadow Diseases पर नजर डालते है|

Shadow Diseases – ऐसी बीमारियां जो साथ में होती है

Shadow Diseases

माइग्रेन

शैडो डिजीज: स्ट्रोक या दिल का दौरा

यदि आपको नियमित रूप से माइग्रेन दर्द होता है (और विशेषकर यदि आपको माइग्रेन की वजह से दूसरे सेंस ऑर्गन्स में यदि कोई प्रॉब्लम हो रही हो) तो आपका चिकित्सक आपको शायद दिल का दौरा या स्ट्रोक आने की संभावना को लेकर सचेत कर सकता है|

खेर आपको ज्यादा परेशान होने की जरुरत नहीं है, अभी के निष्कर्षों के अनुसार, विशेषज्ञ इस बात को बेहतर समझते हैं की किस माइग्रेन पीड़ित को ह्रदय संबंधित बीमारी हो सकती है|

किसी भी चीज़ के होने की फ्रीक्वेंसी बहुत मायने रखती है। यदि आपको एक महीने में माइग्रेन की समस्या होती है| तो जिन लोगो को माइग्रेन नहीं है उनकी तुलना में आपको दिल का दौरा पड़ने की संभावना 50% अधिक होती है| यदि आपको हर हफ्ते इसकी समस्या होती है तो जिन लोगो को इसकी समस्या नहीं है उनकी तुलना में इसके होने का जोखिम 3 गुना है| यह अध्ययन हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में एक सहायक प्रोफेसर टोबियास कुर्थ एमडी द्वारा किया गया है|

खुद को सुरक्षित कैसे रखे

रिसर्च से अब तक यह बात सामने नहीं आई है की माइग्रेन को रोकने से स्ट्रोक या दिल का दौरा जैसी बाधाए कम हो जाती है| लेकिन नेशनल स्ट्रोक एसोसिएशन के अनुसार, अपनी हृदय प्रणाली को स्वस्थ रखकर आप ह्रदय सम्बंधित संभावनाओ को दूर कर सकते है|

इसके लिए आपको कई सारे खतरों पर नियंत्रण रखना होगा जैसे की उच्च कोलेस्ट्रॉल, मोटापा आदि| शराब से दुरी, अच्छी डाइट और व्यायाम से आप ऐसा कर सकते है|

उच्च रक्त चाप

शैडो डिजीज: मधुमेह

चिकित्सक इस बात को लेकर बहुत आश्चर्य करते है की उच्च रक्तचाप और मधुमेह एक दूसरे से कैसे संबंधित हैं| क्योंकि यह दोनों अक्सर एक साथ दिखाई देते हैं, विशेष रूप से मोटापे से ग्रस्त रोगियों में|

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और ब्रिघम महिला अस्पताल द्वारा 10 साल तक 38000 महिलाओ पर शोध करने के बाद पाया की जिन महिलाओ को लगातार उच्च रक्तचाप बना होता है उन महिलाओ में मधुमेह होने की सम्भावना दोगुनी होती है| और आश्चर्य की बात तो यह है की जैसे जैसे रक्तचाप बढ़ता जाता है, मधुमेह का खतरा भी बढ़ता जाता है|

खुद को सुरक्षित कैसे रखे

यदि आपको उच्च रक्तचाप की थोड़ी सी भी समस्या है तो आपको मधुमेह के लिए परीक्षण जरूर करवा लेना चाहिए| आप अपनी जीवन शैली में थोड़ा सा बदलाव लाकर मधुमेह की शुरुआत होने से रोक सकते है|

अपने शारीरिक गतिविधि में वृद्धि करे, अतिरिक्त वजन को कम करने की कोशिश करे, आहार में नमक की मात्रा कम करे,सिगरेट पिने की आदत हो तो उसे छोड़ दे, इसके अलावा आप अपने डॉक्टर से भी कंसर्न कर सकते है|

दमा

शैडो डिजीज: अवसाद और चिंता विकार

कुछ अध्यनो के अनुसार अस्थमा और अवसाद चिंता सहित कई मनोवैज्ञानिक समस्याओ के बिच कोई न कोई संबंध जरूर है| वर्ष 2004 में, सीडीसी ने घोषणा की थी की 18% मरीज जिन्हें अस्थमा था उनमे डिस्ट्रेस की भी समस्या देखने को मिली|

“इस लिंक के बारे में 20 साल तक वैज्ञानिकों द्वारा बहस की गई है, लेकिन पिछले डेढ़ दशक में यह इस बात को स्वीकार्य कर लिया गया”; ब्रूस जी बेंडर,  पीएचडी, जो की कोलोराडो स्वास्थ्य विज्ञान केंद्र के विश्वविद्यालय में मनोरोग विज्ञान के प्रोफेसर है|

खुद को सुरक्षित कैसे रखे

यदि आपको दोनों में से कोई भी एक जैसे या तो अस्थमा या मानसिक स्वास्थ्य समस्या, या फिर कोई और समस्या होने का भी संदेह है तो बिना देर की आपको परीक्षण करवाना चाहिए| किसी भी बात की पुष्टि होने पर हम इन बीमारियों से खुद की मदद कर सकते है|

ऊपर आपने देखा कि कैसे एक बीमारी होने पर दूसरी बीमारी भो हो जाती है| इसलिए अपने स्वास्थ्य के प्रति बिलकुल भी लापरवाही न बरते| किसी भी तरह की बीमारी के संकेत मिलने पर जल्द से जल्द परिक्षण करवाना चाहिए| ताकि आप सही इलाज करके दूसरी बीमारी को होने से रोक ले|

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