कमज़ोरी के कारण शरीर बीमारिओ का घर बन जाता है लेकिन यदि हम थोड़ा सा सतर्क रहे और आयुर्वेद को अपनाए तो हम अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते है। साथ ही शरीर का कायाकल्प करने में भी आसानी होती है।
संतुलित आहार के साथ त्रिफला का उपयोग करने से हृदय रोग, उच्च-रक्तचाप, मधुमेह, नेत्र रोग, पेट के विकार और मोटापा आदि होने की संभावनाओ को कम किया जा सकता है। आयुर्वेद की महान देन त्रिफला से हमारे देश के आम नागरिक तो परिचित है। कभी न कभी कब्ज दूर करने के लिए आपने भी इसका इस्तेमाल ज़रूर किया होगा।
त्रिफला चर्न हुमारे शरीर का कायाकल्प कर सकता है, ज़रूरत है उसके नियमित अभ्यास की, क्योकि वर्षो तक किया गया त्रिफला का नियमित सेवन शरीर को स्वस्थ और दीर्घायु बनाए रखता है।
यह 20 प्रकार के कुष्ट रोग, विषम ज्वर और सूजन को नष्ट करता है। अस्थि, केश, दाँत और पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। इसका नियमित सेवन शरीर को सक्षम, फुर्तीला और असमय बुढ़ापे से बचाता है। यह हर आयु वर्ग के लिए उपयुक्त है, तो आइए जाने त्रिफला के फायदे।
जाने त्रिफला के फायदे और इस्तेमाल के तरीके
त्रिफला चूर्ण बनाने का तरीका
त्रिफला या त्रिफला चूर्ण भूरे रंग का होता है। जो आमला, हरड़ और भेदा को मिलाकर बनाया जाता है। त्रिफला का शाब्दिक अर्थ है “तीन फल”, एक भाग हरड़, दो भाग बहेडा और चोथा भाग आमला का मिश्रण होता है। इन तीनो को धूप में सुखाकर महीन पीस ले और कपड़े से छानकर काँच की शीशी में भरकर रख ले। इसमे कड़वा, खट्टा, तीखा, मीठा और नमकीन सभी रस होते है। आइए जानते है Triphala Churna Benefits.
वसा कम करे
यह पाचन और भूख को बड़ाने, लाल रक्त कणिकाओं की संख्या में वृद्धि करने और शरीर में अवांछनीय वसा की मात्रा को कम करने में सहयोग करता है। मुंह में घुलने पर त्रिफला रक्त के जमाव और सिरदर्द को दूर करता है। इसके अन्य फायदों में त्वचा का रंग और टोन का सुधार भी शामिल है। त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।
नेत्रा प्रक्षालन
तांबे के लोटे या मिट्टी के पात्र में पानी डालकर उसमे 2 चम्मच त्रिफला चूर्ण रात के समय में भिगोकर रख दे। सुबह कपड़े से छानकर उस पानी से आँखो को धोए। यह आँखो के लिए बहुत ही लाभप्रद होता है। इससे आँख स्वस्थ और दृष्टि शुष्म होती है। आँखो की जलन, लालिमा आदि तकलीफ़ भी दूर होती है।
छन जाने के बाद बचे हुए त्रिफला की लुगदी को बालो में लगा ले। आधा घंटे बाद बालो को धो ले, ऐसा करने से बाल मजबूत होते है और पकते भी नही है। गाय का घी और शहद के मिश्रण के साथ त्रिफला का सेवन आँखो के लिए वरदान स्वरूप है।
कुल्ला करना
त्रिफला को रात भर पानी से भिगोकर रखे। सुबह मंजन के बाद इस पानी को मूह में कुछ देर तक भरकर रखे और थोड़ी देर बाद निकल दे। इससे दाँत और मसूड़े वृद्धावस्था तक मजबूत रहते है। इससे मूह की दुर्गंध और छाले भी बिल्कुल ठीक हो जाते है।
कब्ज में
यह एक आयुर्वेदिक औषधि है। जिसका ख़ासकर उपयोग कब्ज दूर करने के लिए किया जाता है। रात्रि को सोने से पूर्व 5 गम त्रिफला चूर्ण का गुनगुने पानी या दूध के साथ लेने से कब्ज दूर होकर पेट साफ करता है। कब्ज दूर करने के लिए इसबगोल 2 चम्मच के साथ त्रिफला चूर्ण मिलाकर गुनगुने पानी से लेना अच्छा रहता है।
अन्य त्रिफला चूर्ण के अन्य लाभ
- त्रिफला चर्न 5-5 ग्राम लेने से दाद, खाज, खुजली और चर्म रोग में लाभ पहुँचता है।
- मुत्र संबंधी समस्या और मधुमेह में यह फयदेमंद होता है।
- त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक-एंटीसेप्टिक की ज़रूरत नही होती है। घाव जल्दी भर जाता है।
- शहद के साथ इसका इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधित रोग दूर हो जाते है।
- त्रिफला रोगो से मुक्ति दिलाता है और जीवन शक्ति को बढ़ाता है। इससे पेट साफ होता है और गहरी नींद आती है। सुबह-सुबह ताजे पानी के साथ इसका सेवन बहुत लाभकारी होता है।
जाने त्रिफला को लेने का सही समय
सुबह अगर त्रिफला लेते है तो उससे “पोशक” कहते है, क्योकि सुबह इसका सेवन शरीर को पोषण देता है जैसे शरीर में विटामिन, आइरन, कैल्शियम आदि की कमी को पूरा करता है। सुबह के समय इसका सेवन आप गुड के साथ भी कर सकते है।
रात में इसे लेते है तो उससे ”रोचक” कहते है, क्योकि रात को त्रिफला लेने से पेट की सफाई तथा कब्ज इत्यादि का निवारण होता है। रात में इसे गर्म दूध के साथ लेना चाहिए।
इसमे कोई दो राय नही है की त्रिफला के फायदे अनमोल है। इसका नियमित सेवन शरीर के लिए असरदारी और फयदेमंद होता है।