महाराष्ट्र के माहुर की पहाड़ियों में माँ रेणुका का मंदिर है। यह मंदिर शक्ति पीठों में से एक माना जाता है।
नवरात्रि के पावन पर्व पर माँ रेणुका के दर्शन के लिए लाखों भक्त दर्शन के लिए यहाँ पर आते है। ग़ौरतलब है कि शक्तिपीठों का पौराणिक कथाओं में अलग ही महत्व बताया गया है।
यह मंदिर यवतमाल व नांदेड़ जिले की सीमा पर स्थित माहुर में है। इस मंदिर के बारे में कई किवदंतियां है।
माँ रेणुका हिन्दू धर्म में सप्तर्षि में से एक जमदग्नि ऋषि की पत्नी बतायी गयी हैं। और कहा जाता है की इनके ही पुत्र परशुराम ने इनका वध किया था। आज के लेख में हम आपको Renuka Mata Story in Hindi बता रहे है ।
Renuka Mata Story: जानिए रेणुका माता की कहानी और प्रसिद्ध मंदिर
कौन है माता रेणुका
माता रेणुका जमदग्नि ऋषि की पत्नी थी। माँ रेणुका के पांच पुत्र थे – रुमण्वान, सुषेण, वसु, विश्वावसु तथा परशुराम। भगवान परशुराम जग के पालनहार भगवान विष्णु के अवतार माने जाते है।
परशुराम ने क्यों किया था अपनी ही माता का वध माँ रेणुका के बारे में एक कथा प्रचलित है। रेणुका माता रोज़ाना नदी से पानी भरकर लाया करती थी। इसके बाद माता रेणुका के स्वामी जमदग्नि ऋषिमुनि स्नान करने के लिए जाते थे। स्नान हो जाने के बाद भगवान शंकर की पूजा अर्चना किया करते थे।
मगर एक दिन माँ रेणुका पानी लाने में लेट हो गई थी। तभी जमदग्नि ऋषि को यह आभास हुआ कि उनका ब्राह्मणत्व खत्म हो गया है। इस बात का आभास होने पर उन्होंने अपने पुत्रो को आदेश दिया कि अपनी माता का सिर काट दो। मगर उन सभी में से उनके चार पुत्रो ने अपने पिता के इस आदेश का आज्ञा का पालन नहीं किया।
मगर भगवान परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी माँ रेणुका का सिर काट दिया था। इस तरह पिता की आज्ञा का पालन करने पर उनके पिता उनसे बहुत ही संतुष्ट हुए और उन्होंने भगवान परशुराम को वरदान मांगने के लिए कहा। उन्होंने अपने पिता से तीन वरदान मांगे –
1. माँ पुनर्जीवित हो जाएँ
2. उन्हें मरने की स्मृति न रहे
3. भाई चेतना-युक्त हो जाए
इन सब वरदान को देते हुए उनके पिता ने उनसे कहा कि एक वरदान पूरा नहीं हो सकता है। में तुम्हारी माता रेणुका को जीवित नहीं कर सकता हुं। यह प्रकृति के नियम के विरुद्ध है। मगर 21 दिन के अंदर तुम्हारी माँ रेणुका दर्शन देंगी।
माँ रेणुका का मंदिर मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के समीप छैगांवदेवी में है। यहाँ पर चतुर्दशी के दिन माँ रेणुका स्वयं प्रकट होती है। इस दिन माँ की प्रतिमा एक फ़ीट हो जाती है। इस दिन माँ रेणुका का दर्शन करने का बड़ा ही उत्तम महत्व है। इस मंदिर में लाखों भक्तगण अपनी मनोकामना को लेकर माँ के दरबार आते है।
इस मंदिर में 500 वर्ष पहले माँ रेणुका की प्रतिमा स्वयं स्थापित हुई थी। माँ रेणुका के साथ ही साथ माँ बिजासनी, माँ हिंगलाज, माँ शीतला और माँ खांखली इन सब की भी प्रतिमा स्थापित है।
ठीक हो जाते है रोगी
इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि माँ रेणुका को जल से स्नान कराने के बाद वह जल किसी भी रोगी इंसान को लगाया जाता है तो वह रोगी इंसान ठीक हो जाता है। इसी आस्था के चलते यह पर अनेक भक्तगण आते है और अपने रोगों से निजात पाते है। इसलिए यह मंदिर लाखों भक्तगण के आस्था का केंद्र बन गया है।
छह देवियां हुईं थी प्रकट
यहाँ के लोगों का कहना है कि यहां पर छह देविया प्रकट हुई थी। इसलिए इस गांव का नाम छैगांवदेवी है। अब यहां पर केवल पांच ही देवी की प्रतिमा स्थापित है। माँ भवानी यहां से चली गई है। गांव के लोगों का कहना है कि माँ ने अनके चमत्कार दिखाए है।
कभी पिंडी से निकलता है कुमकुम तो कभी बजती हैं घंटिया
यहां के लोगों का कहना है कि माँ के पिंडी से कुमकुम निकलता है। या फिर कभी मंदिर की घंटी अपने आप ही बजना चालू हो जाती है। गांव के लोगों का ऐसा कहना है की यह सब होना माँ को शुभ संकेत देता है। जो भी इंसान सच्चे दिल से माँ की आराधना करता है। उसकी सभी मनोकामना को माँ पूर्ण कर देती है।