Baby Vaccinations in Hindi: टीकाकरण करवाए और शिशु को बीमारियों से बचाये

आजकल कई प्रकार की बीमारियाँ शरीर को अपनी चपेट में ले रही है। जिनका समय पर उपचार करना आवश्यक हो गया है नहीं तो जिंदगी भर उन बीमारियों से जूझना पड़ता है।

हमारे शरीर में संक्रमणों से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली होती है। जो कि शरीर को संक्रमण होने से बचाने में मदद करता है। प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर में एंटीबॉडीज अर्थात रसायनों को उत्पन्न करता है। जिसके कारण शरीर बीमारियों से बचा रहता है।

प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने और शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए बचपन में ही टीके लगवाए जाते है। शिशु को टीकाकरण करवाना बहुत ही आवश्यक होता है। सरकार द्वारा राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस भी मनाया जाता है जो कि प्रतिवर्ष 16 मार्च को होता है और विश्व टीकाकरण दिवस प्रतिवर्ष 10 नवम्बर को मनाया जाता है।

हर माता पिता को जानकारी होनी चाहिए कि उसने शिशु को समय समय पर कौन कौन से टीके लगवाने चाहिए और क्यों लगवाने चाहिए। जानते है Baby Vaccinations in Hindi.

Baby Vaccinations in Hindi: जानिए इसका महत्त्व, प्रकार और सावधानियां

टीकाकरण का महत्त्व

  • टीकाकरण करवाने से शिशु को आगे जाकर होने वाली कई बीमारियों से बचाया जा सकता है।
  • जब बच्चा छोटा होता है तो उसमे प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास हो रहा होता है। प्रतिरक्षा प्रणाली के विकास होने तक उसे टीके के जरिए रोगों से बचाया जाता है।
  • टीकाकरण के जरिये शिशु को गंभीर बीमारियों के खिलाफ प्रतिरक्षित किया जाता है क्योंकि यदि शिशु को टीका लग चुका है तो उसे बीमारी होने की संभावनाएं कम हो जाती है। इसलिए ही शिशु के शरीर में एंटीबॉडीज का उत्पादन होना आवश्यक होता है।
  • टीकाकरण के जरिये माहमारी जैसे चेचक, पोलियो आदि बीमारियाँ पूरी तरह से समाप्त हो जाती है।

टीकाकरण के प्रकार

मुख्यतः टीकाकरण को तीन प्रकारो में बाटा गया है जैसे – प्राथमिक टीकाकरण, बूस्टर टीकाकरण और सार्वजनिक टीकाकरण। आईये जानते है इसे विस्तार से।

प्राथमिक टीकाकरण

  • इस टीकाकरण में 1-5 खुराके होती है। जिनको शिशु के जन्म से ही दिया जाता है और यह शुरूआती कुछ सालों तक चलती रहती है।
  • इस टीकाकरण के द्वारा किसी विशेष बीमारी के प्रति शिशु के शरीर में प्रतिरक्षण क्षमता को विकसित किया जाता है। इसलिए इस टीकाकरण को करवाना बहुत ही ज़रुरी होता है।

बूस्टर टीकाकरण

  • प्राथमिक टीकाकरण के प्रभाव में वृद्धि करने के लिए बूस्टर टीकाकरण की खुराके मदद करती है।
  • जैसे जैसे वक्त गुजरता है शिशु के शरीर में एंटीबॉडीज के स्तर में कमी आने लगती है।
  • जिसके कारण शरीर में बीमारियाँ होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। इसलिए बूस्टर टीकाकरण करना जरूरी हो जाता है ताकि एंटीबॉडीज के स्तर को बनाए रखा जा सके।

सार्वजनिक टीकाकरण

  • सार्वजनिक टीकाकरण का उद्देश्य किसी विशेष बीमारी को पूर्ण रूप से ख़त्म करने के लिए होता है।
  • यह टीकाकरण सरकार द्वारा जनता के स्वास्थ्य कल्याण हेतु चलाया जाता है। इस टीकाकरण के जरिये चेचक और पोलियो जैसी गंभीर बीमारियों को जड़ से ख़त्म करने का प्रयास होता है। इस तरह के कार्यक्रम को सरकार प्रतिवर्ष समय समय पर करती रहती है।

सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम के जरिये निम्न टीके लगवाए जाते है जैसे-

  • रुबेला
  • पोलियो
  • टिटनस
  • डिप्थीरिया
  • तपेदिक (टी.बी.)
  • काली खाँसी (पर्टुसिस)
  • खसरा (मीजल्स)
  • कंठमाला का रोग (मम्प्स)
  • मोतीझरा (टाइफाइड)
  • हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस बी
  • जठरांत्र शोथ या गैस्ट्रोएंट्राइटिस (रोटावायरस)

शिशु को भविष्य में होने वाली उपरोक्त बीमारियों से बचाने के लिए इनके टीके लगवाना अनिवार्य होता है। इसलिए इन टीको के बारे में जानकारी रखे।

कुछ बीमारियों के टीके लगावाना वैकल्पिक होता है, जैसे कि-

  • इनफ्लूएंजा
  • न्युमोकोकस
  • मेनिंगोकोकल मेनिन्जिटिस
  • छोटी माता/ छोटी चेचक (चिकनपॉक्स)

कितना सुरक्षित है टीकाकरण करवाना ?

  • आपको बता दे कि टीकाकरण आपके शिशु के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित होता है। विशेषज्ञों की राय में टीकाकरण ज़रूर करवाना चाहिए।
  • यह भी बता दे कि टीकाकरण के उपयोग से पहले टीकों की सभी और सही जाँच की जाती है। इस पर पूरी तरह से ध्यान रखा जाता है।
  • इस बात की भी जाँच की जाती है कि यह टीका शिशु के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित और असरकारी है या नहीं।

टीकाकरण होने के कुछ समय तक आपको वही पर रहने के लिए भी बोलते है ताकि डॉक्टर यह देख सके कि आपके शिशु को इंजेक्शन का कोई दुष्प्रभाव तो नहीं हो रहा है। यदि होता है तो वह उसी समय उसकी जाँच कर सकते है।

कैसे करें अपने शिशु को टीकाकरण हेतु तैयार

आपको तो पता ही होगा कि बच्चे इंजेक्शन के को देखते ही डर जाते है और रोने लगते है। जिसके कारण भी कई माता पिता टीकाकरण का विचार मन से निकाल देते है। ऐसा करना ठीक नहीं होता है। इसके जगह पर आप अपने बच्चे को टीके के लिए तैयार करने के कुछ उपाय कर सकते है जैसे की-

  • टीकाकरण के दौरान अपने बच्चे के ध्यान को कहीं दूसरी तरफ लगाने का प्रयास करे या फिर उसे उसकी पसंद का खिलौना भी दे सकते है।
  • आपका बच्चा यदि थोड़ा समझने लगा है तो इसे इस बात का अहसास कराये की इंजेक्शन से ज्यादा दर्द नहीं होता है। साथ ही उसे अपनी बातों में लगा कर रहे।

टीके के उपरान्त रखे इन बातों का ध्यान

  • शिशु को टीका लगने के बाद यदि सूजन आती है तो इंजेक्शन वाले स्थान पर ठंडे पानी की पट्टी या फिर बर्फ से सिकाई कर सकते है।
  • यदि बच्चे को पोलियो की खुराक दी गयी है तो उसके तुरंत बाद बच्चे को स्तनपान भी करा सकते है।
  • यदि टीका लगने के बाद शिशु को बुखार या फिर कोई एलर्जी होती है तो डॉक्टर को दिखा कर ही कोई दवाई ले।
  • कभी कभी बीसीजी के टीके के कारण शिशु को फफोले पड़ जाते है यदि आपके शिशु को भी बीसीजी के टीके लगने के बाद फफोले पड़ रहे है तो इसमें घबराने की जरुरत नहीं होती है।
  • शिशु को इंजेक्शन के द्वारा जो टीके दिए जाते है उनसे शिशु को कुछ समस्याएं हो सकती है जैसे कि वह अस्वस्थ या फिर थोड़े से चिड़चिड़े हो जाते है। तो इससे भी परेशान न हो।

अपने शिशु को टीकाकरण ज़रूर करवाए चाहे आप अपने कामों में कितना भी व्यस्त हो । यह आपके बच्चे के भविष्य के लिए बहुत ही आवश्यक है। इसलिए समय समय पर टीका ज़रूर लगवाए और अपने बच्चे को गंभीर बीमारियों से सदा के लिए दूर रखे।

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