कभी कभी आपने देखा होगा की किसी किसी को अचानक ही दौरे पड़ने लग जाते हैं। ऐसा होने पर उस व्यक्ति के हाथ पैर या फिर शरीर का कोई भी एक भाग लगातार तेजी से हिलने लग जाता है। बता दे कि ऐसा एपिलेप्सी (Epilepsy) के कारण ही होता है।
आपको आज के इस लेख में हम इसी एपिलेप्सी के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।यह एक गंभीर समस्या होती है और इस बारे में आपको पूरी जानकारी होना बहुत ज़रूरी होती है।
एपिलेप्सी को हिंदी भाषा में मिर्गी की समस्या के नाम से भी जाना जाता है। मिर्गी एक तंत्रिका सम्बन्धी विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) होता है। इस बीमारी में रोगी को बार-बार दौरे आते है। दौरे पड़ने की समस्या मस्तिष्क में किसी गड़बड़ी के कारण होती है। इसके कारण रोगी का दिमागी संतुलन पूर्ण रूप से गड़बड़ा जाता है साथ ही शरीर भी लड़खड़ाने लगता है।
इसका असर शरीर के किसी भी एक भाग पर हो सकता है। हालाँकि दौरे के लक्षण अलग अलग हो सकते है जैसे कि हाथ- पैरो में झटके आना, गिर पड़ना, बेहोशी आना आदि। इस तरह के लक्षण अन्य बीमारियों में भी हो सकते है इसलिए इसके बारे में ख़ास कर के जानना जरूरी होता है। आइये जानते है Epilepsy Symptoms के बारे में।
Epilepsy Symptoms: जाने मिर्गी की समस्या के कारण, लक्षण और सावधानियां
एपिलेप्सी क्या है: What is Epilepsy?
- मिर्गी एक तरह की गंभीर बीमारी होती है जिसमे व्यक्ति अनुत्तेजित होने लगता है साथ ही रोगी को बार बार दौरे भी पड़ते है।
- ऐसा रोगी के मस्तिष्क के इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी के टूट जाने की वजह से होता है।
- यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। परन्तु इसकी चपेट में ज्यादातर बच्चे और वयस्क आते हैं इसीलिए इनमें यह ज्यादा देखी जाती है।
- डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पूरी दुनिया में 5 करोड़ लोग मिर्गी से पीड़ित हैं।
मिर्गी के प्रकार: Types of Epilepsy
- मिर्गी के दौरे 2 प्रकार के होते हैं।
- पहले प्रकार के दौरे को सामान्यीकृत दौरा (Generalized seizures ) कहा जाता है। इस दौरे में सम्पूर्ण मस्तिष्क प्रभावित हो जाता है।
- जबकि दूसरे प्रकार के दौरे को फोकल या आंशिक दौरा (Focal/ Partial Seizures) कहा जाता है। इस तरह के दौरे में दिमाग का केवल एक हिस्सा ही प्रभावित होता है। यह दौरा आने पर रोगी अचेत हो कर कुछ सेकेंड तक वह किसी को भी पहचान नहीं पाता है।
मिर्गी के कारण: Epilepsy Causes
मिरगी के दौरे का मुख्य कारण दिमागी कमज़ोरी होती हैं और कमज़ोरी का कारण आनुवंशिक या किसी अन्य वजह से भी हो सकती है। इसके अलावा मिर्गी के दौरे आने के अन्य कारण भी हो सकते है। जैसे –
- मस्तिष्क में संक्रमण का होना
- दिमागी बुखार आना
- गर्भावस्था की जटिलताओं के कारण से माता को गर्भावस्था में हुए दिमागी संक्रमण की वज़ह से
- सामान्यत: यह रोग मस्तिष्क की कमज़ोरी की वजह से होता है
- मस्तिष्क में खून का थक्का जम जाने या रक्तस्राव होने के कारण भी यह होता है
- मस्तिष्क में चोट लगना
- बहुत तेज बुखार या गंभीर बीमारी का होना
- 35 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्तियों में स्ट्रोक का होना
- ब्रेन ट्यूमर या सिस्ट
- डिमेंशिया या अल्जाइमर रोग
- अन्य संवहनी रोग
- मस्तिष्क में चोट लगने के बाद दिमाग पर निशान पड़ना
- मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी होना
- अनुवांशिक या तंत्रिका संबंधी रोग
- मस्तिष्क विकृति या जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी होना
Epilepsy Symptoms in Hindi (मिर्गी के लक्षण)
- मुंह से झाग निकलना।
- मरीज का अर्धमूर्छित होना।
- होठ और चेहरा नीला पड़ जाना
- कुछ मरीज जीभ को दांतों से चबा लेते हैं
- बिना बुखार के शरीर में ऐंठन या कंपकंपी आना
- बेहोशी और शरीर का झुक जाना
- यादाश्त कमजोर होना या भ्रमित स्मृति का होना
- ब्लैडर पर नियंत्रण न रहना औऱ अत्यधिक थकावट
- बांहों, पैरों और शरीर में तेजी से झटके आना
- कुछ देर तक रोगी अचेत अवस्था में रहता है और किसी बात का जवाब नहीं देता है
- बिना किसी कारण अचानक ज़मीन पर गिर जाना
- अचेत अवस्था में होठों को चबाना
मिर्गी के अन्य लक्षण भी दिखाई दे सकते है जैसे –
- नींद संबंधी विकार, बुरे सपने आना
- मिर्गी के लक्षण के साथ साथ अधिक बुखार
- एकटक देखना
- चक्कर आना
- अंगो का झुकाव
- दुर्लभ मनोवैज्ञानिक बीमारी और दौरे पड़ना
- शरीर अकड़ जाना
- जीभ कट जाना
- पेशाब से कपड़े गीले हो जाना
- दौरे पड़ने पर मांसपेशियाँ कठोर हो जाना और अकड़ जाना
उपरोक्त लक्षणों के दिखने पर तुरंत ही डॉक्टर को दिखाए। इन लक्षणों को अनदेखा न करे
बचाव
मिर्गी के लक्षणों को पहचान कर उससे कुछ हद तक बच सकते है।
- मिर्गी आने पर लहसुन या गुलाब की गंध सूंघते है इससे मिर्गी से राहत मिलती है।
- जब भी चिड़चिड़ापन या सिर भारी हो तो उस समय दवा की अतिरिक्त खुराक लेकर भी इस समस्या से कुछ हद तक बचा जा सकता है।
- यदि मिर्गी के लक्षण अनुभव हो तो घर से बाहर निकलने से बचे।
- एल्कोहल का सेवन न करें
- मिर्गी की समस्या में वाहन न चलाएं।
- 7-8 घंटे की नींद पूरी लेना जरूरी है
- मिर्गी रोगी को तैराकी, खतरनाक मशीनों से कार्य करने से बचे
- व्रत न रखें
- देर रात तक भी ना जागें
- नियमित रूप से समय पर दवा का सेवन ज़रूर करें
- समय समय पर डॉक्टर से परामर्श करे और जब तक डॉक्टर न कहे उपचार बंद न करें।
उपचार
- मिर्गी रोग का उपचार लाइलाज नहीं है लेकिन रोगी को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए और समय पर उचित उपचार करना भी ज़रूरी है।
- मिर्गी रोग विशेषज्ञ से रोगी को ज़रूर सलाह लेनी चाहिए। व्यक्ति के स्वास्थ्य एवं लक्षणों के अनुसार ही डॉक्टर यह अंदाजा लगा सकता है कि कौन सा टेस्ट इस बीमारी के निदान में मदद कर सकता है।
- मिर्गी के उपचार के लिए डॉक्टर रोगी के ब्लड की जाँच भी कर सकते है
दौरे की स्थिति में क्या करना चाहिए
- यदि रोगी को मिरगी का दौरा आता है तो उसे तुरत ही डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।
- इसके अलावा रोगी को ज़मीन पर या समतल स्थान पर करवट की सहायता से लिटाना चाहिए और उसकी गर्दन को एक तरफ मोड़ देना चाहिए ऐसा करने से रोगी के मुंह में जमा लार और झाग बाहर निकल जाते है।
- इस बात का भी ध्यान रखे कि रोगी के पास से तेज, नुकीली, फर्नीचर, या चुभने वाली चीजों को ना रखे।
- दौरा पड़ने पर रोगी को सड़े प्याज, बदबूदार जूते न सुंघाएं।
आज के लेख में आपने Epilepsy Disease के बारे में पढ़ा। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है इसलिए सावधानी बरतना ज़रुरी है साथ ही उपरोक्त लक्षणों के दिखने पर डॉक्टर से परामर्श ज़रूर ले। उपरोक्त लक्षणों को अनदेखा न करे।