हाइपोग्लाइसीमिया को रक्तशर्कराल्पता के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रकार की बीमारी तभी होती है जब रक्त में शुगर लेवल कम हो जाता है।
मधुमेह रोगियों को इस बीमारी के होने का खतरा अधिक होता है। हाइपोग्लाइसीमिया की समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। यह बीमारी मधुमेह से भी गंभीर होती है। समय पर इसका इलाज न होना जानलेवा भी साबित हो सकता है।
हाइपोग्लाइसेमिया तब होता है जब रक्त में शर्करा की मात्रा 70 मिलीग्राम से कम होती है। साथ ही यदि रक्त में शर्करा की मात्रा 50 मिलीग्राम से भी कम है तो सीवियर हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है।
हाइपोग्लाइसेमिया का असर रोगी के मस्तिष्क पर भी पड़ता है। साथ ही व्यक्ति को कमज़ोरी भी होने लगती है। इसमें रोगी को चक्कर आना और बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई देते है। आइये विस्तार से जाने Hypoglycemia के बारे में।
Hypoglycemia in Hindi: जानिए इसके लक्षण, कारण और बचाव
हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण
- मासपेशियों में अकड़न आना
- कमज़ोरी का अहसास होना
- काम करने में कठिनाई
- चिड़चिड़ापन उत्पन्न होना
- भूख लगना
- पसीना आना
- सिर में दर्द होना
- नब्ज का धीरे या अधिक तेज चलना
- त्वचा का ठंडा और अकड़ा हुआ होना
- शरीर में कंपन और घबराहट
- धुंधला दिखाई देना
- बेहोशी व मिर्गी जैसा दौरा पड़ना
हाइपोग्लाइसीमिया होने के कारण
- भोजन की कमी या अनियमितता का होना
- इंसुलिन या फिर डायबिटीज की दवाओं की सही मात्रा ना लेना
- क्षमता से अधिक कार्य करना
- शराब का सेवन अधिक मात्रा में करना
- शरीर में थायरोक्सीन की मात्रा बढ़ना
- मधुमेह रोगियों का अपने मन से दवा लेने और छोड़ने की आदत
- कुछ महिलाओं में यह बीमारी गर्भावस्था में भी हो सकती है
कैसे करे बचाव
- हाइपोग्लाइसीमिया से बचने के लिए रोगी को अपनी दिनचर्या पर ध्यान देना चाहिए और उसे ठीक रखना चाहिए।
- भूखे कभी भी न रहे
- समय अनुसार ही रोगी को इंसुलिन की सही मात्रा और भोजन करना चाहिए।
- अपने डॉक्टर से नियमित रूप से जाँच करानी भी आवश्यक है।
- अपनी क्षमता से अधिक कार्य करने से बचे।
- अपने साथ में शर्करा युक्त पदार्थ ज़रूर रखे।
- खाली पेट व्यायाम नहीं करना चाहिए। साथ ही उपवास या व्रत करने से भी बचे।
- अधिक मात्रा में एल्कोहल के सेवन से बचे।
- बिना डॉक्टर की सलाह के डाइबिटीज़ की गोली न खाये।
निदान
हाइपोग्लाइसीमिया के निदान के लिए ब्लड शुगर की जाँच करना आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त अन्य जांचे की जाती है जैसे-
- इंसुलिन टेस्ट
- यूरिन टेस्ट
- स्टूल टेस्ट
- इन्फेक्शन टेस्ट
उपचार
- हाइपोग्लाइसीमिया होने पर रोगी का उपचार तत्काल करना आवश्यक होता है।
- ऐसे रोगी को तुरंत ही शक्कर, ग्लूकोज, जूस आदि पिला देना चाहिए। ऐसा करने से शुगर लेवल नियंत्रित हो जाता है।
- कभी कभी रोगी में शुगर की मात्रा ज्यादा कम होने पर वह मीठी चीजे भी नहीं खा पाता तो उस समय के लिए ग्लूकेगान इंजेक्शन दिया जाता है।