Scrub Typhus In Hindi – स्क्रब टाइफस से बचाव के लिए यह जानकारी जरूर पढ़ ले

आपने डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया जैसी बीमारियों के बारे में तो सुना ही होगा| आज कल एक और प्रकार का ज्वर संक्रमण की तरह फेल रहा है जिसे स्क्रब टाइफस ज्वर कहते है।

यह ज्वर खतरनाक जीवाणु जिसे रिकेटशिया यानि संक्रमित माइट (पिस्सू) कहते है उसके काटने से फैलता है। यह ज्वर जानलेवा है| यदि इसका उपचार ना करवाया जाए तो यह रोग अक्सर घातक हो सकता है

स्क्रब टाइफस के अधिकतर मामले शहरो की अपेक्षा गावों में ज्यादा सामने आ रहे है क्यूंकि ये बीमारी झाड़ियों, खेतों, घास और घर में रहने वाले चूहों और पिस्सू के कारण फैलता है। जिनकी संख्या गावों  में ज्यादा पायी जाती है।

इस तरह का जीवाणु चमड़ी से होकर शरीर में प्रवेश करता है। जिससे Scrub Typhus In Hindi बुखार उत्पन्न होता है। इस ज्वर के कारण दिमाग, लिवर और फेफड़ों में कई प्रकार के संक्रमण हो जाते है। साथ ही इससे ग्रसित रोगी मल्टी ऑर्गन डिसऑर्डर के स्टेज तक भी पहुत जाता है।

Scrub Typhus In Hindi – स्क्रब टाइफस क्या है और इसके क्या लक्षण है?

स्क्रब टाइफस क्या होता है?

यह बीमारी बारिश के मौसम में ज्यादा फैलती है। डाक्टरों के मुताबिक बारिश के मौसम में जो लोग जंगलो, रास्तो या फिर खेतो में काम करते है उस समय पिस्सू नाम के इस जीवाणु के काटने से स्क्रब टाइफस नामक वायरस शरीर में प्रवेश करता है। यह वायरस 48 से 72 घंटों में अपना असर दिखाना शुरू करता है।

स्क्रब टाइफस के लक्षण

  • इस बीमारी में रोगी को सबसे पहले तेज़ बुखार (लगभग 104 से 105 डिग्री फारेनहाइट तक) आता है।
  • इसका बुखार 7 से लेकर 12 दिन तक रहता है।
  • इसके बाद सिरदर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द और शरीर में कमजोरी भी आने लगती है।
  • साथ ही पिस्सू के काटने वाले स्थान पर फफोलेनुमा काली पपड़ी जैसा निशान दिखता है।
  • रोगी को शरीर में ऐंठन और अकड़न भी महसूस होती है|
  • बाजू, हाथ और गर्दन में गिल्टियां होना भी इसके मुख्य लक्षणों में से एक है|

इस बीमारी का उपचार वक़्त पर न किया जाए तो ये गंभीर रूप ले लेता है और निमोनिया में परिवर्तित हो जाता है।

स्क्रब टाइफस ज्वर बचाव और उपचार

  1. आसपास झाड़ियां और घासफूस को न पनपने दे।
  2. घर के आसपास की जगह को साफ रखें।
  3. शरीर को स्वच्छ रखें और सदैव साफ कपड़े ही पहने।
  4. किचन गार्डन में कीड़ों का प्रकोप है तो उचित दवा के उपयोग से इन्हें नियंत्रित रखे।
  5. जंगल के रास्ते व खेतों में कार्य करते समय अपने हाथ पैरों को अच्छी तरह से ढक कर रखें।
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