टाइफाइड एक तरह का संक्रामक रोग है जो कि किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। किंतु बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है इसलिए यह बच्चों को अधिक होता है।
इस बुखार को मियादी बुखार के नाम से भी जाना जाता है। यह दूषित पानी एवं भोजन से फैलने वाला रोग है। इसके होने का कारण ‘साल्मोनेला टाइफी‘ नामक बैक्टीरिया का संक्रमण होता है।
एक बार जैसे ही बैक्टीरिया शरीर में प्रविष्ट होते है, वे तुरंत वृद्धि करते हैं और रक्तप्रवाह में फ़ैल जाते हैं। इससे भिन्न-भिन्न प्रकार के लक्षण दिखाई देते है। इस बीमारी के मुख्य लक्षण की बात करे तो इसमें तेज बुखार आता है, जो काफी दिनों तक बना रहता है।
यह बुखार कम-ज्यादा होता रहता है, किंतु सामान्य नहीं हो पाता। बच्चों में टाइफाइड के कारण और लक्षण के बारे में जाने, पढ़िए Typhoid Fever Symptoms In Hindi.
Typhoid Fever Symptoms In Hindi: जानिए बच्चों में टाइफाइड के लक्षण, कारण और बचाव
टाइफाइड क्या है: What is Typhoid?
- टाइफाइड एक तरह का बुखार होता है जो की संक्रमण के कारण होता है। यह ‘साल्मोनेला टाइफी’ नामक बैक्टीरिया के संक्रमण की वजह से फैलता है।
- इसका मुख्य कारण दूषित पानी और भोजन के खाने से होता है।
- बच्चों में यह बुखार जल्दी होता है क्योंकि बच्चे साफ सफाई का ध्यान नहीं रख पाते है।
- यह बुखार तेज होता है और कम व ज्यादा होता रहता है।
टाइफाइड के लक्षण: Typhoid Symptoms
- तेज बुखार
- सूखी खाँसी
- सिरदर्द व बैचेनी
- अतिसार या कब्ज
- पेट का फूलना
- जीभ पर परत जमना
- कमजोरी और थकावट
- कपकंपी के साथ ठंड लगना
- भूख ना लग्न और पेट दर्द
- छाती व पेट पर हलके गुलाबी रंग के दाने
टाइफाइड के कारण: Typhoid Cause
- टाइफाइड कई बार गंदे पानी को पीने से तथा खुले खाद्य पदार्थों के सेवन से होता है। जिन घरों में हाथों को कम साफ किया जाता है वहां भी इसके फैलने की संभावनाएं अधिक होती है।
- टाइफाइड से पीड़ित व्यक्ति के मल, मूत्र तथा रक्त में यह बैक्टेरिया होते है। पीड़ित व्यक्ति के मल मूत्र से दूषित पानी के कारण भी यह रोग फैलता है।
- टाइफाइड से पीड़ित व्यक्ति का जूठा खाना खाने से भी यह रक्त में फ़ैल सकता है।
- बच्चे जब आपस में खांसते हुए, एक दूसरे के हाथों को छूते रहते हैं तो इससे भी टाइफाइड की संभावना बढ़ जाती है।
बच्चों का इस तरह करे टाइफाइड से बचाव
टाइफाइड बुखार के रहने का समय 1 महीना है। यह आपके शरीर को पूरी तरह से कमजोर बना देता है। इसलिए बेहद जरूरी है की आप अपने बच्चों पर खास ध्यान दे।
- अपने बच्चे को हमेशा साफ सुथरा पानी इस्तेमाल के लिए दे। स्कूल जाने पर घर से ही बोतल भर के दे।
- टायफाईड से बचने के लिए ज़रुरी है की बच्चे को साफ पानी ही पीने के लिए दे। हमेशा पानी को छानकर भरे, और संक्रमित मौसम में पानी को उबालकर और फिर ठंडा करके दे। यह पानी सुरक्षित होता है। कभी भी जब बाहर जाए तो अपने घर का स्वच्छ पानी ही लेकर जाए ताकि आपको बाहर का पानी पीने की जरुरत ना पड़े।
- बच्चों को समझाएं कि खुले में मिलने वाली चीज़े ना खाये जैसे की गोलगप्पे, चाट आदि। जितना हो सके बाहर के खाने से भी बचे वह भी दूषित हो सकता है जिसके कारण भी टायफाईड होने का खतरा बन सकता है।
- भोजन को हमेशा मक्खी-मच्छर से दूर रखें और बच्चे को घर से बना हुआ स्नैक्स ही दें।
- बच्चे को सिखाये की खाना खाने से पहले और बाथरूम का प्रयोग करने के बाद डिसिन्फेक्टेंट साबुन से हाथ अच्छे से साफ़ करना चाहिए।
- आप भी हमेशा खाना बनाने से पूर्व अपने हाथ साबुन से धोएं साथ ही रसोईघर के बर्तन साफ़ रखे।
- बुखार में बच्चों द्वारा पहने गए कपड़ों को सर्फ़ या फिर डेटोल से धोना चाहिए।
- गन्दगी को घर से दूर रखना चाहिए साथ ही घर के आसपास भी सफाई रखना ज़रुरी है क्योंकि गन्दगी होने पर मक्खी और मच्छर उन पर बैठ कर संक्रमण फैला सकते है।
टायफाईड का उपचार: Typhoid Treatment
- उलटी, दस्त और कमजोरी होने पर डॉक्टर से परामर्श के बाद ही बच्चों को दवा दे। साथ ही कम से कम दो सप्ताह तक बच्चों को बुखार की दवा देनी चाहिए।
- इसमें बच्चों को आराम की जरुरत होती है। इसलिए उनके आराम का भी ख्याल रखे।
- यदि बच्चे को तेज बुखार है तो उसके सर पर ठंडे पानी की पट्टी को ज़रूर रखे ऐसा करने से राहत मिलती है।
- बुखार होने पर बच्चे हलके गुनगुने पानी से उसके शरीर को पोछना चाहिए ऐसा करने से बच्चा साफ रहता है। साथ ही प्रतिदिन उनको साफ सुथरे कपड़े पहनाये। ताकि वह गन्दगी से दूर रह सके और बुखार को ठीक करने में मदद मिल सके।
टायफाईड में दिए जाने आने आहार
- टायफाईड होने पर बच्चों को गैस बनाने वाले अहारो को नहीं खिलाना चाहिए।
- दूध और दूध से निर्मित आहारों को बच्चों को ज़रूर दे।
- मीठी चीजे खिलाने से बच्चों की आंतो को आराम मिलता है।
- मिर्च मसाले और तली चीजों को बच्चों को नहीं खिलाना चाहिए। यह हानिकारक होती है।
- बच्चों को तरल पदार्थ देना चाहिए यह उनके लिए फ़ायदेमंद रहता है।
- बच्चों को खाने में केला, शक्करकंद और पपीता ना दे। उन्हें आसानी से पचने वाले आहारों को ही खिलाना चाहिए।
- पौष्टिक आहारों का सेवन करवाना बच्चों के लिए फ़ायदेमंद होता है।
बच्चे ना समझ होते है इसलिए उनकी देखभाल की ज़िम्मेदारी उनके पेरेंट्स की होती है। इसलिए अपने बच्चे का ख्याल रखे साथ ही बीमारियों के बारे में भी जानकारी रखे ताकि आप अपने बच्चे को उन बीमारियों से बचाने से सफल रहे। साथ ही समय समय पर अपने बच्चे को डॉक्टर से जाँच भी करवाए ताकि उसकी सेहत का भी आपको पता चल सके क्योंकि कई बार बच्चे कुछ परेशानियों को बता पाने में असमर्थ रहते है। साफ सफाई रखने के साथ साथ बच्चे को पौष्टिक आहार भी खिलाती रहे ताकि उनको रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती रहे। जिससे वह स्वस्थ भी रह सके।
नोट – बच्चे को बुखार आने पर डॉक्टर को ज़रूर दिखाए इसमें देरी नहीं करनी चाहिए। डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों को भी कड़ाई से पालन करना चाहिए। ताकि बुखार को ख़त्म किया जा सके।