Yoga for Epilepsy in Hindi: योग द्वारा पाए मिर्गी से निजात

मिर्गी रोग से ग्रसित व्यक्ति को बार बार दौरे आते है। दौरे आने से व्यक्ति का संतुलन बिगड़ जाता है। मिर्गी को अपस्मार के नाम से भी जाना जाता है। इसे अंग्रेजी में सीज़र डिसॉर्डर कहा जाता है।

मस्तिष्क का कार्य न्यूरॉन्स के सही तरह से सिग्नल देने पर निर्भर करता है। परन्तु जब इस कार्य में बाधा उत्पन्न होने लगती है तब मस्तिष्क के कार्य में दिक्कते आना प्रारम्भ हो जाती है।

जिसके कारण जब मिर्गी के मरीज़ को दौरे आते है तब उनका शरीर अकड़ जाता है, वह बेहोश हो जाते हैं व कुछ समय लिए शरीर के विशेष अंग निष्क्रिय हो जाता है आदि।

लोग इस बीमारी का इलाज करवाते है पर यह पूर्ण रूप से सही नहीं होता है। इस बीमारी से निदान पाने के लिए आप योग कर सकते है। जानते है Yoga for Epilepsy कौन कौन से है।

Yoga for Epilepsy: मिर्गी में असरदार योग के आसन


हलासन

  • सबसे पहले ज़मीन पर एक साफ कपड़ा बिछा लें और पीठ के बल लेट जाएं।
  • फिर दोनों पैरों को एक-दूसरे के साथ मिलाकर रखें और हाथों को कमर के पास निचे रखे।
  • शरीर को ढीला छोड़े और हथेलियों से कमर पर दबाव बनाते हुए पीछे की तरफ धकेलें।
  • ऐसा करने से खून का दौरा दिमाग तक पहुंचता है जिससे मिर्गी के रोग में लाभ होता है।

ताड़ासन

  • इसे करने के लिए पहले सीधे खड़े हो जाएं और अपनी कमर और गर्दन को सीधा रखें।
  • फिर अपने हाथों को सिर के ऊपर करें और सांस लेते हुए धीरे-धीरे पुरे शरीर को खींचें।
  • इसमें पैर की उंगली से लेकर हाथ की उंगलियों तक खिंचाव बनाए।
  • इस स्थिति में कुछ समय के लिए बने रहें और सांस अंदर लें और बाहर छोड़े।
  • आप ताड़ासन के और भी कई फायदे यहाँ जान सकते है।

वृक्षासन

  • इसे करने के लिए हाथों को साइड में रखते हुए सीधे खड़े हो जाएँ।
  • दाहिने घुटनें को मोड़ते हुए अपने दाहिने पंजे को बाएँ जंघा पर रखें।
  • आपके पैर का तलवा जंघा के ऊपर सीधा एवं ऊपरी हिस्से से सटा हुआ हो।
  • बाएँ पैर को सीधा रखते हुए संतुलन बनाये रखें।
  • फिर गहरी साँस अंदर लें, हाथों को सर के ऊपर ले जाएँ और नमस्कार की मुद्रा बनाएं।

कपालभाति

  • इस आसन में रीढ़ की हड्डी को सीधा करके आराम से बैठते है ।
  • इसके बाद दोनों हाथों को घूटनों पर रखना होता है और लंबी सांस अंदर की तरफ लेते है ।
  • फिर सांस छोड़ते हुए अपने पेट को अंदर की ओर खींचते है ।
  • इससे ताजी हवा फेफडो़ं के रास्ते दिमाग तक पहुंचती है।

अनुलोम-विलोम प्राणायाम

  • इसे करने के लिए सबसे पहले सुखासन में बैठ जाएं।
  • अब इस आसन को नाक के बाएं छिद्र से करें।
  • उंगली की सहायता से नाक के दाएं छेद को बंद करें और बाईं तरफ से लंबी सांस लें।
  • फिर बाएं छेद को बंद करके दाईं तरफ से सांस छोड़े ।
  • इस प्रक्रिया को 10-15 मिनट तक दोहराएं।
  • ऐसा करने से दिमाग को ताजी और स्वच्छ हवा प्राप्त होती है, जो मिर्गी के लिए लाभकारी होती है।
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