Amarnath Yatra Story: क्या आप जानते है अमरनाथ गुफा की पौराणिक कहानी
पवित्र अमरनाथ गुफा भगवान शिव से जुड़े महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है। यह गुफा जम्मू-कश्मीर में स्थित है। लाखों हिंदू श्रद्धालु प्रति वर्ष गुफा में बर्फ से निर्मित भगवान शिव के इस रूप के दर्शन करने जाते है।
इस गुफा में छत से पानी की बूंदें नीचे गिरती हैं और सतह पर आते ही जमने लगती है। जिससे यह शिवलिंग निर्मित होता है।
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग का आकार Amarnath गुफा में चांद की कलाओं के साथ बढ़ता और घटता रहता है। परन्तु इसका वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
ऐसा कहा जाता है की गुफा में बर्फ के दो और आकार बनते हैं जिन्हें मां पार्वती और उनके बेटे गणेश के प्रतीक माना जाता हैं। इसको लेकर कई कथाये सुनने को मिली है| आज हम आपको बता रहे है Amarnath Yatra Story के बारे में|
Amarnath Yatra Story: बाबा अमरनाथ से जुड़ी प्रचलित कथाएँ
Amarnath History की पहली कथा
क्यों शिवजी ने माता पार्वती को अकेले में सुनाई अमर कथा
पुराणों में कथित है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा, आप अजर-अमर कैसे हैं और मुझे हर जन्म के बाद नए स्वरूप में जन्म लेना पड़ता है, फिर से वर्षों की कठोर तपस्या के बाद आपको प्राप्त करना होता है। मेरी इतनी कठोर परीक्षा क्यों? साथ ही आपके गले में यह नरमुण्ड माला क्यों है तथा आपके अमर होने का रहस्य क्या है?
इस पर भगवान शंकर ने माता पार्वती से एकांत और गुप्त स्थान पर अमर कथा सुनने को कहा ताकि अमर कथा कोई अन्य जीव न सुन पाए। क्योंकि अमर कथा को जो कोई भी सुन लेता है, वह अमर हो जाता।
बताया जाता हैं भगवान भोलेनाथ ने अपनी सवारी नंदी को पहलगाम पर छोड़ दिया, जटाओं से चंद्रमा को चंदनवाड़ी में अलग कर दिया और गंगाजी को पंचतरणी में तथा कंठाभूषण सर्पों को शेषनाग पर छोड़ दिया।
अलगे पड़ाव पर भोलेनाथ ने अपने पुत्र गणेश को भी छोड़ दिया था, जिसको महागुणा का पर्वत भी कहा जाता है। पिस्सू घाटी में पिस्सू नामक कीड़े को भी त्याग दिया। साथ ही महादेव ने जीवनदायिनी पांचों तत्वों को भी अलग कर दिया। इसके उपरांत वह मां पार्वती साथ गुप्त गुफा में पहुंचे और मां पार्वती को अमर कथा सुनाना शुरू किया।
कथा के दौरान पार्वती जी को आयी नींद
देवी पार्वती को कथा सुनते-सुनते नींद आ गई और वह सो गईं, शिवजी को इस बात का पता नहीं चला और वह कथा सुनाते रहे। दो सफेद कबूतर उस समय शिव जी से कथा सुन रहे थे और बीच-बीच में गूं-गूं की आवाज निकाल रहे थे।
शिव जी को लगा कि माता पार्वती कथा सुन रही हैं और बीच-बीच में हुंकार भर रहीं हैं। इस तरह दोनों कबूतरों ने अमर होने की पूर्ण कथा सुन ली। कथा के ख़त्म होने पर शिव का ध्यान पार्वती की तरफ गया, तो उन्हें पता चला की पार्वती जी सो गयी है।
कबूतर के जोड़े को मिला शिव का वरदान
जब महादेव की दृष्टि कबूतरों पर पड़ी, तो उन्हें क्रोध आ गया और उन्हें मारने के लिए आगे बड़े। ऐसा देख कर कबूतरों ने भगवान शिव से कहा कि, ‘हे प्रभु हमें क्षमा कर दे हमने आपसे अमर होने की कथा सुनी है|
लेकिन यदि आप हमें मार देंगे तो अमर होने की यह कथा झूठी हो जाएगी। उनके ऐसा कहने पर शिव जी ने कबूतरों को जीवित छोड़ दिया तथा उन्हें आशीर्वाद दिया कि तुम सदैव इस स्थान पर शिव पार्वती के प्रतीक चिन्ह के रूप निवास करोगे।
इस तरह यह कबूतर का जोड़ा अजर-अमर हो गया। कहा जाता हैं की आज भी भक्तों को इन दोनों कबूतरों का दर्शन यहां प्राप्त होता हैं। और इस तरह से यह गुफा अमर कथा की साक्षी हो गई व इसका नाम अमरनाथ गुफा के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
दूसरी कथा
बूटा मलिक नामक एक मुस्लिम चरवाहा था उसे एक ऋषि ने कोयले का एक बोरा दिया| घर पहुंचने पर मलिक ने देखा कि बोरे में सोना भरा हुआ है| वह इतना खुश हो गया कि खुशी के मारे ऋषि का आभार व्यक्त करने के लिए वापस उनके पास गया|
वहां उसने एक चमत्कार देखा| उसे एक गुफा देखकर अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ| तभी से यह गुफा अमरनाथ गुफा धाम के नाम से मशहूर हो गई| पहले के तरह यह कथा भी प्रचलित है पर इसमें कितनी सत्यता है यह कोई नहीं जानता।
अन्य कथा
अमरनाथ की गुफा के संबंधित एक भृगु मुनि की कथा भी है। इस कथा में एक बार कश्मीर की घाटियाँ जलमग्न हो गयी थी और कश्यप मुनि ने कुई नदी के बहाव को कश्मीर की ओर किया था। इसलिए जब भृगु मुनि की तपस्या और श्रद्धा के बल पर वहां का पानी सूखने लगा तब भृगु मुनि ने ही अमरनाथ के सबसे पहले दर्शन किये। इसके बाद बर्फ का लिंग शिव लिंग कहलाने लगा। इसके बाद तो यहाँ कई श्रद्धालु दर्शन के लिए आने लगे और यहाँ आकर अपनी मुरादे मांगने लगे।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण बाते
- अमरनाथ की यह गुफा जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से 3888 मिटर की ऊंचाई पर है।
- अमरनाथ एक हिन्दू धर्मस्थल है जिसे काफी पवित्र माना जाता है।
- इस अमरनाथ की गुफा के चारो तरफ बर्फीली गुफाएं है और अमरनाथ की गुफा में बर्फ के शिवलिंग होने के कारण कई लोग इस जगह को बर्फानी बाबा के नाम से भी जानते है।
- इतिहास में भी इस बात का जिक्र किया गया है की आर्य शाशन होने पर भी आर्यराज कश्मीर में बने बर्फ के Amarnath Shivling की पूजा करते थे।
- राजतरंगिणी किताब में भी अमरनाथ की गुफा के बारे में बताया गया है।
- अमरनाथ की गुफा की यात्रा प्रजाभट्ट के द्वारा शुरू की गयी थी।
- इसी के साथ यह भी कहा जाता है की 15 वी शताब्दी में इस गुफा को एक बार फिर से खोजा गया था।
इस ऊपर दिए लेख में आज अपने Amarnath Yatra के बारे में जाना की यहाँ की क्या मान्यता है और यह किस तरह से यह लोगो के बीच में प्रसिद्ध है। अमरनाथ एक हिन्दू तीर्थस्थल है जो लोगो के बीच में काफी ज्यादा प्रचलित और यहाँ पर कबूतर का एक जोड़ा दिखना यह माना जाता है की आप काफी लकी है।