Daan Ke Niyam: दान करते वक्त ध्यान रखें यह महत्वपूर्ण बातें

हम सभी जानते है की दान करने से पुण्य प्राप्त होता है। दान जरुरतमंद व्यक्ति को ही देना चाहिए तभी लाभ प्राप्त होता है।

दान के लिए किसी अवसर की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए। जब भी ह्रदय में दान की भावना उत्पन्न हो, दान कर देना चाहिए। परन्तु दान देते समय कुछ बातों को ध्यान रखना भी जरुरी होता हैI

जैसे की दान देते समय दिशा का ध्यान रखना चाहिए। दान करते समय दान देने वाले का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए और दान लेने वाले का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।

ऐसा करने से दान देने वाले की आयु में वृद्धि होती है और दान लेने वाले की भी आयु कम नहीं होती है। आज के लेख में हम दान से जुडी ऐसी ही महत्वपूर्ण बाते बताएँगे, तो आइये जानते है Daan Ke Niyam के बारे में|

Daan Ke Niyam: जो दान करने वाले व्यक्ति को पता होना चाहिए

परिवार की सहमति से ही दान करे

जो मनुष्य पुत्र, परिवार और पत्नी को दुःखी करते हुए दान देता है, वह दान पुण्य देने वाला नहीं होता है। इसलिए दान जब भी करे वह सभी की प्रसन्नता के साथ दिया जाना चाहिए।

जरुरतमंद के घर दिया गया दान

जरुरतमंद के घर जाकर किया हुआ दान बहुत ही उत्तम होता है।साथ ही जरुरतमंद को घर बुलाकर दिया हुआ दान थोड़ा कम उत्तम होता है।

दान करने वाले व्यक्ति को न रोके

किसी व्यक्ति द्वारा ब्राह्मणों, गायों और रोगियों को यदि दान  दिया जा रहा है तो उसे दान देने से रोकना नहीं चाहिए। क्यूंकि ऐसा करने वाला व्यक्ति पाप का भागी माना जाता है।

हाँथ में लेकर इन चीजों का दान करे

कुश, तिल, जल और चावल इन चीजों को हाथ में लेकर दान देना चाहिए। नहीं तो वह दान दैत्यों को प्राप्त हो जाता है।

16 वस्तुओं का महादान

16 वस्तुओं का दान जैसे सोना-चांदी, रत्न, गाय, हाथी-घोड़ा, कन्या, विद्या, तिल, वस्त्र, शय्या-भूमि, अन्न, दूध, छत्र और आवश्यक सामग्री सहित घर को महादान कहा गया है। इन चीजों का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही कई जन्मों के पाप भी धुल जाते है।

न दे विद्याहीन ब्राह्मण को दान

कहा जाता है की विद्याहीन ब्राह्मण को दान ग्रहण नहीं करना चाहिए। क्यूंकि यदि विद्याहीन ब्राह्मण दान ग्रहण करता है तो उसे नुक़सान हो सकता है।

महान पुण्य की प्राप्ति

जो लोग अंधे-गूंगे, निर्धन, अनाथ, दीन-हीन, रोगी और विकलांग व्यक्ति की सेवा के धन देता है। उस व्यक्ति को महान पुण्य की प्राप्ति होती है।

एक ही व्यक्ति करे इस चीजों का दान

एक ही व्यक्ति को घर, शय्या, कन्या, गाय और वस्त्र का दान करना चाहिए।

देवताओं और पितर देवता को दान देना

दान देते समय देवताओं को चावल के साथ दान दे और पितर देवता को तिल के साथ दान देना चाहिए।

शुभ कर्म में लगाए अपना धन

शुभ कर्म के लिए मनुष्य को अपने द्वारा न्यायपूर्वक अर्जित किए हुए धन का दसवां भाग दान करना चाहिए। जैसे की किसी जरुरतमंद व्यक्ति को खाना खिलाना, गरीब बच्चों की शिक्षा का प्रबंध करना और गौशाला में दान करना शुभ कर्म के अंतर्गत आते हैI

गोदान है श्रेष्ठ दान

गोदान श्रेष्ठ माना जाता है। अगर आप गोदान नहीं कर सकते हैं तो गोदान के अतिरिक्त देवताओं का पूजन, ब्राह्मण और ज्ञानी लोगों के पैर धोना, किसी रोगी की सेवा करना कर सकते है इन तीनों का महत्त्व गोदान के समान ही पुण्य कर्म होता है।

ये दान मृत्यु के बाद के कष्ट दूर करे

घोड़ा-गाय, अन्न -जल, छत्र ,शय्या और वस्त्र-आसन इन 8 वस्तुओं का दान करने से जीवन भर शुभ फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार जब व्यक्ति की मृत्यु होती है तो आत्मा को जीवन में किए गए पाप और पुण्यों का फल भोगना पड़ता है।

आत्मा को पाप कर्मों के भयानक फल मिलते हैं। इसलिए माना जाता है की यदि आप इन 8 चीजों का दान करते है तो मृत्यु के बाद के कष्टों को भी दूर कर सकते है|

Hrelate: Expert at Hrelate.com, one of the leading website that provides Health, Beauty and Diet Tips in Hindi....
Related Post