गणेश चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। भगवान गणेश के जन्म के उपलक्ष्य में यह दिन मनाया जाता है। इसे Ganesh Jayanti एवं Vinayagar Chaturthi आदि कई और नामो से भी जाना जाता है। यह त्योहार हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है। देश के प्रत्येक हिस्से में यह त्योहार मनाया जाता है।
इस त्यौहार की धूम महाराष्ट्र में कुछ ज्यादा हीं देखने को मिलती है। महाराष्ट्र के साथ साथ आजकल यह देश के अलग अलग हिस्सों और विदेशों में भी मनाया जाने लगा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इस त्यौहार को अलग-अलग प्रकार से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में अवस्थित Ashtavinayak के आठ मंदिरों में भी इस दौरान बहुत ज्यादा चहल पहल होती है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ भगवान के आठ रूपों के दर्शनों के लिए आते हैं।
गणेश चतुर्थी का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इसलिए कई लोग इस दिन शुभ कार्य का प्रारम्भ भी करते हैं। मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत इस दिन से करें तो उस कार्य में सफलता मिलती है और इसका फल भी अच्छा मिलता है। साल भर में पड़ने वाली सभी चतुर्थियों में यह भाद्रपद महीने में आने वाले गणेश चतुर्थी की महत्ता को सबसे बड़ा व अहम माना जाता है।
भगवान गणेश जी के सभी भक्त भाद्रपद महीने की चतुर्थी के दिन अपने अपने घर में भगवान गणेश को प्रतिमा को श्रद्धा भाव से स्थापित कर के पूजा अर्चना करते हैं। बताया जाता है कि गणेश जी की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और संपन्नता आ जाती है। इस बार Ganesh Chaturthi, 13 सितम्बर को मनाई जाएगी। आज के लेख में पढ़ें Ganesh Chaturthi 2018.
Ganesh Chaturthi 2018: जानिए गणेश चतुर्थी से जुड़ी कुछ बातें और शुभ मुहूर्त
कई लोग गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखते हैं। व्रत रखने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं। साथ ही श्रद्धालूओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गणेश जी की प्रतिमा को घर में मंदिर में रखना होता है। इनके लिए मंदिर में एक अलग स्थान बनाया जाता है।
ऐसे मनाई जाती है गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी के उपरांत 10 दिन बाद तक Ganesh Utsav मनाया जाता है। भाद्रपद माह में आने वाले शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से Ganesh Pooja का उत्सव गणपति की मूर्ती की स्थापना कर उनकी पूजा अर्चना से आरंभ होता है और यह लगातार दस दिनों तक चलता रहता है। श्रद्धालु अपने-अपने घरों में भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं और पूरे दस दिन तक गणेश भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है। फिर आखिरी दिन अर्थात अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति जी का विसर्जन किया जाता है। कई जगहों पर 10 दिनों तक पंडाल सजे हुए दिखाई देते हैं, जहां गणेश जी की मूर्ति स्थापित होती हैं।
प्रसाद तथा भोग
भगवान गणेश खाने के बहुत शौकीन है। गणेश जी को कई प्रकार की मिठाईयां जैसे मोदक, गुड़ और नारियल जैसी चीज़े प्रसाद या भोग में चढ़ाई जाती हैं। ऐसा माना जाता है की गणेश जी को मोदक बहुत ही प्रिय होता है। मोदक को बनाने के लिए चावल के आटे, गुड़ और नारियल का उपयोग किया जाता है। इस पूजा में गणपति को 21 लड्डुओं का भोग लगाने का विधान हैI
गणेश चतुर्थी 2018: पूजा तिथि एवं शुभ मुहूर्त: Ganesh Chaturthi Information
- Ganesh Chaturthi Date: इस साल गणेश चतुर्थी का पर्व 13 सितम्बर 2018 दिन गुरुवार को मनाया जायेगा।
- मध्याह्न के समय को गणेश पूजा: सुबह 11:03 से दोपहर 1 बज कर 30 मिनट तक होगी।
- गणपति पूजन के मुहूर्त की पूर्ण अवधि 2 घंटे 27 मिनट की है।
- इस वर्ष अर्थात 2018 में भाद्रपद के शुक्लपक्ष की पवित्र चतुर्थी तिथि 12 सितम्बर दिन बुधवार 4 बज कर 7 मिनट पर आरम्भ होने जा रहा है।
- चतुर्थी तिथि का समापन 13 सितम्बर 2018 दिन गुरुवार को 2 बज कर 51 मिनट पर होगा।
- दिनांक 12 सितंबर 2018 को चंद्र दर्शन से बचने का समय शाम 04 बज कर 07 मिनट से शाम 8 बज कर 34 मिनट तक का है ।
- दिनांक 13 सितंबर 2018 को चंद्र दर्शन से बचने का समय सुबह 9 बज कर 32 मिनट से शाम 9 बज कर 13 मिनट तक का है।
गणेश प्रतिमा स्थापना एवं पूजा के नियम
- Chaturthi पूजन के लिए गणेश चतुर्थी के दिन सुबह के समय स्नान कर लें और स्नान से निवृत होने के बाद भगवान गणेश की प्रतिमा बनाएं ।
- गणपति की यह प्रतिमा आप सोने, तांबे, मिट्टी या फिर गाय के गोबर में से किसी से भी अपने सामर्थ्य के मुताबिक़ बना सकते हैं।
- इसके बाद आप एक कोरा कलश ले लें और फिर उसमें जल को भरकर उसे साफ़ कपड़े से बांध दें।
- इसके बाद इसी के ऊपर गणेश प्रतिमा को स्थापित किया जाता है।
- इसके बाद गणेश की प्रतिमा पर सबसे पहले सिंदूर चढ़ाकर इनका पूजन किया जाता है।
- इसके बाद भगवान गणेश को दक्षिणा अर्पण कर के उन्हें 21 लड्डूओं के प्रसाद का भोग लगाया जाता है।
- भगवान की प्रतिमा के समीप पांच लड्डू को छोड़ कर बाकि के सारे लड्डू ब्राह्मणों में बांट देने होते हैं।
- पूजा के बाद अपनी दृष्टि को नीचे की तरफ रखते हुए चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
- लोग ऐसा मानते हैं कि इस दिन पर चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिये।
- इसके बाद ब्राह्मणों को भोज करवाना चाहिए तथा उन्हें दक्षिणा दे कर विदा करना चाहिए।
आज के लेख में आपने Ganesh Festival से जुड़ी बहुत सारी महत्वपूर्ण बातें जानी। आपने जाने गणेश चतुर्थी के पूजन के शुभ मुहूर्त एवं पूजन विधि के बारे में। तो इस गणेश उत्सव के दौरान आप भी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करके उनकी आराधना कीजिये और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त कीजिये।