हिन्दू धर्म में नवरात्रि पर्व का बहुत ही बड़ा महत्व होता है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रात और दस दिन तक शक्ति की देवी माँ दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है।
इन दिनों इनके नौ रूपों की पूजा होती है। आखिर का दिन दसवें का दिन होता है। इस दिन को दशहरा के नाम से जाना जाता है। इस दिन असत्य पर सत्य की जीत हुई थी।
नवरात्रि का त्यौहार साल में चार बार आता है। पौष, चैत्र, आषाढ, अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। इन नौ रातों में तीन देवियों – महालक्ष्मी, महासरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं।
माँ दुर्गा का अर्थ होता है, जीवन में सभी प्रकार के दुखों को हटाने वाली। नवरात्रि एक ऐसा पर्व है जिसे बड़े ही उत्सुक और उत्साह के साथ पूरे भारतभर में मनाया जाता है। आज से नवरात्री प्रारंभ है इसलिए हम आपको Navratri Kalash Sthapana बता रहे है|
Navratri Kalash Sthapana: माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए कैसे करें कलश स्थापना
इस बार की नवरात्रि 21 सितम्बर 2017 से लेकर 29 सितम्बर 2017 तक मनाई जाएगी। इन दिनों माँ दुर्गा, महालक्ष्मी और महासरस्वती इन देवियों की पूजा करना फलदायी होता है।
पौराणिक मान्यताओं की माने तो नवरात्रि के दिनों माँ दुर्गा पृथ्वी लोक पर रहने के लिए आती है। इन दिनों माँ दुर्गा की पूजा करने वाले सभी भक्तों की मनोकामना को माँ दुर्गा पूरा करती है। इसलिए नवरात्रि में कुछ विशेष तैयारी कर लेना चाहिए। ताकि माँ दुर्गा आप लोगों के घर में आएं और आपको सुख समृद्धि प्रदान करे।
घट स्थापना के लिए ये है शुभ मुहूर्त
यदि आप घट स्थापना करते है तो इन शुभ मुहूर्त को देखकर ही स्थापना करना चाहिए। इस साल माँ दुर्गा के घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 21 सितम्बर के दिन सुबह 06 बजकर 03 मिनट से लेकर 08 बजकर 22 मिनट तक रहेगा
नवरात्र में अखंड ज्योत का महत्व
हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि घर में अखंड ज्योत जलाने से माँ दुर्गा की कृपा आप लोगों पर हमेशा बनी रहती है। यह जरुरी नहीं कि हर घर में अखंड ज्योत जले। अखंड ज्योत को जलाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होता है। जिस घर में अखंड ज्योत को जलाते है उन्हें नौ दिन तक जमीन पर ही सोना होता है।
चौकी लगाने की सामग्री
- आम के पत्ते
- मिट्टी का मर्तबान
- मिट्टी का कलश
- रोली, मौली, सुपारी, कपूर, धूप
- कलश में रखने के लिए सिक्का
- फूल माला, दीपक, मिठाई, फल
- जौ बोने के लिए शुद्ध साफ की हुई मिट्टी जिसमें कंकर न हो
कलश स्थापना ऐसे करे
- कलश पर सबसे पहले स्वास्तिक बनाएं
- कलश पर मौली बांधे
- कलश में जल भर लें
- कलश में साबुत सुपारी, फूल, इत्र, पंचरत्न, और सिक्का डालें
- कलश में चावल के दाने भी डालें