ब्रोंकाइटिस एक प्रकार का सांस से संबंधित इंफेंक्शन होता है। इसमें रोगी को साँस लेने में कठिनाई होती है। साथ ही खांसी या बलगम भी हो जाता है।
हमारे शरीर में ब्रौनकियल नलियाँ होती है जो कि साँस की नली को फेफड़ों से जोड़ने का कार्य करती है। जब यह ब्रौनकियल नलियाँ इन्फेक्टेड हो जाती है तो ब्रोंकाइटिस श्वसनीशोथ की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
यह एक ऐसी बीमारी है जो 6 माह से लेकर सालों साल भी रह सकती है। ब्रोंकाइटिस के कारण फेफडों तक ऑक्सीजन लेकर जाने वाली नली में सूजन आ जाती है और कभी कभी दर्द या फिर जलन भी होने लगती है। साथ ही कभी कभी रोगी को इससे ग्रसित होने पर बुखार भी आने लगता है।
ब्रोंकाइटिस के होने से कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। इसलिए इसके लक्षणों को जानना बहुत जरुरी हो जाता है। जानते है Bronchitis Symptoms In Hindi.
Bronchitis Symptoms In Hindi: जानिए इसके प्रकार,लक्षण और उपचार
ब्रोंकाइटिस के रूप
ब्रोंकाइटिस को दो प्रकारों में बांटा गया है। एक तीव्र ब्रोंकाइटिस जिसे एक्यूट ब्रोंकाइटिस भी कहते है और दूसरा दीर्घकालिक ब्रोंकाइटिस जो कि क्रोनिक ब्रोंकाइटिस के नाम से भी जाना जाता है। इन दोनो के अलग-अलग लक्षण, कारण और चिकित्सा होती है।
तीव्र ब्रोंकाइटिस
- तीव्र ब्रोंकाइटिस बहुत ही तीव्र गति से प्रारम्भ होती है। यह अल्पकालीन होती है।
- यह सर्दी-ज़ुकाम के होने पर शुरू होती है और खुद-ब-खुद 2 से 3 हफ़्तों में सही हो जाती है।
तीव्र ब्रोंकाइटिस के लक्षण
- भुखार आना
- शरीर में दर्द होना
- ठंड लगना
- नाक से स्राव
- साँस फूलना
- निमोनिया होने की सम्भावना
- खाँसी पहले सूखी और फिर बलगम के साथ
उपचार
- तीव्र ब्रोंकाइटिस होने पर आराम करना आवश्यक होता है ऐसा करने से राहत मिलती है।
- इसमें तरल आहार लेना फायदेमंद होता है।
- तीव्र ब्रोंकाइटिस होने पर भाप लेना भी असर कारक होता है। इससे कफ को बाहर निकालने में मदद मिलती है।
दवाओं का उपयोग
- सूखी खाँसी होने पर कोडीन ले सकते है।
- कफ होने पर टिंचर इपिकाक, अमोनियम कार्बोनेट आदि दवाओं का सेवन कर सकते है।
- सल्फोनामाइड, पेनिसिलिन आदि दवाओं का भी उपयोग कर सकते है।
क्रोनिक ब्रोंकाइटिस
- यह बीमारी एक बार ठीक होने के बाद भी दोबारा हो सकती है। साथ ही यह जल्दी ठीक नहीं होती है इससे रोगी लम्बे समय तक पीड़ित रहता है।
- यह बिमारी उन लोगों को ज्यादा होती है जो धूम्रपान करते है। साथ ही यह धूल और धुएँ के अधिक संपर्क में रहने से भी होता है।
क्रोनिक ब्रोंकाइटिस के लक्षण
- लम्बे समय से खाँसी और कफ
- ताप के आकस्मिक परिवर्तन
- सर्दियों में इसका ज्यादा बढ़ना
उपचार
- क्रोनिक ब्रोंकाइटिस की समस्या ज्यादा गंभीर होने पर सर्दियों में गर्म रहना और शुष्क वातावरण लाभकारी होता है।
- धूम्रपान से इसकी समस्या बढ़ती है इसलिए रोगी को धूम्रपान न करने की सलाह दी जाती है।
- धूल और धुएं से दूर रहने पर यह कम होती है।
दवाओं का उपयोग
- क्रोनिक ब्रोंकाइटिस में खाँसी को दूर करने वाली ओषधियाँ दी जाती है।
- यदि श्वसनलिकाएँ संकुचित हो जाती है तो ऐमिनोफाइलीन, ऐफेड्रीन का सेवन किया जाता है।
ब्रांकाइटिस के घरेलु उपचार
सौंठ और दालचीनी का उपयोग
- इसके सेवन के लिए सबसे पहले सौंठ और दालचीनी को समान मात्रा में ले और उसे अच्छी तरह पीस ले।
- इस चूर्ण को एक चम्मच ले और आधे ग्लास में मिलाकर अच्छे से उबाल ले।
- इस पानी को हल्का गर्म होने पर एक साथ पी ले।
- ब्रांकाइटिस से राहत मिलेगी।
लहसुन का उपयोग
- लहसुन में एंटी वाइरल गुण पाए जाते है।
- लहसुन की दो तीन कलियाँ ले और उसे छीलकर काट ले और फिर इसे दूध में डालकर अच्छे से उबाल ले और फिर इसका सेवन करे।
अदरक के रस का सेवन
- यदि 2 चम्मच अदरक के रस में 2 चम्मच शहद को मिलाकर इसका सेवन करते है तो भी ब्रांकाइटिस से राहत मिलती है।
दूध और हल्दी
- इसके लिए एक गिलास दूध में थोड़ी सी हल्दी को डालकर उबाल ले और फिर दिन में दो से तीन बार एक चम्मच देशी घी के सहित इसे खाली पेट ले ।
- इससे भी ब्रोंकाइटिस की परेशानी दूर हो जाती है।
दूध और शहद
- दूध के सेवन से भी ब्रांकाइटिस को दूर किया जा सकता है परन्तु इसके लिए दूध में शक्कर के स्थान पर 1 या 2 चम्मच शहद का उपयोग करना चाहिए।
आहार
- हर्बल टी, तरल पदार्थ और सूप का सेवन अधिक मात्रा में करे।
- स्ट्रॉबेरी का सेवन भी लाभकारी होता है।
- पानी को अधिक से अधिक मात्रा में पीये।
- रसीले फल जैसे कि संतरे, अंगूर, सेब और स्ट्रॉबेरी का सेवन करना अच्छा रहता है।
- बलगम को कम करने के लिए जौ का गर्म सूप फायदेमंद होता है।
शक्कर, चाय- कॉफ़ी, शीतल पेय, शक्कर की गोलियां इनके सेवन से दूर रहे| ताकि आप ब्रोंकाइटिस की समस्या से निजात पा सकते है| यदि उपरोक्त जानकारी में से आपको कोई समस्या आ रही है तो डॉक्टर से ज़रूर संपर्क करे|