आजकल के जमाने में कोई भी चीज़ शुद्ध नहीं रह गई है। हर चीज में मिलावट मिलने लगी है। आजकल हवा और पानी जैसी लोगों की आम जरूरतें भी प्रदूषित हो गई हैं। इन प्रदूषित जल वायु और मिलावटी खाद्य पदार्थों के कारण कई प्रकार की बीमारियां भी बढ़ गयी है।
मिलावट और प्रदूषण की बढ़ती समस्या से बढ़ने वाली बीमारियों से बड़े लोग तो प्रभावित होते ही है पर इससे बच्चे बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं। इस भागदौड़ वाली लाइफ में व्यक्ति खुद का भी ख्याल अच्छे से नहीं रख पाता। इसलिए बच्चों का ख्याल रखना और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
ये बीमारियां छोटी उम्र के बच्चों पर ज्यादा हावी होते चले जाते हैं और मौत का कारण भी बन जाते हैं । एक अध्ययन के अनुसार पता चला है कि भारत में 5 वर्ष की उम्र होने से पहले हीं 2.1 मिलियन बच्चे इन बीमारियों से ग्रसित हो कर मर जाते हैं। इन बीमारियों में मुख्यतः अस्थमा, कैंसर, मलेरिया, डायरिया, निमोनिया आदि ज्यादा देखी जाती है ।
अपने बच्चे का ख्याल रखने के लिए आपको यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है की बच्चे को कौन कौन सी बीमारी हो सकती है। ये जानकर आप समय पर उसके इलाज की शुरुआत कर सकते हैं और अपने बच्चे की समस्यायों को दूर कर सकते हैं । आइये आज इस लेख में पढ़ते हैं Common Health Problems in Children.
Common Health Problems in Children: स्वास्थ्य समस्या जो बच्चों में ज्यादा होती है
तपेदिक
- बच्चों में तपेदिक अर्थात ट्यूबरकुलोसिस कई प्रकार से सामने आ सकता है। प्रायमरी कॉम्प्लेक्स, बाल टीबी, प्रोग्रेसिव प्राइमरी टीबी, मिलियरी टीबी, दिमाग की टीबी अथवा हड्डी की टीबी ।
- तपेदिक होने पर बच्चे को बार-बार बुखार आने की परेशानी, वजन के न बढ़ने या फिर वजन के कम हो जाने की परेशानी, बहुत समय तक खांसी की समस्या, हर समय सुस्त रहने की समस्या, गर्दन में गांठे हो जाने जैसी समस्या आदि दिखाई देने लगती है।
- प्रोग्रेसिव प्राइमरी टीबी हो जाने पर बच्चा बहुत ज्यादा बीमार हो जाता है। इसके होने पर बच्चे को बहुत हाई फीवर आता है, भूख नहीं लगता है, खांसी होने के समय कफ आता है साथ हीं निमोनिया होने की संभावना भी बढ़ जाती है ।
- तपेदिक की समस्या से ग्रसित बच्चों को ज्यादातर कुपोषण तथा एनीमिया जैसी समस्या का भी सामना करना पड़ जाता है। उम्र में थोड़े बड़े बच्चे इस समस्या के हो जाने पर कफ में खून आने की समस्या से भी परेशान हो जाते है।
दस्त
- दस्त की बीमारी बहुत से बच्चों में देखने को मिलती है, दस्त मुख्यतः एक विषाणु जिसका नाम रोटावायरस है के कारण बच्चों में होता है।
- रोटावायरस आंत को अफेक्ट करता है, और इससे गैस्ट्रोएंटेराइटिस हो जाता है। आंत के इंटरनल लेयर इससे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।
- आंत के इस क्षतिग्रस्त लेयर से लिक्विड का रिसाव हो जाता है और भोजन बिना पोषक तत्वों के समाहन के हीं बाहर निकल जाता है।
- दस्त होने के कारण बच्चे का शरीर बहुत ही शुष्क हो जाता है। कभी कभी इसका इलाज न करने से बच्चे की मृत्यु भी हो जाती है।
निमोनिया
- फेफड़े के उतकों पर निमोनिया असर करता है। आमतौर पर इसका कारण बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण होता है।
- निमोनिया कभी कभी अचानक एक-दो दिन के अंदर अंदर भी शुरु हो जाता है और कभी कभी यह कई दिन लगता है सामने आने में ।
- कई मौकों पर यह पता लगा पाना आसान नहीं होता है कि यह सिर्फ सर्दी और जुकाम है या फिर यह निमोनिया है।
- खांसी ज्यादातर मौक़ों पर निमोनिया के शुरुआती लक्षणों में से एक माना जाता है।
- निमोनिया के कारण बच्चा तेज़ तेज़ सांस लेने लगता है।
- पांच साल से कम उम्र के किसी भी बच्चे को यह बीमारी कभी भी हो सकती है।
- निमोनिया के लक्षणों में बुखार, खॉंसी और तेज सांस लेना प्रमुख है।
दमा
- बच्चों में दमा की समस्या जिसे अस्थमा भी कहा जाता है के लक्षणों में मुख्यतः हैं श्वसनहीनता, व्हीज़िंग, खांसी, छाती में जकड़न, सुस्ती तथा छाती में दर्द आदि।
- यहाँ श्वसनहीनता की समस्या मुख्यतः सुबह सुबह या फिर रात्रि काल में ज्यादा देखने को मिलती है।
- अस्थमा होने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं। यदि आपके बच्चे को लगातार खांसी और हांफने की समस्या हो परन्तु बुखार न हो तो ये दमा हो सकता है, इसे बालकदमा के नाम से भी जानते हैं ।
- यह 1-5 साल की उम्र तक के बच्चे को होता है। सामान्यतः इसके होने का कारण अनुवंशिकता और एलर्जी होता है। साथ ही यह वायु प्रदूषण से भी हो सकता है।
- विषाणु जनित सर्दी-बुखार से भी बालकदमा हो जाने की संभावना बढ़ जाती है
- बारीश या फिर ठंडे मौसम में बालकदमा अधिक हो सकता है।
- इसलिए अपने बच्चों का इन मौसमों में विशेष ख्याल रखना चाहिए और समय समय पर डॉक्टर से जाँच ज़रूर करवाना चाहिए।
आपने इस लेख में विस्तार से पढ़ा बच्चों को होने वाली कुछ मुख्य बीमारियों के बारे में जिनसे बच्चे बहुत ज्यादा परेशान रहते हैं और उनके शरीर पर इन बीमारियों का बहुत बुरा असर पड़ता है। इस लेख में बताये गए लक्षणों को ध्यान में रखते हुए आप अपने बच्चों का पूरा ख्याल रखें और ऐसी किसी भी लक्षण के दिखते हीं तुरंत अपने डॉक्टर के पास ज़रूर जाएँ। बच्चे बहुत नाज़ुक होते हैं उन्हें बीमारियां बहुत नुक्सान पहुँचा सकती हैं, अगर बच्चों को होने वाली बीमारियों का पता शुरुआत में हीं लगा कर उसका उचित इलाज शुरू कर दिया जाए तो बच्चों को इसका नुक्सान कम होगा और बच्चे जल्द हीं बीमारियों से छुटकारा भी पा लेंगे। तो आप भी इन बातों का ध्यान हमेशा रखें और इन परेशानियों के बढ़ जाने से पहले हीं इसके प्रति सजग हो कर इसका इलाज करवा लें।