प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वज अपने रोगों का निदान घरेलू नुस्खों की सहायता से किया करते थे। वह घरेलू नुस्खों के द्वारा घातक से घातक लोगो का इलाज भी किया करते थे।
घरेलू नुस्खों की खासियत यह होती है की इसका उपयोग करने से किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता है। यह पूरी तरह से सुरक्षित रहते है। इन नुस्खों में कई हर्ब्स की सहायता भी ली जाती है और इन्ही हर्ब्स में से एक प्राकृतिक हर्ब है ओशा की जड़, जो कई प्रकार के गुणों से भरपूर होती है।
आज हम आपको ओशा की जड़ के बारे में बता रहे है। इसे बीयर रूट भी कहा जाता है। इस हर्ब का उपयोग पुराने ज़माने से किया जाता आ रहा है। जो की इस आधुनिक युग तक भी चलता आ रहा है।
ओशा की जड़ के कई फायदे होते है। यह फेफड़ों और साँस की बीमारियों से बचाव के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होने के कारण भी इसका उपयोग किया जाता है। तो चलिए आज हम विस्तार से Osha Root Benefits के बारे में जानते है।
Osha Root Benefits: अनेक फायदों से भरपूर है ओशा की जड़, जाने इसके लाभ
ओशा की जड़ के फायदे
सांस संबंधी समस्याओं में करे सुधार
- ओशा रूट में एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल गुण पाए जाते है जो की स्वसन से सम्बंधित बीमारियों को दूर करने में मदद करते है।
- इसका उपयोग करने से साँस से सम्बंधित समस्याएं ठीक हो जाती है। साथ ही यह फेफड़े और गले से बलगम को बाहर निकालने में सहायक होता है।
- ओशा की जड़ साइनस के मरीजों के लिए भी बेहद फ़ायदेमंद है। इसलिए इन समस्याओं से पीड़ित लोगों को इसका इस्तेमाल करना चाहिए।
- आराम से सांस लेने के लिए भी ओशा की जड़ का सेवन किया जाता है। नवजात शिशुओं के पास ओशा की जड़ को रखने से वह आसानी से साँस ले पाते है। उन्हें साँस लेने में किसी प्रकार की समस्या नहीं आती है।
स्टेमिना को बढ़ाये
- ओशा की जड़ों का उपयोग करने से स्टेमिना भी बढ़ता है।
- जिसके कारण आप अधिक कार्य को भी आसानी से कर सकते है।
ऊंचाई पर चढ़ने में सहायक
- जिन लोगो को ऊचाई पर चढ़ने में डर लगता है उनके लिए यह फायदेमंद हो सकता है।
- यदि आप ओशा की जड़ का सेवन करते है तो आप आसानी से ऊचाई पर चढ़ने सफल होते है।
फेफड़ों के लिए लाभकारी
- ओशा की जड़े फेफड़ों के लिए भी किसी चमत्कार से कम नहीं है।
- यह फेफड़ों की सूजन को दूर करती है।
- इससे फेफड़ों में ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है जिससे फेफड़ों में सकुंचन की समस्या उत्पन्न नहीं होती है।
अन्य लाभकारी फायदे
- जिन लोगो को अस्थमा, वातस्फीति, एलर्जी और निमोनिया आदि की समस्या हैं उनको ओशा की जड़ का उपयोग करने से बहुत फायदा मिलता है।
- ओशा का उपयोग गले में दर्द, ब्रोंकाइटिस, खांसी, आम सर्दी, इन्फ्लूएंजा, स्वाइन फ्लू और निमोनिया के लिए किया जाता है।
- इसका उपयोग हर्पीस, एड्स/एचआईवी सहित अन्य वायरल संक्रमणों के इलाज के लिए भी किया जाता है।
- कुछ लोग घावों को संक्रमित होने से रोकने के लिए सीधे त्वचा पर ओशा लगाते हैं।
यहाँ पाए जाते है ओशा
- ओशा ज्यादातर रॉकी माउंटेन में पाया जाता है और इसका सबसे पहले इस्तेमाल उत्तरी अमेरीकियों द्वारा उनके भोजन के रूप में किया गया था। इसके उपरांत इन पत्तियों का उपयोग अगली पीढ़ी में बुरी आत्माओं से बचाने के लिए जलाकर किया जाने लगा।
- साथ ही इस जड़ का उपयोग हर्ब के रूप में किया जाने गया। जो एंटीबैक्टीरियल, वाणुरोधी और जलन व सूजन दूर करने में भी सहायक होती थी। उत्तरी अमेरिका की घाटियों के अधिकांश मूल निवासी अमेरिकी जनजातियों द्वारा ओशा की जड़ को प्रतिदिन कई तरीकों से उपयोग किया जाता रहा है।
प्राचीन काल में इस तरह करते थे उपयोग
- बता दे की चिकित्सा कार्यों हेतु अमेरिका के मूल निवासी भी ओशा की जड़ का उपयोग किया करते थे।
- वहां के जो मूल निवासी थे विशेषकर धावक और शिकारी, वो इस जड़ का उपयोग शारीरिक सहन शक्ति को बढ़ाने के लिए इसे चबा कर करते थे।
- इस ओशा की जड़ का उपयोग माताएं भी करती थी वह ओशा की जड़ को अपने कपड़े में बांध देती थी।
- फिर उसे अपने नवजात बच्चों के ऊपर बांध दिया करती थीं। जिससे की उन्हें सांस लेते समय शुद्ध हवा मिल सके।
आधुनिक युग में इसलिए करते है इसका उपयोग
- आज ओशा की जड़ को इसके एंटीबैक्टीरियल गुणों के लिए उपयोग किया जाता है।
- यदि फ्लू, कफ या आम सर्दी के प्रारंभिक लक्षण दिखाई देते है तो आज भी ओशा की जड़ उपयोग किया जाता है।
- यदि इसकी जड़ को शहद के साथ मिलाकर लिया जाता है तो यह एक कफ सीरप की तरह कार्य करता है।
- ओशा की जड़ साइनस, गले में खराश और फेफड़ों में होने वाले सूजन का उपचार करने में बहुत ही लाभकारी होती है।
कैसे बनाये ओशा की जड़ का काढ़ा
- ओशा की जड़ का काढ़ा बनाने के लिए एक बर्तन में एक कप पानी ले ले। फिर उसमे एक मुट्ठी ओशा की जड़ को भी डाल दे।
- फिर इस पानी को उबाल ले। इस पानी को तब तक उबालना है जब तक की इसका पानी उबलकर आधा ना हो जाए।
- इस पानी को कम से कम आधे घंटे तक उबाले। इसके बाद इसे ठंडा होने दे और काढ़े को छान ले। इस तरह ओशा की जड़ का काढ़ा तैयार हो जायेगा।
- पीने में ओशा की जड़ का स्वाद अच्छा रहता है। इसका स्वाद अजवाइन की तरह होता है। जब इसे घर में उबाला जाता है तो इसकी महक से घर की हवा भी शुद्ध हो जाती है।
सावधानियां
- जो महिलाएं गर्भवती है उन्हें ओशा की जड़ का सेवन नहीं करना चाहिए।
- साथ ही स्तनपान कराने वाली महिलाओ को भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए। यह उनके लिए हानिकारक होता है।
नोट – यह सही है की ओशा की जड़ का सेवन करना लाभकारी है लेकिन इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श ज़रुर ले।
ओशा की उचित खुराक व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियों पर निर्भर करती है इसलिए इसका उपयोग डॉक्टर की सलाह पर ही करना अच्छा होता है। यदि आप कोई अन्य दवा का सेवन कर रहे है और आप ओशा की जड़ का सेवन करना चाहते है तो भी आप पहले अपने डॉक्टर से सलाह के बाद ही इसका सेवन करे। अब तो आप जान ही गए होंगे की ओशा कितना लाभकारी है। इसका इस्तेमाल सुरक्षा पूर्वक करे और इसके फ़ायदों का लाभ उठाये।