Peritoneal Cancer क्या है, जानिए इसके लक्षण और उपचार

कैंसर लोगो को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रही है इस बीमारी से कई लोग ग्रसित रहते है। यदि समय रहते इस बीमारी का इलाज नहीं कराया जाता है तो इससे व्यक्ति की मौत तक हो जाती है।

इसलिए जरूरी है की आप कैंसर जैसी बीमारी के लिए सजग रहे और अपने आप को इस बीमारी से सुरक्षित रखे। कैंसर के कई प्रकार होते है जिसमे से एक है पेरिटोनियल कैंसर।

पेरिटोनियल कैंसर को इपथिकल कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। इस कैंसर के रोगी बहुत कम संख्या में देखे जाते है। पेरिटोनियल कैंसर ब्लैडर, गर्भाशय और रेकटम पर असर करता है।

इस प्रकार के कैंसर का विकास पेट के ऊपरी भाग के ऊतकों के पतली परत के भीतर होता है। पेरिटोनियल इपथिकल कोशिकाओं से निर्मित आकृति को कहते है । जिसमे ऐसा द्रव्य निर्मित होता है जिससे पेट के भीतर के अंग सरलता से गतिविधि कर पाते है। जानते है Peritoneal Cancer के बारे में ।

Peritoneal Cancer: पुरूषों की तुलना में महिलाओं को है इसकी ज्यादा संभावना

क्यों कहते है इसे इपथिकल कैंसर?

  • पेरिटोनियल कैंसर आंत या पेट के कैंसर से अलग होता है।
  • देखा जाए तो ओवरी के कैंसर के जैसा ही पेरिटोनियल कैंसर दिखाई देता है। परन्तु पेरिटोनियल कैंसर में ओवरी भी होती है।
  • इपथिकल कोशिकाओं से ही ओवरी की सतह निर्मित होती है। इसलिए इसे इपथिकल कैंसर भी कहा जाता है।
  • आपको बता दे की पेट और आंत के कैंसर से पेरिटोनियल कैंसर भिन्न होता है।
  • लोग अधिकतर इस प्रकार के कैंसर से भ्रमित हो जाते है।

पेरिटोनियल कैंसर के बारे में अन्य जानकारी

  • पेरिटोनियल कैंसर होने की सम्भावना पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को ज्यादा होती है।
  • उम्र बढ़ने के साथ साथ पेरिटोनियल कैंसर होने की सम्भावना भी बढ़ जाती है।
  • जिन महिलाओं को ओवरी कैंसर की समस्या होती है उन्हें पेरिटोनियल कैंसर होने की सम्भावना अधिक होती है।
  • जैसे जैसे उम्र बढ़ती है पेरिटोनियल कैंसर होने की सम्भावनाये भी बढ़ती जाती है।

पेरिटोनियल कैंसर के लक्षण

शुरुआती अवस्था में पेरिटोनियल कैंसर के लक्षणों को पहचानना कठिन होता है।परन्तु जैसे जैसे इनके लक्षणों में वृद्धि होती है वैसे वैसे महिलाओ में समस्या बढ़ती जाती है। पेरिटोनियल कैंसर के अधिकांश लक्षण ओवरी के कैंसर के जैसे ही होते है। इसके लक्षणों में से अधिकतर लक्षण पेट में द्रव के निर्माण के कारण होते है।

  • गैस होना
  • कब्ज
  • अपच की समस्या
  • मतली या दस्त
  • कम भूख लगना
  • साँस लेने में समस्या
  • पेट में दर्द, सूजन व ऐठन का होना
  • चक्कर आना
  • डायरियाँ और कांस्टिपेशन
  • बार-बार यूरीन की समस्या का होना
  • एकाएक वजन का कम होना या फिर बढ़ना
  • हल्का भोजन करने के बाद भी पेट में भारीपन होना
  • असामान्य रुप से योनि से रक्तस्राव का होना

पेरिटोनियल कैंसर का निदान

  • इस कैंसर का निदान ओवरी के कैंसर के समान ही किया जाता है।
  • इस तरह के लक्षणों के होने पर डॉक्टर से ज़रूर संपर्क करे।डॉक्टर पहले इसके लिए आपके चिकित्सीय इतिहास की जांच करेगा।उसके बाद वह आपको कुछ जाँच के लिए भी कह सकता है जैसे-
  • गर्भाशय
  • योनि
  • अंडाशय
  • फैलोपियन ट्यूब
  • पेट
  • मूत्राशय
  • मलाशय आदि की जाँच करा सकता है

निम्न टेस्ट भी किये जा सकते है

अल्ट्रासाउंड

  • इसे सोनोग्राफी के नाम से भी जाना जाता है। इस तकनीक के माध्यम से शरीर के भीतर के अंगो को देखा जा सकता है।
  • इसके उपकरण में उच्च आवृत्ति की ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है।

सीए -125 रक्त परीक्षण

  • इस परीक्षण में सीए -125 नामक रक्त में रासायनिक स्तर को मापा जाता है।
  • यदि इस परिक्षण में स्तर उच्च हैं तो पेरिटोनियल कैंसर और ओवरी कैंसर हो सकता है।

सीटी स्कैन

  • सीटी स्कैन के लिए एक एक्स-रे और एक कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है।
  • जिसके द्वारा शरीर के अंगो की स्थिति का पता लगाया जाता है।

बायोप्सी

  • बायोप्सी एक प्रकार की प्रक्रिया होती है जिसमे आपके शरीर से कोशिकाओं या फिर ऊतक को निकाल कर इसकी जाँच करने के किये पैथोलॉजिस्ट के पास भेज दिया जाता है।
  • इन उत्तकों से पैथोलॉजिस्ट पेरिटोनियल कैंसर के होने और नहीं होने का परीक्षण करता है।

पैरासेन्टेसिस

  • ऐसे मामलों में जहां सर्जरी संभव नहीं है।
  • डॉक्टर एक माइक्रोस्कोप के तहत परिक्षण के लिए तरल पदार्थ को हटा सकते हैं। इसे पेरासिनेस्टिस कहा जाता है।

इसके अतिरिक्त Lower GI series, Upper GI series की भी जाँच की जा सकती है।
बता दे की ओवरी और पेरिटोनियल कैंसर एक माइक्रोस्कोप के नीचे ही दिखते हैं । इसलिए, किसी ट्यूमर के पैटर्न और स्थान से संकेत मिलता है कि उसमे किस प्रकार का कैंसर मौजूद हैं।

पेरिटोनियल कैंसर का उपचार

पेरिटोनियल कैंसर के होने पर एक से अधिक प्रकार के उपचार हो सकते हैं, ये उपचार मरीज के स्तर पर निर्भर करता है, जैसे-

  • कैंसर का स्तर और ग्रेड
  • कैंसर का आकार और स्थान
  • मरीज की आयु और समग्र स्वास्थ्य

इसके अतिरिक्त सर्जरी, प्रशामक देखभाल, हाइपरथेरमिक इंट्राटेरटोनियल केमोथेरेपी और कीमोथेरपी के जरिये भी इसका उपचार किया जाता है। जानते है इसके बारे में-

सर्जरी

  • सर्जरी न केवल निदान में मदद करता है बल्कि यह किसी भी ट्यूमर को जड़ से भी नष्ट कर सकता है।
  • एक सर्जन इसके लिए अंडाशय, फैलोपियन ट्यूबों और गर्भाशय को भी हटा सकता है।

केमोथेरेपी

  • इसमें ओवेरी कैंसर के लिए जो दवाएं दी जाती है वही पेरिटोनियल कैंसर के इलाज के लिए भी उपयोग की जाती है।
  • आप इन दवाओं को इंजेक्शन द्वारा पेशेंट के बीमारी के आधार पर हर एक, दो या तीन सप्ताह में दिया जाता है।
  • कभी-कभी कैमोथरेपी पेट में सीधे एक कैथेटर के माध्यम से भी दिया जाता है जो शल्य चिकित्सा के दौरान त्वचा के नीचे रखा जाता है।
  • इसे इंट्राटेरटोनियल केमोथेरेपी कहा जाता है। इसे हर तीन सप्ताह के दौरान दिया जाता है। परन्तु यह प्रक्रिया थोड़ी जटिल होती है।

एचआईपीईसी (hyperthermic intraperitoneal chemotherapy)

  • यह शल्य चिकित्सा के बाद पेरिटोनियम में गर्म कीमोथेरेपी होती है।
  • पेरिटोनियल कैंसर के लिए यह तकनीक आम है।

सहायक देखभाल (Palliative Care)

  • अक्सर डॉक्टर एडवांस्ड लेवल पर ही पेरिटोनियल कैंसर का निदान करते है।
  • यदि पेरिटोनियल कैंसर की शुरुआत है तो इसके लिए सहायक देखभाल दर्द, वजन घटाने या तरल पदार्थ के निर्माण के लक्षणों को दूर करने में मदद कर सकता है।

नोट– उपरोक्त लक्षणों को दिखने के बाद आप अपने डॉक्टर से इसकी जाँच ज़रूर करवाए। समय रहते इस कैंसर का इलाज करना भी अच्छा होगा नहीं तो पेरिटोनियल कैंसर घातक रूप भी ले सकता है।

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