ॐ और अल्लाह की समानताएं जान आप भी रह जायेंगे हैरान
धर्म को लेकर आज कल पूरी दुनिया में कई प्रकार की क्रिया प्रतिक्रियाएं चल रही है। जिसमें सभी धर्मों के समर्थक अपने धर्म को दूसरे से ऊपर बताने की कोशिश में लगे हुए हैं। कई लोग अपनी बात भी कुछ तर्कों के साथ बड़ी कट्टरता से रखते है।
सदियों से कई ऐसे काम किए जाते है। जो हर समय धर्म की आड़ में होते है। यह पूर्ण रूप से मानवता के विरुद्ध हैं। यहाँ तक कि कोई भी धर्म ऐसे कामों की कतई अनुमति नहीं देता है। यह बात पूर्ण रूप से सत्य है कि दुनिया का कोई भी धर्म हो उसमे लगभग एक ही बातें कही गयी हैं।
मुस्लिम समाज में यह मान्यता है कि सिवाय अल्लाह के कोई वंदनीय नहीं है। जबकि हिन्दू समाज में यह है कि हर वह पदार्थ, तत्व और व्यक्ति पूजनीय और वंदनीय है। पूजनीय और वंदनीय का अर्थ सम्मान करना है।
हालांकि आपको दुनिया के सभी धर्मों में काफ़ी समानताएं देखने को मिल जाएंगी, लेकिन हिन्दू और मुस्लिम संप्रदाय में बहुत ज्यादा ही समानताएं हैं। भले ही आप इसे मानें या न मानें लेकिन ये पूरी तरह सत्य है।
Om and Allah: जानिए इससे जुड़े कुछ तथ्य
- सत्यता यही है कि ओम् का अर्थ अल्लाह होता है।
- Om and Allah का एक ही स्वरूप है।
- सभी स्वास्तिकों का स्वरूप विश्व में एक है।
- ईश्वरीय शक्ति पर दोनों धर्म विश्वास रखते हैं।
- दोनों धर्मों में माना जाता है कि इंसान अपने कर्म करने के लिए आजाद है। उसकी अच्छाई और बुराई पर ही उसकी पहचान होगी।
- दोनों धर्मों में कहा गया है कि ईश्वर अपने चाहने वालों से बहुत प्रेम करता हैं।
- सौहार्द्र, भाईचारा, विश्वास, क्षमा और प्रेम करना दोनों धर्मों में सिखाया गया है।
- अहिंसा को दोनों धर्मों में जगह दी गई है।
- दूसरों के धर्म के प्रति प्रेम रखना भी दोनों धर्मों में सिखाया गया है।
- प्रकृति के प्रति कर्त्तव्यनिष्ठ रहना दोनों धर्मों में सिखाया गया है।
ऊं और 786 में समानताएं
हिंदूओं के सबसे पवित्र शब्दों में से एक है “ऊं“। कहा जाता हैं कि इसको एक बार मन से कहने मात्र से ही सारे दुखों का संहार हो जाता है तथा मन पवित्र और शांत हो जाता है। इसी कारण किसी भी पूजा से पहले ऊं शब्द का उच्चाऱण किया जाता है। जिससे कि पूजा करने वाले जातक की पूजा स्वीकार हो जाये।
वहीं हर सच्चा मुसलमान 786 अंक को ऊपर वाले का वरदान समझता है। इसलिए धर्म को मानने वाले लोग अपने प्रत्येक कार्य में 786 अंक के सम्मिलित होने को शुभ मानते हैं। कहा जाता हैं कि यदि आप अरबी या उर्दू में लिखें तो ‘बिस्मिल्ला अल रहमान अल रहीम’ को लिखेंगे तो उसका योग 786 आता है इसलिए यह काफी पाक नंबर है।
एक प्रसिद्ध शोधकर्ता राफेल पताई ने अपनी पुस्तक ‘द जीविस माइंड’ में ॐ और 786 में समानता बताते हुए लिखा है कि ‘अगर आप 786 नंबर की आकृति पर गौर करेंगे तो यह बिल्कुल संस्कृत में लिखा हुआ ‘ऊं’ दिखायी देगा। जिसको परखने के लिए आप 786 को हिंदी की गिनती में यानी कि ७८६ लिखिये, उत्तर खुद ब खुद मिल जायेगा।’
हर धर्म हमे आपस में बेर करना नहीं सिखाता है इसलिए कहा भी गया है “मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना”। इन सभी तथ्यों पर गौर किया जाये तो हिन्दू हो यह मुस्लमान दोनों धर्मों में प्रेम, सोहाद्र और दया रखना सिखाया जाता है।