Shradh 2018: जीवन में सफलता चाहिए तो पितरों से मुंह ना मोड़े, जाने पितृ पक्ष का महत्त्व
हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार माना जाता है कि अगर आपके पितृ आपसे खुश है तो कोई आपका बाल भी बांका नहीं कर सकता है। लेकिन अगर किसी कारणवश वो आपसे नाराज है तो सर्वनाश निश्चित है। हिन्दू धर्म में पितरों का तर्पण कराने की प्रथा बहुत ही प्राचीन है। यहाँ पितृ का अर्थ पूर्वज और श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा है।
पंचांग के अनुसार सोलह दिन श्राद्ध पक्ष के लिए निर्धारित किये गए है। इस Pitru Paksha में सभी हिन्दू धर्म के लोग अपने पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते है। पितृपक्ष को श्राद्ध और कनागत भी कहा जाता है। इसमें मुख्य रूप से अपने पूर्वजों को याद करते हुए उन्हें खाना अर्पित किया जाता है। हर साल यह पितृपक्ष भद्रापद महीने के अनंत चतुर्दशी के बाद आता है।
इस साल यह Pitru Paksha 2018 सितम्बर 24 (सोमवार ) से अक्टूबर 08 (सोमवार) तक चलेंगे। हिन्दू धर्म में श्राद्ध की बड़ी अहम भूमिका है। शास्त्रों में कहा गया है कि श्राद्ध को कर पूर्वजों या फिर पितरों को मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्रदान कर, उन्हें मोक्ष मिलने में मदद मिलती है।
श्राद्ध में अपने पूर्वजों को याद करने व् उनका तर्पण करने से उन्हें शांति और तृप्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद सदैव आपके साथ बना रहता है। श्राद्ध करके वर्तमान पीढ़ी अपने पूर्वजों तथा मृत रिश्तेदारों के प्रति अपने ऋृण को चुकाती है। आइये जाने श्राद्ध तिथि और Significance of Shradh.
Significance of Shradh: जानिए श्राद्ध क्या है और क्यों किया जाता है
धार्मिक मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति अपने पूर्वजों का श्राद्ध नहीं करता है तो पितृदोष का सामना करना पड़ता है। जिस कारण उनके कई बने बनाए काम भी पूर्ण नहीं हो पाते है। इसलिए हिन्दू धर्म में Pitru Tarpan Vidhi के द्वारा पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा अर्चना की जाती है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष बताया जाता है तो उन्हें पितृदोष निवारण के लिए अपने पितरों का श्राद्ध कर पितृऋण से मुक्ति मिल सकती है। Shradh 2018 में 24 सितम्बर (सोमवार) से 08 अक्टूबर (सोमवार) तक रहेंगे।
क्या है श्राद्ध का महत्व?
हिन्दू मान्यताओं की माने तो हमारी तीन पूर्ववर्ती पीढ़ियां पितृ लोक में रहती है जो की स्वर्ग और धरती के बीच का एक क्षेत्र है और इस क्षेत्र पर भगवान यम मतलब यमराज का अधिकार होता है।
हिन्दू धार्मिक परम्पराओं के अनुसार अगली पीढ़ी में यदि किसी भी इंसान की मृत्यु होती है। तो पहली पीढ़ी में उनका श्राद्ध करके उनको देवलोक के पास भेजा जाता है। और बस आखिर की तीन पीढ़ियों को ही श्राद्ध करने का हक़ होता है।
आप सब ने महाभारत की कथा या टीवी सीरियल देखा ही होगा। महाभारत में कर्ण की मृत्यु हो जाने के बाद उनकी आत्मा स्वर्ग को चली जाती है। तब उनको वहां पर बहुत सारा सोना और गहने दिए जाते है। जबकि कर्ण तो स्वर्ग में भोजन की तलाश कर रहे थे।
तभी उन्होंने भगवान इंद्र से पूछा कि मुझे भोजन की जगह सोना दिया जा रहा है। इस बात को सुनकर भगवान इंद्र ने कर्ण को बताया कि जब तुम जीवित थे उस समय लोगों को दान में सोना दिया करते थे। मगर तुमने Shradh के समय अपने पितरों या फिर पूर्वजों को कभी भी जल और अन्न दान नहीं दिया।
इन बातों को सुनने के बाद कर्ण ने भगवान इंद्र से कहा कि मुझे इस बात का बिलकुल भी ज्ञान नहीं था, कि मेरे पूर्वज कौन थे। इसी वजह से में कभी भी कुछ दान नहीं कर सका। इन सब बातों को सुनकर भगवान इंद्र ने कर्ण को धरती पर भेजा और उन्हें अपनी गलती सुधारने का मौका दिया।
फिर धरती पर आने के पश्चात 15 दिनों के लिए कर्ण ने अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनका श्राद्ध कर उन्हें खाना-पानी दान किया। इसी 15 दिन को Pitru Paksha in Hindi कहा गया है।
Shradh Dates 2018: पितृ पक्ष की तिथियां विस्तार से
24 सितंबर 2018 | रविवार | पूर्णिमा श्राद्ध |
25 सितंबर 2018 | सोमवार | प्रतिपदा श्राद्ध |
26 सितंबर 2018 | मंगलवार | द्वितीय श्राद्ध |
27 सितंबर 2018 | बुधवार | तृतीय श्राद्ध |
28 सितंबर 2018 | गुरुवार | चतुर्थी श्राद्ध |
29 सितंबर 2018 | शुक्रवार | पंचमी श्राद्ध |
30 सितंबर 2018 | शनिवार | षष्ठी श्राद्ध |
1 अक्टूबर 2018 | रविवार | सप्तमी श्राद्ध |
2 अक्टूबर 2018 | सोमवार | अष्टमी श्राद्ध |
3 अक्टूबर 2018 | मंगलवार | नवमी श्राद्ध |
4 अक्टूबर 2018 | बुधवार | दशमी श्राद्ध |
5 अक्टूबर 2018 | गुरुवार | एकादशी श्राद्ध |
6 अक्टूबर 2018 | शुक्रवार | द्वादशी श्राद्ध |
7 अक्टूबर 2018 | शनिवार | त्रयोदशी श्राद्ध, चतुर्दशी श्राद्ध |
8 अक्टूबर 2018 | रविवार | सर्वपितृ अमावस्या, महालय अमावस्या |
पितृ पक्ष के आखरी दिन को Sarva Pitru Amavasya या Mahalaya Amavasya के नाम से जाना जाता है। पितृ पक्ष में महालय अमावस्या का विशेष महत्त्व होता है, क्योंकि इस दिन आप उन सभी पूर्वजों के तर्पण के लिए श्राद्ध कर सकते है। जिनके स्वर्गवास की तिथि का आपको ज्ञान नहीं है। Mahalaya Amavasya 2018 में रविवार 08 अक्टूबर को है।
इन बातों का रखें ध्यान
- पितृपक्ष में पूर्वज किसी भी रूप में आपके घर आ सकते है इसलिए अगर कोई आपके घर आये तो उन्हें भगाएं नहीं। बल्कि उनका सच्चे मन से स्वागत सत्कार करें।
- पितरों का तर्पण करते समय काले तिल का प्रयोग अवश्य करें।
- पितृपक्ष में ब्राह्मणों को भोजन अवश्य कराएं।
- पितृपक्ष में पशु पक्षियों को भोजन यानि दाना पानी देने से लाभ मिलता है।
- अगर आप पितृपक्ष घर पर कर रहे है तो Pitru Paksha Mantra का जाप करना न भूलें।
घर में सुख शांति और दिन दुनि रात चौगुनी तरक्की के पीछे पूर्वजों का बहुत बड़ा सहयोग होता है इसलिए Pitru Mantra का जाप कर उन्हें सदैव खुश रखें और Pitru Paksha 2018 की तिथियां ध्यान में रखकर तरपान का कार्य पूर्ण करें।