How to Improve Sixth Sense: छठी इन्द्रिय को जाग्रत करने का तरीका जाने

हमारे मुख्य सेंस 5 प्रकार के होते है जैसे कि नाक, आँख, कान, जीभ और त्वचा। इन्ही के द्वारा हम चीजों को देखते है, पहचानते है, उसे महसूस करते है और उसका इस्तेमाल करते है। पर इन सब के अलावा एक छठा सेन्स भी होता है जो किसी किसी के पास ही जागृत हो पाता है।

पुराने शास्त्रों मे ऐसा माना जाता है कि मनुष्य के पास एक और इन्द्रिय होती है इसे छठी इंद्रिय कहते है। इसे इंग्लिश में सिक्स्थ सेंस (6th Sense)कहा जाता है। ये इंद्री होती सबके पास है पर जागृत किसी किसी की ही हो पाती है।

यह इन्द्रिय इतनी लाभकारी होती है कि यदि आपने इसे सक्रिय कर लिया और यदि आपके पास उपरोक्त 5 इन्द्रियों कि कमी है तो भी आप सामान्य जीवन जी सकते है। इस छठी इन्द्रिय को देखा नही जा सकता केवल महसूस किया जा सकता है।

इस इस्द्रिय के जागृत हो जाने से आप किसी बात को या फिर किसी कि भी आहट को पहचान सकते है। साथ ही आप इसके चलते कुछ घटनाओं के होने का पूर्वाभास भी कर सकते है। आइये आज के लेख में जानते है How to Improve Sixth Sense, अपने Sixth Sense को कैसे विकसित करे?

How to Improve Sixth Sense: छठी इन्द्रिय को कैसे जाग्रत करने के उपायों को जाने

मनुष्य की छठी इन्द्रिय: Six Senses of Human

  • मनुष्य के दिमाग के अंदर कपाल के नीचे की तरफ एक छेद होता है जिसे ब्रह्मरंध्र के नाम से जाना जाता है।
  • ब्रह्मरंध्र से ही सुषुन्मा नाड़ी रीढ़ से हो कर मूलाधार तक जाती है। आपको बता दे की यह सुषुन्मा नाड़ी सहस्रकार से जुड़ी है। साथ ही शरीर के बायीं ओर इड़ा नाड़ी स्थित है और दायीं ओर पिंगला नाड़ी।
  • सुषुम्ना नाड़ी बीच में स्थित होती है और जब हमारे इड़ा नाड़ी व पिंगला नाड़ी के स्वर अच्छे से कार्य करते है तो इसका मतलब होता है की आपके शरीर में सुषम्ना नाड़ी सक्रिय हो गयी है।
  • सुषम्ना नाड़ी की सक्रियता को ही सिक्स्थ सेंस कहा जाता है।

6th Sense of Human को कैसे करे जागृत

मौन है लाभकारी

  • मौन सिक्स्थ सेंस के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। उसका अभ्यास करने से मन की क्षमता विकसित हो जाती है।
  • जिसके द्वारा आपकी आभास करने की क्षमता और काल्पनिक शक्ति दोनों ही बढ़ जाती है।
  • यदि आपकी दोनों शक्ति बढ़ती है तो आप भूत और भविष्य दोनों के बारे में जान पाते है।

ध्यान

  • ध्यान करते समय दोनों भोहों के बीच वाले स्थान पर नियमित रूप से ध्यान करते रहने से आज्ञाचक्र जाग्रत हो जाता है।
  • यह आज्ञाचक्र हमारे 6 Senses को बढ़ाने में मदद करता है।
  • इसके लिए प्रतिदिन 40 मिनट का ध्यान करे।
  • इससे छठी इन्द्रिय को बढाने में सहायता होगी।

प्राणायाम

  • छठी इंद्री भौहों के मध्य होती है और सुषुम्ना नाड़ी के जाग्रत होने से छठी इंद्री भी जागृत हो जाती है।
  • इस कारण छठी इंद्री को प्राणायाम के माध्यम से भी जागृत किया जा सकता है। इसके लिए कम से कम छह माह का समय लगता है।
  • इस अभ्यास में जब नाक के दोनों स्वर चलते हैं तो यह मानते है कि सुषम्ना नाड़ी सक्रिय हो गयी है और इस प्रकार कि सक्रियता से छठी इंद्री जाग्रत होती है।

योग निद्रा

  • योग निद्रा करते समय सोचे कि आपके शरीर को पृथ्वी ने उठाया हुआ है।
  • अब एक-एक करके ध्यान को पहले अपने दाहिने हाथ के अंगूठे पर फिर सभी उंगलियों पर ले जाए।
  • इसके बाद उसे कोहनी, कलाई, भुजा और कंधे पर ले जाये।
  • इसी प्रकार अपने ध्यान को बाएँ हाथ पर भी ले जाएं।
  • ऐसा करने से दाहिना पेट, जिगर, पेट के अंदर की आंते, अग्नाशय, दाएँ व बाएँ फेफड़े, समस्त अंग और हृदय शिथिल हो जाते हैं।
  • इस प्रकार कि कल्पना करे, इसके बाद अंत में अपने ध्यान को सांस कि तरफ ले जाए।

त्राटक द्वारा

  • त्राटक क्रिया द्वारा भी छठी इंद्री को जाग्रत किया जा सकता है।
  • इसे करने के लिए आप जितनी देर तक हो सके बिना पलके झपकाए किसी एक बिंदु, मोमबत्ती, क्रिस्टल बॉल, या घी के दीपक की ज्योति को देखते रहिए।
  • इसका अभ्यास कुछ समय तक करे।
  • ऐसा करने से एकाग्रता के साथ साथ आपकी छठी इंद्री भी जाग्रत होती है।

छठी इंद्री को जाग्रत होने के लाभ

  • छठी इंद्री के जागृत होने से व्यक्ति को दूरदृष्टि प्राप्त हो जाती है वह भविष्य को देख सकता है साथ ही अतीत की घटनाओं को भी जान सकता है।
  • इसके अलावा किस व्यक्ति के मन में क्या चल रहा है वह इस बात का भी पता लगा सकता है।
  • यदि कोई व्यक्ति बहुत दूर है तो भी उसकी बातें उस व्यक्ति को सुनाई देती है जिसकी छठी इंद्री जाग्रत हो।
  • जिस व्यक्ति की छठी इंद्री जागृत होती है उस व्यक्ति से कुछ भी छुपा हुआ नहीं होता है। उसे एक ही जगह पर बैठ कर दुनिया भर की जानकारी मिल जाती है। कहाँ पर क्या चल रहा वह बैठे बैठे ही पता लगा सकता है।
  • व्यक्ति का दिमाग पहले की अपेक्षा दस गुना ज्यादा चलने लगता है
  • ऐसे व्यक्ति को इस बात का भी अनुभव हो जाता है की उसके आसपास क्या होने वाला है उसे पहले से ही घटनाओं का आभास होने लगता है।

बहुत से ऐसे लोग भी होते है जिनमे सिक्स्थ सेंस सक्रीय होता है जिसके कारण उनको घटनाओं का आभास पहले से ही होने लगता है। आपने कभी ना कभी किसी व्यक्ति को कहते सुना भी होगा की उन्हें लग ही रहा था की ऐसा कुछ होने वाला है और वह घटना हो भी जाती है। यानी की उस व्यक्ति की इन्द्रियाँ सक्रीय है और उसे पहले से ही इस बात का आभास उसे हो गया था की भविष्य में ऐसी घटना होने वाली है। हमारे आस पास ऐसे बहुत से लोग है जिनकी सिक्स्थ सेंस बहुत ही अच्छी होती है। जिसके कारण भी वह किसी के मन की बातों को जान पाते है साथ ही भूत और भविष्य की घटनाओं से अवगत हो पाते है।

नोट – यदि आप अपना सिक्स्थ सेंस बढ़ाना चाहते है तो नियमित रूप से उपरोक्त आसन को कर सकते है और इस तरह की सिद्धि प्राप्त कर सकते है।

इसके लिए आपको उपरोक्त आसनो को नियमित रूप से करना होगा यह तब ही फ़ायदेमंद होता है। साथ ही आसनो का अभ्यास करने के लिए आप किसी कुशल प्रशिक्षक की मदद भी ले सकते है तो आपको इसे सही तरीके से करने में मदद कर सकता है।

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