आमिर खान की हिट मूवी तारे जमीन पर लगभग सभी ने देखी होगी। यदि आपको याद हो तो मूवी में एक इशान अवस्थी नाम के बच्चे को दिखाया गया है, जिसे पढ़ने और लिखने में परेशानी होती है। यह बच्चा हर चीज़ में होशियार होता है, जैसे चीज़ो को समझने में, पेंटिंग में। लेकिन पढाई की बात करे तो वह शब्दों और अक्षरों को गलत या उल्टा पढता है। साथ ही वह उनका उच्चारण भी नहीं कर पाता।
शब्दों को पहचानना, लिखना पढ़ना, समझने और याद करने में दिक्कत आदि को मनोविज्ञान में Dyslexia के नाम से जाना गया है और इसी बीमारी से तारे जमीन पर मूवी का वप बच्चा इशान भी पीड़ित था।
डिस्लेक्सिया की अवस्था में होने के कारण कई बच्चे पढाई नहीं कर पाते। जिसके चलते बहुत से माता – पिता को लगता है की उनका बच्चा पढाई न करने के बहाने बना रहा है।
इसलिए बहुत सारे माँ बाप अपने बच्चे को डांटते और मारते भी रहते हैं लेकिन तमाम कोशिश को कर लेने के बावजूद भी बच्चे के व्यवहार में बदलाव नहीं आ पाता। आइये आज के लेख में विस्तार से जानते है What is Dyslexia और इसकी मुख वजहें क्या होती हैं।
What is Dyslexia: कैसी समस्या है डिस्लेक्सिया? किस प्रकार कर सकते हैं इसका निदान
डिस्लेक्सिया क्या है: What is Dyslexia
- डिस्लेक्सिया पढ़ने लिखने से सम्बंधित एक तरह की विकलांगता है।
- इसके चलते पढ़ने लिखने और भाषा को समझने में दिक्कत होती है।
- यह ज्यादातर बच्चों में होता है। यह बच्चे की कुछ योग्यताओं को प्रभावित कर सकती है।
- किन्तु बच्चे की बौद्धिकता के सामान्य स्तर से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है।
क्या डिस्लेक्सिया मानसिक बीमारी है?
- बहुत से लोगो को लगता है की डिस्लेक्सिया एक मानसिक रोग है। इससे पीड़ित बच्चों को लोग मंद बुद्धि से जोड़ कर कर देखते है।
- किन्तु आपको बता दें की यह कोई बीमारी नहीं बल्कि एक तरह की लर्निंग एबिलिटी है जिसे सुधारा भी जा सकता है।
- ऐसे बच्चों में बस लिखने पढ़ने को लेकर ही दिक्कत होती है किन्तु इनमे प्रतिभा और कौशल की कमी नहीं होती।
- मालूम हो की दुनिया के कई प्रसिद्ध लोगो और वैज्ञानिको में भी डिस्लेक्सिया के लक्षण पाए गए थे।
डिस्लेक्सिया होने के लक्षण: Dyslexia Symptoms
डिस्लेक्सिया की बीमारी का पता छोटे बच्चों में लगा पाना कठिन होता है। इसे उनके स्कूल जाने की उम्र में ही सही ढंग से पहचाना जा सकता है। कुछ लक्षणों को देखकर इसका पता लगाया जा सकता है।
शिशु अवस्था में होने वाले लक्षण
- नए शब्दों को देरी से सीखना
- बोलना सीखने में देरी करना
- कविताओं को सीखने में परेशानी आना
स्कुल जाने की अवस्था में लक्षण
- सुनने के बाद चीजों को देरी से समझना
- तेजी से दी जाने वाले आदेशों को समझने में परेशानी आना
- पढ़ने में कठिनाई आना
किशोरावस्था के लक्षण
- ऊंची आवाज़ में पढ़ने में समस्या
- समय मैनेज करने में परेशानी
- किसी भी कहानी का संक्षिप्त विवरण बताने में कठिनाई
- याद रखने में परेशानी
- विदेशी भाषा को सीखने में परेशानी आना
Dyslexia Diagnosis: डिस्लेक्सिया का निदान कैसे करे?
- दुनिया भर में यह विकार 3-15 साल उम्र के लगभग 3 प्रतिशत बच्चों में पाया जाता है और इसका पता ज्यादातर बच्चे के स्कूल जाने के बाद पता चलता है।
- इन समस्या से ग्रसित बच्चों की समझ धीमी होती है। इसलिए इन बच्चों को आपको ज्यादा समय देना पड़ेगा।
- इसमें बच्चों को पढ़ाने का तरीका बदलें, चित्रों के जरिये समझाए, उन्हें चीज़े आसान करके बताएं।
- डिस्लेक्सिया के बारे में माता पिता को पता होना चाहिए ताकि वह इस बीमारी से पीड़ित बच्चे की सही ढंग से देखभाल कर सके। साथ ही उपयुक्त लक्षणों के नजर आने पर बच्चे को डॉक्टर से ज़रूर दिखाए।
- डिसलेक्स्या से पीड़ित बच्चे को ऊँची आवाज़ में बात करने पर डर लगता है इसलिए अपने बच्चे को ऊँची आवाज़ में कहानियां सुनाये ताकि उनका यह डर कम हो सके।
- साथ ही आप बच्चे को ऑडियो किताब को सुनने के लिए उत्साहित कर सकते है।
- बच्चे की उम्र जैसे जैसे बढे आप उसके साथ कहानियाँ अख़बार आदि को साथ साथ पढ़े, इससे भी बच्चे के मनोबल में वृद्धि होती है। बीच बीच में उनके उत्साह को भी बढ़ाते रहे।
- बच्चों को डांटे नहीं और उन्हें बार-बार लिखवाएं, वोकेशनल ट्रेनिंग कराएं।
- बच्चे की रूचि पर ध्यान दे और उसके लिए उसे उत्साहित करे। स्कूल में उनके टीचर से बच्चे को आने वाली समस्याओं के बारे में बताये ताकि वह भी पीड़ित बच्चे की मदद कर सके।
डिस्लेक्सिया होने की जटिलताएं
डिस्लेक्सिया के कारण कई बीमारियाँ होने का भी खतरा रहता है। जैसे की
- इस समस्या से पीड़ित बच्चे किसी से भी घुल मिल कर नहीं रह पाते है। वह अपने पेरेंट्स और शिक्षक से कटे कटे रहते है।
- उनमे आत्मविश्वास की कमी हो जाती है और वह जीवन में आगे बढ़ने से डरते है। ऐसे बच्चे समाज में सही ढंग से बर्ताव नहीं कर पाते है।
- इस समस्या से पीड़ित बच्चे को पढ़ने में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही वे अपने दोस्तों के साथ भी तालमेल नहीं कर पाते है।
- इस प्रकार के बच्चे अपने दैनिक क्रिया कलापो के लिए भी समय नहीं निकाल पाते है।
यदि डिस्लेक्सिया का इलाज नहीं किया जाये तो इससे जूझ रहे बच्चों के आत्मसम्मान में कमी आ सकती है। जो की सही नहीं है, उनमें हीनभावना, घबराहट, चिंता व भावनात्मक समस्याएँ आने लगती है। वे दूसरे बच्चों से घुलने मिलने में भी दिलचस्पी नहीं रखते। उन्हें एकांत में रहना अच्छा लगता है। वह खुद की ही दुनिया में रहना चाहते है। यदि आपको अपने बच्चे में इस बीमारी का पता बच्चे के बड़े होने पर चलता है। तो भी आप इसके लिए निराश ना हो। तुरंत ही किसी कुशल डॉक्टर से अपने बच्चे को दिखाए। इसके लिए बच्चे के साथ समय बिताये ताकि आपको उसकी समस्याओं के बारे मे अच्छे से पता चल पायेगा।
नोट – अपने बच्चों के लिए अपने व्यस्त समय में से थोड़ा समय ज़रूर निकाले ताकि आप उनकी समस्याओं को भी जान सकेंगे क्योंकि कई माता पिता अपने कार्यो में लगे रहते है और अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते है जिसके कारण भी इस बीमारी का पता उन्हें बहुत देर से लगता है। बच्चे के सबसे अच्छे दोस्त उनके माता पिता ही रहते है जिनसे बच्चे अपनी दिल की बात शेयर करते है। इसलिए उनका साथी बनने की कोशिश करे।