Bipolar Disorder in Hindi: आपका तनाव, अवसाद और मूड स्विंग बाइपोलर डिसऑर्डर तो नहीं?

बाइपोलर डिसऑर्डर एक तरह की मानसिक समस्या मानी जाती है। इसे मनिक अवसादग्रस्तता विकार (Manic Depressive Disorder) भी कहा जाता है। इसके कारण गहरा अवसाद होता है जिसकी वजह से मूड स्विंग बहुत बढ़ जाती है और पीड़ित व्यक्ति की भावोत्तेजना कभी उच्च स्तर पर तो कभी निम्न स्तर पर आता जाता रहता है।

यह एक चक्रीय विकार है जिसमे इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति की मनोभाव बारी-बारी से दो भिन्न तथा विरुद्ध अवस्थाओं में बदलती रहती है। इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति के बर्ताव में अकस्मात परिवर्तन देखने को मिल जाता है। कभी पीड़ित का मूड काफी प्रसन्न रहता है तो कभी बगैर किसी बात के हीं मूड काफी उदास हो जाता है।

मूड स्विंग के दौरान जब पीड़ित उदास रहता है तब उसे बुरे विचार आते हैं (जैसे वो खुद को अपने आप को कसूरवार समझते हैं ) तथा बहुत ज्यादा प्रसन्न होने पर पीड़ित के मन में बड़े बड़े ख्याल आते हैं (जैसे वो खुद को बहुत धनी, सृजनशील या ताक़तवर समझते हैं )|

ऐसे में बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित व्यक्ति का स्वभाव समझना असंभव हो जाता है। पीड़ित को इस समस्या के दौरान अच्छे देखभाल और प्यार की जरुरत होती है। एक आंकड़े के अनुसार हमारे देश में हर 100 व्यक्ति में से 1 इस समस्या से ग्रषित है। इससे निजात पाने के लिए पढ़ें आज का लेख Bipolar Disorder in Hindi.

Bipolar Disorder in Hindi: जाने बाइपोलर डिसऑर्डर से जुड़ी जानकारियां

Bipolar Disorder in Hindi

कैसे पता करे की बाइपोलर डिसऑर्डर के मानसिक विकार से आप ग्रसित हैं या नहीं। इसके लिए इसके लक्षणों और संकेतों पर ध्यान देने की जरुरत पड़ती है। आइये जानते हैं इसके कुछ लक्षणों को। पढ़ते हैं Bipolar Disorder Symptoms in Hindi.

अस्थिर व्यवहार

  • इस समस्या से ग्रसित व्यक्तियों के व्यवहार में अनियमितता देखी जाती है। ये लोग सेल्फ ऑब्सेस्ड होते है और खुद को आत्मसम्मान से भरा हुआ समझते है।
  • ऐसे लोग कोई भी काम करने से पहले कुछ सोचते नहीं हैं। उनका मानना होता है की वो जो करेंगे वो अच्छा हीं होगा।
  • इन जैसे लोगों को अपने द्वारा किया गया हर काम सबसे बेहतर लगता है और ये कभी अपने काम की बुराई सह नहीं पाते हैं।

ख्यालों की दुनिया में खोये रहना

  • इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति के ये लक्षण पहचान पाना बहुत मुश्किल काम होता है क्योंकि इस तरह का व्यक्ति हमेशा बस अपने द्वारा बनाये गए एक ख्यालों की काल्पनिक दुनिया में खोया रहता है।
  • ऐसे इंसान के मस्तिष्क में हर क्षण हजारों तरह की ख़यालें दौड़ती रहती हैं। इन हजारों ख्यालों पर वो व्यक्ति खुद भी काबू नहीं रख पाता।

नींद न आने की समस्या

  • इस समस्या के लक्षणों में एक मुख्य लक्षण है नींद ना आने की समस्या। इस हालत में पीड़ित लोगों को नींद बहुत कम आती है या कभी कभी बिलकुल नहीं आती है।
  • देखा गया है की डिप्रेशन होने पर बहुत ज्यादा नींद आती है और इसके कारण हर वक़्त थकान महसूस होता है वहीं मैनिक होने पर आती है फिर भी वे थकान महसूस करते है। पर ये थकान कुछ घंटे की नींद के बाद पीड़ित को मिल जाती है और वे फ्रेश महसूस करने लगते हैं।

अपने काम पूरा ना कर पाना

  • ऐसे व्यक्ति कोई भी दिया गया काम कभी भी कम्प्लीट नहीं कर पाते हैं।
  • व्यक्ति के द्वारा कार्य पूरा कर देने में असमर्थ हो जाना भी बईपोलर डिसआर्डर की एक मुख्य निशानी मानी जाती है।
  • पीड़ित व्यक्ति कभी भी अपनी समग्र ऊर्जा के साथ अपने कार्य को नहीं कर पाते हैं। इसलिए कभी भी वो एक समय में एक से ज्यादा काम नहीं कर पाते हैं।

इन लक्षणों के अलावा भी बाइपोलर डिसऑर्डर के कुछ और लक्षण है हो सकते हैं जैसे मूड में बदलाव होते रहना, डिप्रेशन की समस्या जिसे Bipolar Depression भी कहते हैं, चिड़चिड़ापन की समस्या, बोलते समय जल्दबाजी, शराब तथा नशीली पदार्थों का सेवन करने लग जाना आदि।

बाइपोलर डिसऑर्डर के प्रकार (Types of Bipolar Disorder)

बाइपोलर डिसऑर्डर के कई अलग अलग प्रकार होते हैं। जानते हैं इनके कुछ मुख्य प्रकारों के बारे में।

  • बाइपोलर 1 डिसऑर्डर: इसके कारण अलग अलग वक़्त पर मूड स्विंग होने लगते हैं और इसके कारण मैनिया की समस्या डिप्रेशन में तब्दील हो जाती है।
  • बाइपोलर 2 डिसऑर्डर: ये मूड स्विंग का एक माध्यम फॉर्म माना जाता है। इस दौरान हाइपोमैनिया के मध्यम आघात होते है जिसके कारण आगे चलकर गंभीर डिप्रेशन की समस्या भी हो जाती है।
  • साइक्लोथिमिक डिसऑर्डर: साइक्लेथैमिक विकार हाइपोमैनैक के लक्षणों की संक्षिप्त अवधि का वर्णन करता है ये अवसादग्रस्त लक्षणों की संक्षिप्त अवधि के साथ बदलते भी रहता है जो व्यापक या लंबे समय तक स्थायी नहीं रहता है।
  • मिक्स्ड फीचर्स: इस दौरान व्यक्ति होपलेस, निराश, चिड़चिड़ा और आत्मघाती महसूस कर सकता है।

उपर्युक्त बताये गए प्रकारों के अलावा भी कई प्रकार बाइपोलर डिसऑर्डर के हो सकते हैं।

बाइपोलर डिसऑर्डर का उपचार

  • बाइपोलर डिसआर्डर के उपचार के लिये मार्केट में बहुत सारी असरकारी और फ़ायदेमंद दवाएँ मौजूद हैं। इन दवाओं को “मूड स्टैवलाइजिंग” (Mood Stablizing) दवाइयों के नाम से जाना जाता है।
  • परन्तु इन दवाओं को कभी भी किसी डाक्टर के सलाह के बिना इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। बगैर डॉक्टर के दवाई का उपयोग करना हानिकारक भी हो सकता है।
  • कई बार ऐसा देखा जाता है की बाइपोलर डिसआर्डर के लक्षण खुद से खत्म हो जाते है और पीड़ित व्यक्ति सामान्य भी हो जाता है। पर किसी किसी में समस्या बढ़ जाती है ऐसे में तुरंत किसी नजदीकी मनोचिकित्सक के पास चले जाना चाहिए। इस समस्या में लापरवाही समस्या हो और ज्यादा बढ़ा सकती है।

इस लेख में आपने जाना बाइपोलर डिसआर्डर के लक्षण, प्रकार और इसके उपचार के बारे में। अगर आपको या आपके जान पहचान में किसी को इस समस्या के लक्षण देखने को मिलते हैं तो आप इस लेख में बताये बातों का ध्यान रखते हुए उनकी देखभाल करें और इस समस्या से निजात दिलाने में उनकी मदद करें।

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