Dhanteras 2017: जानिए धनतेरस का महत्व और पूजा विधि
भारत देश में दीवाली का त्यौहार बड़े ही उत्साह पूर्वक के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार के आने से पहले ही भारत में कुछ त्यौहार मनाए जाते है। जैसे कि नवरात्रि, विजयादशमी और धनतेरस यह सब पर्व दिवाली के पहले आते है।
यह सब त्यौहार दीपावली पर्व के आने का संकेत देते है। दीपावली का त्यौहार के आते ही बाज़ारों में एक अलग से ही चहल पहल और रौनक देखने को मिलती है। दीपावली की ख़रीददारी के उद्देश्य से लोग आते हैं। वरन् धनतेरस पर्व का अपने आप में ही एक महत्व है।
यह त्यौहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरी का जन्म हुआ था। इस त्यौहार को धनतेरस और धनत्रयोदशी दोनों नाम से जाना जाता है।
इस त्यौहार पर सभी लोग सोना चांदी और धन वैभव अपने घरों में लाते है लेकिन अपनी सेहत का ध्यान देना भूल जाते है। लेकिन आपको पता होना चाहिए की धन की देवी लक्ष्मी जी कृपा प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य और लम्बी आयु भी चाहिए। इसलिए ही धनतेरस के त्यौहार को भारत सरकार ने राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप से मनाने का निर्णय लिया है। आइये
आज के लेख में विस्तार से जानते है Dhanteras Mahatva and Puja Vidhi के बारे में।
Dhanteras Mahatva and Puja Vidhi – क्यों और कैसे मनाया जाता है धनतेरस
माँ लक्ष्मी की कृपा के लिए अच्छा स्वास्थ्य जरुरी
आप सभी लोग जानते ही है जिस प्रकार माँ लक्ष्मी का जन्म समुद्र मंथन के समय में हुआ था। उसी प्रकार भगवान धन्वंतरी का भी जन्म समुद्र मंथन से ही हुआ था। उस समय भगवान धन्वंतरी अपने हाथ में अमृत का कलश लेकर उत्तपन हुए थे। जिस प्रकार माँ लक्ष्मी को धन की देवी कहा गया है। लेकिन धन की कृपा प्राप्त करने के लिए अच्छा स्वास्थ्य और लम्बी आयु चाहिए।
और धन्वंतरि आरोग्य के देवता है, यही काऱण है की दिवाली पर्व के आने के पहले ही धनतेरस का त्यौहार आता है और इस त्यौहार के आते ही सभी लोग अपने घरों को दीपामाला से सजाने लगते है।
भगवान धन्वंतरि को खुश करने से लिए क्या करें
- धनतेरस के दिन आप सभी को भगवानधन्वंतरि की पूजा अर्चना पूरे श्रद्धा भाव से करना चाहिए।
- इस दिन आप सभी लोगों को नया झाडू और सूपड़ा खरीदकर इनकी भी पूजा अर्चना करना चाहिए।
- धनतेरस त्यौहार के दिन शाम को सभी लोगों को अपने घरों या दुकान में दीपक जलाकर पूरे घर और दुकान को सजाना चाहिए।
- सभी लोगों को इस दिन मंदिरों, गोशाला, नदी के घाट, कुओं, तालाब, बगीचों में जाकर दीप जलाना चाहिए।
- इस दिन तांबे, पीतल, चांदी के गृह उपयोगी के नए बर्तन या फिर सोना चांदी को खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है।
- इस दिन हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरना चाहिए।
- कार्तिक स्नान करने के बाद प्रदोष काल में घाट, गौशाला, बावड़ी, कुआँ, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक लगातार दीपक जलाना चाहिए।
- हिन्दू धर्म के शास्त्रों में कहा गया है कि जिस भी परिवार में धनतेरस के दिन भगवान यम को दीपदान करते है उस परिवार में किसी भी सदस्य पर अकाल मृत्यु का संकट नहीं होता है।
भगवान धन्वंतरि की ऐसे करे पूजा
धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त को देखकर भगवान धन्वंतरि की पूजा करना चाहिए। इस दिन आप सभी को 13 दीप को जलाना चाहिए। इन दीपक को जलाने के बाद तिजोरी में कुबेर का पूजन करना चाहिए।
भगवान कुबेर का ध्यान करते हुए सच्चे मन से कहे कि हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले, गरूडमणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा व वर को धारण करने वाले और सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृ्त शरीर वाले भगवान कुबेर का ध्यान करे और उनके मंत्रो का उच्चारण करे –
यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये।
धन-धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा ।।
भगवान धन्वंतरी के बारे में कुछ मान्यताएं
भगवान धन्वंतरी को भगवान विष्णु का ही एक रूप माना गया है। भगवान धन्वंतरि की चार भुजाएं होती है। इनमें से दो भुजाओं में वे शंख और चक्र को धारण किए हुए है। भगवान धन्वंतरी के दो अन्य भुजाओं में जलूका और दूसरे हाथ मे अमृत कलश है।
भगवान धन्वंतरी को आरोग्य के भगवान कहा जाता है। इन्होंने अमृत औषधियों की खोज की थी। भगवान धनवंतरी के वंश में दिवोदास हुए। जिन्होंने ‘शल्य चिकित्सा’ का पहला विश्व विद्यालय काशी में स्थापित किया था। इस विद्यालय के प्रधानाचार्य सुश्रुत बनाएं गए थे।
धनतेरस का महत्व
धनतेरस के दिन नए उपहारों को लेना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन आप सभी लोगों को सिक्का, बर्तन व गहनों को लेना चाहिए। इसके साथ ही पूजा के शुभ मुहर्त का भी ध्यान रखना चाहिए। भगवान धन्वंतरि की पूजा में सात धान्यों की पूजा होती है। जैसे कि गेहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर आदि। इन सब के साथ ही पूजा में विशेष रूप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना बहुत ही लाभकारी होता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि को भोग में श्वेत मिष्ठान्न का भोग लगाना चाहिए। इस दिन भगवान धन्वंतरि के साथ ही माँ लक्ष्मी के पूजा का विशेष महत्व है।
धनतेरस के मौके पर क्या खरीदे
धनतेरस के दिन सभी लोगो को अपने घरों, दुकान या व्यापारिक संस्थाओं में धन सफलता और उन्नति को बढ़ने के लिए भगवान लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की चांदी की मूर्ति को लाना बहुत ही शुभ माना जाता है।
धनतेरस त्यौहार में चांदी या फिर कुछ भी नयी वस्तु को खरीदने की प्रथा चली आ रही है। इसके पीछे यह कारण है कि चांदी में चन्द्रमा का प्रतीक होता है। और आप सभी लोग जानते ही होंगे कि चन्द्रमा में शीतलता प्रदान और मन को संतोष देने का प्रतिक माना गया है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहते है। जिस किसी भी इंसान के पास संतोष है तो वह इंसान स्वस्थ, सुखी और सबसे बड़ा धनवान व्यक्ति होता है।