Dussehra Special 2017: असत्‍य पर सत्‍य की जीत का पर्व, जानिए इसका महत्व

हिन्दू धर्म में दशहरा (विजयादशमी) के पर्व का बहुत ही महत्व है। यह त्यौहार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को बड़े ही हर्षोल्लाष के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री रामचंद्र जी ने रावण का वध किया था। और इस दिन माँ दुर्गा ने नौ रात्रि के दसवें दिन महिषासुर नाम के राक्षस के साथ युद्ध करने के बाद उससे विजय प्राप्त की था।

इस पर्व को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसलिए इस त्यौहार को ‘विजयादशमी’ के नाम से भी जानते है।

दशहरा अर्थात दशहोरा = दसवीं तिथि। दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है। अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा।

विजयादशमी के दिन सभी लोग अपने अस्त्र शस्त्र की पूजा करते है। इस दिन सभी लोग नया काम शुरू करते है (जैसे अक्षर लेखन का आरम्भ, नया उद्योग आरम्भ, बीज बोना आदि)। ऐसा कहा गया है कि विजयदशमी के दिन जो भी कार्य शुरू किया जाता है उस कार्य में विजय अवश्य प्राप्त होती है। आइये Dussehra Special पर हम जानते है इसका महत्व और अन्य खास बाते।

Dussehra Special: जानिए विजयादशमी से जुड़ी खास बातें

Dussehra Special

रामचंद्र की विजय के रूप में मनाया जाता है दशहरा

पूराने समय में राजा महाराजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना करके युद्ध मैदान के लिए जाते थे। विजयादशमी के दिन जगह जगह पर मेला लगता है।

इस दिन रामलीला का कार्यक्रम होता है। रावण का पुतला बनाकर जलाया जाता है। दशहरा का यह पर्व भगवान श्री रामचंद्र की विजय के रूप में मनाया जाए या फिर नवरात्री की पूजा के रूप में मनाया जाए दोनों ही रूपों में यह शक्ति पूजा का पर्व है। भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव मनाया जाता है।

सच और अच्छाई हमेशा जीतती है

जहां कहीं भी आतंकवाद, गंदगी, भ्रष्टाचार और महंगाई आदि बहुमुखी है। इन सब जगहों पर रावण का प्रतीक होता है। हम सब ने रामायण को किसी ना किसी रूप में देखा, सुना और पढ़ा भी है। भगवान श्री रामचंद्र की रामायण हम सभी लोगों को सीख देती है।

कि दुनिया में कितनी भी बुरी ताकत या फिर असत्य हो, यह सब शक्ति सत्य और अच्छाई के सामने इन सब का चीज़ो का कुछ भी वजूद नहीं टिकता है। लेकिन सच और अच्छाई ने हमेशा सही व्यक्ति का ही साथ दिया है। अंधेरा कितना भी घना क्यूं न हो एक दिन मिट जाता है।

दशहरा का पर्व दस प्रकार के पाप हरता है जैसे कि काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी। यह पर्व इन्हीं पापों के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।

हम सभी लोगों ने भगवान श्री रामचंद्र और लंका अधिपति रावण की कहानी जानते ही है।जिसने माँ सीता का हरण करके उनको लंका ले गया था। भगवान राम अपनी शक्तियो से माँ सीता को छुड़ा सकते थे।मगर उन्होंने अपनी शक्तियो का प्रयोग नहीं किया था। क्योंकि भगवान श्री राम को मानव जाति को एक पाठ पढ़ाना था।

“हमेशा बुराई अच्छाई से नीचे रहती है और चाहे अंधेरा कितना भी घना क्यूं न हो एक दिन मिट ही जाता है”

देश के हर हिस्से में रावण को जलाया जाता है

भगवान श्री रामचंद्र जी ने मानव जाति में जन्म लिया और एक आदर्श, मर्याद और पुर्सोह्तम व्यकित का जीवन व्यतीत किया। रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों के रूप में लोग बुरी ताकतों को जलाने का प्रण लेते हैं दशहरा आज भी लोगों के दिलों में भक्तिभाव को ज्वलंत कर रहा है। विजयादशमी के दिन रावण को देश के हर हिस्से में जलाया जाता है।

दशहरे से जुड़ी विशेष बातें

दशहरे का पर्व में रावण का दहन करना, शस्त्र पूजन और सोना पत्ती बांटकर यह त्यौहार भाईचारे के साथ बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन कुछ विशेष बाते आपके लिए सुखदायी एवं लाभकारी साबित होती है। आइये नजर डालते है उन बातो पर:-

इस दिन करे शमी के वृक्ष की पूजा

  • विजयादशमी के दिन शमी के वृक्ष की पूजा करने से साल भर के लिए धन और संपन्नता का सुख प्रदान होता है।
  • हिन्दू धर्म में ऐसा कहा गया है कि इस दिन भगवान कुबेर ने राजा रघु को स्वर्ण मुद्राएं देने के लिए शमी के पत्तों को सोने का बना दिखया था।
  • तभी से इस वृक्ष की पूजा और इसकी पत्तिया भेंट करने की परंपरा चली आ रही है।

माँ दुर्गा के पैरों को पोछे

  • विजयादशमी के दिन माँ दुर्गा की विदाई होती है, मगर माता दुर्गा आप के घरो में साल भर तक समृद्धि के रूप में मौजूद रह सकती है।
  • इसके लिए आप माँ दुर्गा के पैरों को एक लाल कपड़े से पोंछकर उस कपड़े को अपनी तिजोरी में रख लीजिए।
  • इससे माँ दुर्गा का आशीर्वाद रहेगा और घर में साल भर पैसों की कमी नहीं होगी।

नीलकंठ के दर्शन होते है शुभ

  • विजयादशमी के दिन यदि आपको नीलकंठ के दर्शन होते है तो यह बहुत ही शुभ साबित होता है।
  • इसका तात्पर्य है की सालभर आपके साथ सौभाग्य रहेगा।

परिवार को बुरी नजर से बचाये

  • रावण रूपी बुराई को पवित्र अग्नि में जलाने के बाद, जो लकड़ियां बचती हैं, वे पवित्र और सकारात्मक मानी जाती हैं।
  • इनमें से कुछ लकड़ी लाकर घर में किसी विशेष स्थान पर रखें।
  • यह साल भर आपके परिवार को बुरी नजर और नकारात्मकता से बचाए रखेंगी।

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