How to Worship Peepal Tree: पीपल वृक्ष का पूजन कैसे करे और इसका महत्व

हिन्दू धर्म में पीपल को सबसे पूजनीय वृक्ष माना गया है। पीपल का शुद्ध नाम अश्वत्थ है। इसे विश्व वृक्ष, चैत्य वृक्ष और वासुदेव के नाम से भी जाना जाता है।

हिंदू धर्म के अनुसार मान्यता है की इसके पत्ते-पत्ते में देवता का वास रहता है। विशेषकर माना जाता है की इसमें विष्णु का वास होता है| आपको बता दे की ऋगवेद में अश्वत्थ की लकड़ी के पात्रों का उल्लेख मिलता है।

साथ ही अथर्ववेद और छंदोग्य उपनिषद में पीपल वृक्ष के नीचे देवताओं का स्वर्ग बताया गया है। पीपल के पेड़ की पूजा के कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं। साथ ही वृक्ष की पूजा करने के कुछ नियम भी है।

माना जाता है जो व्यक्ति इन नियमों को मानकर पीपल की पूजा करता है उसे सुख की प्राप्ति होती है, और जो व्यक्ति ध्यान नहीं रखता वो कंगाल हो जाता है। प्राचीन काल से इस पेड़ की पूजा की जाती रही है। आइये जानते है How to Worship Peepal Tree.

How to Worship Peepal Tree: पीपल वृक्ष से जुड़ी धार्मिक और वैज्ञानिक धारणाएँ

How to Worship Peepal Tree

क्या है पेड़ की पूजा का धार्मिक कारण

श्रीमद्भगवदगीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि

‘अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणाम, मूलतो ब्रहमरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे, अग्रत: शिवरूपाय अश्वत्थाय नमो नम:’

अर्थात  मैं वृक्षों में पीपल हूं।

पीपल के मूल में ब्रह्मा जी, मध्य में विष्णु जी व अग्र भाग में भगवान शिव जी साक्षात रूप से विराजित हैं। जबकि स्कंदपुराण के अनुरूप पीपल के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान श्री हरि और फलों में सभी देवताओं का वास बताया जाता है।

इसी कारण धार्मिक दृष्टि से पीपल को देवता मान कर उनका पूजन किया जाता है।

इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण

पेड़ दिन में आक्सीजन छोड़ते हैं और कार्बनडाइआक्साईड ग्रहण करते हैं। और रात को सभी वृक्ष कार्बन-डाइआक्साईड छोड़ते हैं व आक्सीजन लेते हैं, इसी कारण यह कहा जाता है कि रात को कभी भी पेड़ों के निकट नहीं सोना चाहिए।

वैज्ञानिकों के अनुसार एकमात्र पीपल का वृक्ष ऐसा वृक्ष है जो कभी कार्बन डाईआक्साइड नहीं छोड़ता। वह 24 घंटे आक्सीजन ही छोड़ता है इसलिए इसके पास जाने से कई रोग ठीक होते हैं और शरीर स्वस्थ बना रहता है।

क्या है इसके पूजन का फल

कहा जाता है की पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने व पूजन करने तथा परिक्रमा करने से सारी कामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही यह सुख -संपत्ति, धन-धान्य, संतान सुख, ऐश्वर्य व सौभाग्य प्रदान करने वाला है।

पीपल के वृक्ष की पूजा करने से पितरदोष, काल सर्प योग और  ग्रह पीड़ा जैसे दोषो का भी निदान होता है। यदि अमावस्या और शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान जी की पूजा-अर्चना करते है और साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ करते है  तो सारी पेरशानियां दूर होती हैं।

कैसे करे पीपल वृक्ष का पूजन

प्रतिदिन सुबह नियम से पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर जप, तप और प्रभु नाम का स्मरण करने से जीव को शारीरिक व मानसिक लाभ की प्राप्ति होती है।

पीपल के पेड़ के नीचे प्रतिदिन सरसों के तेल का दीपक जलाना अच्छा होता है। परन्तु यदि किसी कारणवश ऐसा संभव न हो तो शनिवार की रात को पीपल के नीचें दीपक अवश्य जलाएं| इससे घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है और रुके हुए काम बनने लगते हैं। साथ ही कारोबार में सफलता मिलती है।

सावधानियां

शनिवार को पीपल पर लक्ष्मी जी का वास माना जाता है। उस दिन जल चढ़ाना श्रेष्ठ होता है परन्तु रविवार को पीपल पर जल चढ़ाना निषेध माना गया है। क्यूंकि रविवार को पीपल पर जल चढ़ाने से घर में दरिद्रता आती है। साथ ही कभी भी पीपल के वृक्ष को काटना नहीं चाहिए। ऐसा करने से पितरों को कष्ट मिलता हैं आैर वंशवृद्धि में रुकावट आती है।

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