Nabhi Ka Khisakna – जानिए नाभि खिसकने का कारण व सरल उपचार

किसी की भी नाभि खिसक सकती है| नाभि खिसकना को धरण जाना भी कहते है। शरीर की 72 हजार नाडिया नाभि से ही जुडी है। इसलिए नाभि को मानव शरीर का केंद्र माना जाता है।

इसलिए अगर नाभि अपनी जगह से खिसक जाती है तो शरीर में कई प्रकार की समस्या उत्पन्न हो सकती है। नाभि खिसकने के कारण कब्ज, पेट दर्द, दस्त, अपच आदि होने लगते है।

इन समस्याओं पर कोई भी दवा असरदायक नहीं होती है। इसका केवल एक ही इलाज होता है की नाभि को फिर से अपने जगह पर लाया जाये। नाभि खिसकने को गोला खिसकना, पिचोटी खिसकना, नाभि पलटना या नाभि चढ़ना आदि नामों से भी जाना जाता है।

Nabhi Ka Khisakna के कई कारण होते है| जैसे यदि आप ने भारी सामान उठाया है तो यह समस्या हो सकती है। इसके अतिरिक्त हाँथ पैर में तेज झटका लगने, ऊंचाई से छलांग लगाना आदिसे नाभि खिसक सकती है।

Nabhi Ka Khisakna – उपचार के लिए इसकी जांच कैसे करे?

Nabhi Ka Khisakna

नाभि खिसकने का कारण:

  • यदि पेट की मांसपेशियां कमजोर होती है तो नाभि खिसकने की समस्या ज्यादा उत्पन्न होती है।
  • यदि कार्य करते समय शरीर का संतुलन सही नहीं है तो भी नाभि खिसक सकती है।
  • इसके अतिरिक्त यदि शरीर की मांस पेशियों पर एक तरफ अधिक वजन आता है तो भी नाभि टल सकती है।

कुछ और अन्य कारण

  1. शीघ्रता से सीढ़ी चढ़ना या उतरना
  2. चलते समय अचानक ऊचे नीचे स्थान पर पैर पड़ना
  3. अधिक ऊंचाई से छलांग लगाना
  4. पेट में अधिक गैस बनना
  5. पेट में किसी प्रकार की चोट लगना आदि

कैसे पता करे की नाभि खिसकी है?

स्टेप 1

सबसे पहले सुबह खाली पेट चटाई पर पीठ के बल लेट जाएँ| हाथ और पैर सीधे रखें, हथेलियाँ जमीन की तरफ रखें। इसके पश्चात अंगूठे से नाभि पर हल्का दबाव डालकर स्पंदन चेक करें।

अगर स्पंदन नाभि पर अनुभव होता है तो नाभि सही है। यदि स्पंदन नाभि के स्थान पर ना होकर नाभि से अलग स्थान पर यानी ऊपर, नीचे, दाएं या बाएं और महसूस होता है तो इसका मतलब होता है की नाभि अपने स्थान से खिसकी हुई है।

स्टेप 2

इसके अतिरिक्त यह उपाय भी मदद कर सकता है| पहले सीधे पीठ के बल लेट जाएँ। दोनों पैर पास में लाएं यदि पैर के अंगूठे ऊपर नीचे दिखाई दें तो नाभि अपने स्थान से हटी हुई है।

नाभि खिसकने से होने वाली समस्या

  • नाभि के ऊपर की और खिसकने पर कब्ज हो जाती है और गैस भी अधिक बनती है।
  • यदि नाभि खिसकने को लम्बी अवधि हो जाये तो फेफड़ों की समस्या, डायबिटीज, अस्थमा आदि बीमारियां हो सकती है।
  • यदि नाभि नीचे की ओर खिसक जाती है तो अतिसार, दस्त, पेचिश आदि समस्याएं उत्पन्न होती है।
  • इसके दायीं ओर खिसकने पर लीवर पर असर पड़ सकता है, एसिडिटी हो सकती है और अपच भी हो सकती है।
  • यदि बाईं ओर खिसकती है तो सर्दी, जुकाम, खाँसी, कफ आदि की समस्या हो सकती है।

नाभि को ठीक करने के उपाय

  1. पीठ के बल लेट जाए और फिर पेट पर सरसो का तेल लगाए। नाभि जिस तरफ सरकी हो उस तरफ हाँथ के अंगूठे से दबाब दे और फिर नाभि की तरफ मालिश करे।
  2. जिस हाथ की छोटी अंगुली की लंबाई कम हो वह हाथ सीधा करें। हथेली ऊपर की और हो। अब इस हाथ को दुसरे हाथ से कोहनी के जोड़ के पास से पकड़ें।
  3. इसके बाद पहले वाले हाथ की मुट्ठी कस कर बंद कर ले| इस मुट्ठी से झटके से अपने इसी तरफ वाले कंधे पर मारने का प्रयास करें। कोहनी थोड़ी ऊंची रखें। इस क्रिया को लगभग दस बार करें।
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