Anulom Vilom Pranayam in Hindi: अनुलोम विलोम प्राणायाम या नाड़ी शोधन के चमत्कारिक लाभ
अनुलोम विलोम प्राणायाम की एक बहुत ही सरल विधि है। इसे नाड़ी शोधन प्राणायाम के रूप में भी जाना जाता है। नाड़ियाँ हमारे शरीर में सूक्ष्म ऊर्जा चैनल के रूप में कार्य करती हैं। विभिन्न कारणों से ये नाड़ियां अशुद्ध हो जाती हैं जिससे शरीर में विकार और रोग उत्पन्न हो जाते हैं। Anulom Vilom प्राणायाम के द्वारा इन नाड़ियों को शुद्ध किया जाता है, इसीलिए प्राणायाम की इस विधि को नाड़ी शोधन प्राणायाम कहा जाता है। इस प्राणायाम को करने से मन भी शांत होता है।
नाड़ियों के अवरुद्ध होने से उत्पन्न विकारों को दूर करने के लिए नियमित रूप से Anulom Vilom Pranayam करना ज़रूरी होता है। जीवन में तनाव भी नाड़ियों के अशुद्ध होने का एक बड़ा कारण है। शरीर में विषैले पदार्थों के जमा होने तथा गलत खानपान से भी नाड़ियां अशुद्ध हो जाती हैं। इसके अलावा मानसिक और शारीरिक आघात से भी नाड़ियां अवरुद्ध हो जाती हैं।
मानव शरीर में 3 नाड़ियां इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। जब ये तीनों नाड़ियों शुद्ध होती हैं तो हमारा शरीर बहुत अच्छे से काम करता है। लेकिन इनके अशुद्ध होने पर कई विकार उत्पन्न होने लगते हैं। इड़ा नाड़ी के अवरुद्ध होने पर मानसिक ऊर्जा में कमी का अनुभव होता है तथा शरीर जुकाम से पीड़ित हो जाता है। पिंगला नाड़ी से अवरुद्ध होने से गर्मी लगना, खुजली, जलन आदि का अनुभव होता है। पिंगला नाड़ी के अशुद्ध होने पर व्यक्ति को जल्दी गुस्सा भी आ जाता है।
शरीर शुद्ध होकर सुचारु रूप से कार्य करे इसके लिए ज़रूरी है कि अनुलोम विलोम प्राणायाम करके तीनों नाड़ियों को शुद्ध कर लिया जाए। अनुलोम विलोम करने से शरीर शुद्ध और हल्का तो होता है साथ ही मन भी शांत और स्थिर होने लगता है जिससे काम में मन लगता है। अनुलोम विलोम प्राणायाम को नियमित रूप से करने से तनाव और थकान दूर होती है। आइये आज के लेख में विस्तार से जानते हैं Anulom Vilom Pranayam in Hindi.
Anulom Vilom Pranayam in Hindi: जानिए अनुलोम विलोम प्राणायाम करने की सही विधि
- किसी खुले और हवादार स्थान पर आसन लगाकर सुखासन, पद्मासन, स्वस्तिकासन या सिद्धासन में बैठ जाएँ।
- अपने रीढ़ की हड्डी को यथासंभव सीधा रखें।
- अनुलोम विलोम प्राणायाम में बारी बारी से नाक के दाएं और बाएं नथुनों से सांस ली और छोड़ी जाती है।
- बाएं नथुने से सांस लेने पर दाएं नथुने से सांस छोड़ी जाती है जबकि दाएं नथुने से सांस लेने पर बाएं नथुने से सांस छोड़ी जाती है।
- अपने दाएं हाथ के अंगूठे से अपनी नाक का दांया नथुना बंद करके बाएं नथुने से सांस अंदर लें। थोड़ी देर सांस अंदर रोकने के बाद दाएं हाथ की अनामिका और कनिष्ठा उँगलियों से नाक का बांया नथुना बंद करते हुए दाएं नथुने से अंगूठा हटाकर सांस बाहर छोड़ दें। अब दाएं नथुने से सांस खींचकर इस प्रक्रिया को दोहराएं।
- अनुलोम विलोम प्राणायाम को सुबह के समय करने से काफी लाभ प्राप्त होता है।
- इसे 5 से 15 मिनिट तक आप अपनी सुविधा के अनुसार कर सकते हैं।
- अनुलोम विलोम करते समय सांस की गति धीमी रखें। ज़ोर ज़ोर से सांस न लें वरना धूल की कण, धुआं, वायरस आदि श्वास नली में पहुँच कर उसे संक्रमित कर सकते हैं।
- अनुलोम विलोम प्राणायाम में सांस भरने (पूरक) और साँस छोड़ने (रेचक) के समय में 1:2 का अनुपात रखें।
- अनुलोम विलोम करते समय नथुनों पर अतिरिक्त दबाव न डालें।
- इस प्राणायाम को करते समय मुँह से सांस न लें।
- अनुलोम विलोम करते समय मन को शांत और प्रफुल्लित रखें।
- अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर लगाएं और मन ही मन ॐ का उच्चारण करें।
- अनुलोम विलोम सुबह नित्यकर्मों से निपटने के बाद स्नान आदि करके खाली पेट ही करें।
- अनुलोम विलोम की शुरुवात और अंत बांये नथुने से ही करें। बाएं नथुने से सांस लेने के बाद इसे दाएं नथुने से छोड़ देने पर आप अनुलोम विलोम प्राणायाम को रोक सकते हैं।
Anulom Vilom Benefits: अनुलोम विलोम प्राणायाम से होने वाले 11 चमत्कारिक लाभ
- स्थिर और शांत मन – आजकल की भागदौड़ वाली जीवनशैली में तनाव और मन में अशांति का होना एक आम समस्या है। ऐसे में नियमित रूप से अनुलोम विलोम करने से आपका मन धीरे-धीर शांत और स्थिर होने लगेगा और आपकी सोचने और निर्णय लेने की शक्ति बढ़ जाएगी।
- चिंता, अवसाद और तनाव से मुक्ति – अनुलोम विलोम करने से मन में प्रसन्नता रहती है और चिंता, तनाव और अवसाद कोसों दूर रहते हैं।
- त्रिदोषों को शांत करना – आयुर्वेद में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए वात, पित्त और कफ का संतुलन आवश्यक है। अनुलोम विलोम करने से त्रिदोष का नाश होता है और संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।
- पाचन तंत्र दुरुस्त होता है – पेट में संक्रमण, कब्ज़ और पाचन से दूसरी समस्याओं के निदान में अनुलोम विलोम बहुत कारगर है।
- अर्थराइटिस या गठिया योग की रोकथाम – उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों में दर्ज, सूजन और ऐंठन आम समस्या बन जाती है। इस रोग से बचाव के लिए अनुलोम विलोम का नियमित अभ्यास किया जाना चाहिए। शरीर के जिन हिस्सों में ब्लॉकेज होता है उसे अनुलोम विलोम से दूर किया जा सकता है और गठिया रोग से मुक्त हुआ जा सकता है।
- शरीर में रक्त का संचरण बेहतर होता है तथा हृदय स्वस्थ रहता है – शरीर में रक्त का सही संचरण होने से शरीर पूरी तरह स्वस्थ रहता है। रक्त संचरण के अनियमित होने से शरीर में व्याधियां घर करने लगती हैं। अनुलोम विलोम प्राणायाम रक्त संचरण को बेहतर करके हृदय को स्वस्थ रखता है।
- साइनस की समस्या और खर्राटों से आज़ादी – साइनस की समस्या होने पर आप हवा में होने वाले इन्फेक्शन से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं। यदि आप इस समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं तो नियमित रूप से अनुलोम विलोम करना शुरू करें। इसके द्वारा ख़र्राटों की समस्या से भी छुटकारा मिल जाता है।
- ब्रेन ट्यूमर को ठीक करने में भी अनुलोम विलोम लाभदायक है। इससे सर्दी खांसी और गला भी ठीक हो जाता है।
- कैंसर जैसे रोगों को ठीक करने में भी अनुलोम विलोम काफी कारगर है।
- हर प्रकार की एलर्जी को दूर करने के लिए अनुलोम विलोम प्राणायाम लाभदायक होता है।
- हार्ट के ब्लॉकेज को हटाने और हार्ट को स्वस्थ रखने में अनुलोम विलोम या नाड़ीशोधन प्राणायाम काफी उपयोगी होता है।
अनुलोम विलोम Pranayama से शरीर की 72,72,10,210 सूक्ष्मादि सूक्ष्म नाड़ियां शुद्ध हो जाती है। इससे संपूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को पाने में मदद मिलती है। इसके नियमित अभ्यास से मन और मस्तिष्क में नई ताज़गी का अनुभव होता है।